प्राणियों के संरक्षण के लिए ग्रामीणों ने मछली पकड़ने पर लगाई रोक

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प्राणियों के संरक्षण के लिए ग्रामीणों ने मछली पकड़ने पर लगाई रोकमछली पकड़ने पर लगा प्रतिबंध।

शिलॉन्ग (भाषा)। मेघालय की पश्चिम खासी पहाड़ियों के बीच एक छोटे से गांव ने प्राणियों के संरक्षण की मिसाल दी है। ग्रमीणों ने रिलांग नदी के एक खास क्षेत्र में मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है।

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क्षेत्र से करीब 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रोहबाह गांव में मछली अभयारण्य ने यह कदम उठाया है। ये प्राणी सालों से विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके हैं। ऐसे में इस तरह का संरक्षण इन प्राणियों के जीवंत के लिए मददगार साबित होगा। इस पहल को यहां के करीब सात-आठ गांवों से समर्थन मिला है। रिलांग नदी इन्हीं गांवों से होकर गुजरती है।

परियोजना के तहत गांव को लिया गया था गोद

लगभग 250 लोगों की आबादी वाले इस गांव को पूर्वोत्तर क्षेत्र सामुदायिक संसाधान प्रबंधन परियोजना (एनईआरसीओआरएमपी) के तहत गोद लिया गया है। एनईआरसीओआरएमपी आजीविका और ग्रामीण विकास से जुड़ी परियोजना है। इस परियोजना का उद्देश्य अपने संसाधन आधार का टिकाऊ तरीके से इस तरह इस्तेमाल करना है जिससे उसका पर्यावरण संरक्षण में योगदान हो। इसके साथ ही कमजोर वर्ग की आजीविका में सुधार हो।

ग्रामीणों का कहना है कि मछली अभयारण्य की स्थापना करीब पांच साल पहले की गई थी। मछली अभयारण्य ने नदी से होने वाले पैदावार में इजाफा करने में मदद पहुंचाई है जिसमें संबंधित अधिकारियों का भी समर्थन रहा। परियोजना के एक अधिकारी ने बताया कि परियोजना के तहत मेघालय की पश्चिम खासी पहाड़ियों में 238 और पश्चिम गारो पहाड़ियों में 267 समुदाय संरक्षित क्षेत्र स्थापित किए गए हैं। हमने लोगों की जरूरतों के आधार पर परियोजना शुरू की और संरक्षण में हमने उनके ज्ञान का इस्तेमाल किया।”

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