देश का पहला सैटेलाइट बनाने वाले वैज्ञानिक का निधन, जानें उनके जीवन की अनसुनी बातें 

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देश का पहला सैटेलाइट  बनाने वाले वैज्ञानिक का निधन, जानें उनके जीवन की अनसुनी बातें प्रोफेसर यूआर राव ने अपने करियर की शुरुआत कॉस्मिक रे साइंटिस्ट के तौर पर की थी

नई दिल्ली। इसरो के पूर्व प्रमुख और अंतरराष्ट्रीय स्तर के अंतरिक्ष वैज्ञानिक प्रोफेसर यूआर राव (Udupi Ramachandra Rao) का निधन हो गया। राव को इस साल की शुरुआत में दिल की बीमारी की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने देर रात 2.30 बजे अंतिम सांस ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी उनके देहावसान पर दुख जताया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम में राव का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।

प्रोफेसर की अगुवाई में बनाए गए 18 सैटेलाइट

प्रोफेसर यूआर राव ने अपने करियर की शुरुआत कॉस्मिक रे साइंटिस्ट के तौर पर की थी, पर साल 1972 से वो भारत के सेटेलाइट प्रोग्राम से जुड़ गए। प्रोफेसर यूआर राव की अगुवाई में ही भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट साल 1975 में बनाया गया और अंतरिक्ष तक पहुंचने में सफलता भी हासिल की। इसके अलावा प्रोफेसर राव की अगुवाई में 18 और सैटेलाइट बनाए गए, जिसमें भास्कर, एप्पल, रोहिणी, इनसैट-1, इनसैट-2 जैसी सेटेलाइटें शामिल हैं।

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1985 में भारतीय अंतरिक्ष विभाग की संभाली कमान

प्रोफेसर राव ने साल 1985 में अंतरिक्ष विभाग की कमान संभाली और उनकी अगुवाई में देश के अपने रॉकेट टेक्नोलॉजी का विकास हुआ। भारत ने साल 1992 में अपने पहले रॉकेट एएसएलवी का परीक्षण किया और बाद में पीएसएलवी बनाया। इसके बाद भारत ने जीएसएलवी बनाकर सारी दुनिया में अपनी तकनीकी का लोहा मनवाया और दूसरे देशों के उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में पहुंचाया।

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देश-विदेश में प्रकाशित हुई किताबें

प्रोफेसर यूआर राव ने करीब 300 वैज्ञानिक और तकनीकी शोध पेपर प्रकाशित कराए, जो देशी और विदेशी जनरलों में प्रकाशित हुए। उन्होंने कई किताबें भी लिखीं, जिसमें 'फिजिक्स ऑफ द कम्यूनिकेशन', 'स्पेस एंड एजेंडा 21- केयरिंग फॉर द प्लानेट अर्थ' और 'स्पेस टेक्नोलॉजी फॉर का सस्टेनेबल डेवलपमेंट' जैसी किताबें हैं।

उनके जीवन अनसुनी बातें

  • यूआर राव का जन्म कर्नाटक के अडामारू में 10 मार्च 1932 को एक साधारण परिवार में हुआ था।
  • राव ने इसरो अध्यक्ष और अंतरिक्ष सचिव का पद भी संभाला।
  • प्रोफेसर राव को अंतरराष्ट्रीय एस्ट्रोनॉटिकल फेडरेशन ने 2016 में हॉल ऑफ फेम में शामिल किया।
  • साल 2013 में सोसायटी ऑफ सेटेलाइट प्रोफेशनल्स इंटरनेशनल ने राव को सेटेलाइट हॉल ऑफ फेम, वाशिंगटन में शामिल किया था।
  • भौतिक विज्ञान प्रयोगशाला (अहमदाबाद) की संचालन परिषद के अध्यक्ष राव अंतरराष्ट्रीय तौर पर विख्यात वैज्ञानिक रहे।
  • राव ने 1960 में अपने करियर की शुरुआत से ही भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास में और संचार के क्षेत्र में एवं प्राकतिक संसाधनों का दूर से पता लगाने में इस तकनीक के अनुप्रयोगों में अहम योगदान दिया है।
  • भारत की अंतरिक्ष और उपग्रह क्षमताओं के निर्माण तथा देश के विकास में उनके अनुप्रयोगों का श्रेय राव को जाता है।
  • वैज्ञानिक राव ने 1972 में भारत में उपग्रह प्रौद्योगिकी की स्थापना की जिम्मेदारी ली थी।
  • यूआर राव के दिशानिर्देशन में 1975 में पहले भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट से लेकर 20 से अधिक उपग्रहों को डिजाइन किया गया, तैयार किया गया और अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया।
  • राव ने भारत में प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी का भी विकास तेज किया, जिसके परिणामस्वरूप 1992 में एएसएलवी का सफल प्रक्षेपण किया गया।
  • वैज्ञानिक यूआर राव ने प्रसारण, शिक्षा, मौसम विज्ञान, सुदूर संवेदी तंत्र और आपदा चेतावनी के क्षेत्रों में अंतरिक्ष तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया।
  • अंतरिक्ष विज्ञान में अहम योगदान के लिए भारत सरकार ने यूआर राव को 1976 में पद्म भूषण से सम्मानित किया।
  • भारत सरकार ने यूआर राव को 2017 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया।

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