केजीएमयू से फोरेंसिक लैब ने मांगा आईएएस अनुराग के दिल का आधा हिस्सा

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
केजीएमयू से फोरेंसिक लैब ने मांगा आईएएस अनुराग के दिल का आधा हिस्सामानव हृदय। प्रतीकात्मक फोटो

लखनऊ। कर्नाटक कैडर के आईएएस अनुराग तिवारी की मौत के मामले में केजीएमयू का पोस्टमार्टम विभाग और लखनऊ का फोरेंसिक लैब तकनीकि रूप से आपस में भिड़ गया है। फोरेंसिक लैब ने विसरा रिपोर्ट की जांच के लिए सुरक्षित रखे आईएएस के दिल के आधे हिस्से को मांगा है, जिसे केजीएमयू प्रशासन ने खारिज करते हुए उन्हें आईएएस के दिल का हिस्सा देने से इनकार कर दिया है।

केजीएमयू प्रशासन का तर्क है कि किसी भी शख्स की रहस्मय मौत के मामले में दिल के हिस्से को छोड़ अन्य शरीर के अंगों को फोरेंसिक लैब को विसरा रिपोर्ट के लिए भेज दिया जाता है, लेकिन किसी भी इंसान के दिल को सुरक्षित रखना तकनीकि तौर पर केजीएमयू प्रशासन के पास ही इसकी सुविधा है, जिसे वह जांच कर मौत की असल वजह जानने का प्रयास करती है।

ये भी पढ़ें: लोगों के चहेते थे IAS अनुराग तिवारी, सूखे से जूझते एक ज़िले की बदल दी थी तस्वीर

वहीं दोनों डॉक्टरी जांच विभाग की उहापोह पुलिस के आलाधिकिरयों तक पहुंची, जिसके बाद आलाधिकारियों ने एसआईटी, केजीएमयू और फोरेंसिक लैब के डॉक्टरों के साथ रविवार को एक बैठक कर, पूरे मामले को सुलझाने का प्रयास किया है। हालांकि अंतिम फैसला अभी नहीं आया है कि, आईएएस के दिल की जांच कौन करेगा।

देश-दुनिया से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

उधर एसएसपी की ओर से एसआईटी को आईएएस की रहस्मय मौत से पर्दा उठाने के लिए चार दिनों का वक्त दिया गया था, जो रविवार शाम समाप्त हो गया। फिलहाल एसआईटी टीम ने अपनी रिपोर्ट एसएसपी दीपक कुमार को सौंप दी है।

ये भी पढ़ें: लखनऊ में मीराबाई गेस्टहाउस के बाहर संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए आईएएस अफसर अनुराग तिवारी

सूत्रों की माने तो, एसआईटी टीम ने अबतक एलडीए वीसी प्रभुनारायण सिंह से कोई पूछताछ नहीं की है। इस बाबत जांच अधिकारियों ने कुछ बोलने से भी इंकार कर दिया है।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

           

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.