डेंगू से बच्ची की मौत और अस्पताल ने बनाया 16 लाख का बिल, अब स्वास्थ्य मंत्री ने लिया एक्शन
गाँव कनेक्शन 21 Nov 2017 12:53 PM GMT
नई दिल्ली। फोर्टिस अस्पताल में एक बच्ची की मौत हो गई, इसके बावजूद अस्पताल ने 16 लाख रुपये का बिल बनाया। अब इस मामले पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने एक्शन लिया है। उन्होंने गुरुग्राम फोर्टिस हॉस्पिटल से रिपोर्ट मंगाई है, साथ ही स्वास्थ्य सचिव को जांच के आदेश दिए हैं।उन्होंने साफ कहा कि मामले में जो भी दोषी है उस पर कार्रवाई की जाएगी।उन्होंने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।
It was an unfortunate incident. The government has taken cognizance of the incident and has sought a detailed report from Fortis hospital, action will be taken: Union Health Minister JP Nadda on Fortis #Gurugram Dengue case pic.twitter.com/OdM6Vx2bhR
— ANI (@ANI) November 21, 2017
ये है पूरा मामला
डेंगू के इलाज के लिए भर्ती सात साल की बच्ची के इलाज में 2700 ग्लव्स और 500 सिरिंज का इस्तेमाल करते हुए 15.59 लाख का बिल बना दिया गया, लेकिन फिर भी बच्ची की जान नहीं बची। दरअसल, जुड़वा बहनों में से बड़ी आद्या को दो महीने पहले डेंगू हुआ था, जिसके बाद उसे द्वारका के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था।डेंगू होने के पांचवें दिन रॉकलैंड से फोर्टिस ले जाया गया, जहां अगले ही दिन बिना जानकारी दिये उसे वेंटिलेटर पर डाल दिया गया।
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अस्पताल ने वसूल किया कफन का पैसा- बच्ची की मां
इसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ती गई और फिर ब्रेन से लेकर किडनी तक पर असर पड़ गया। इस दौरान चार लाख रुपया तो सिर्फ दवाई का बिल बनाया गया।दीप्ति बताती हैं कि बेटी की मौत के बाद जिस कपड़े में शव को लपेट कर दिया गया उसका पैसा भी फोर्टिस अस्पताल ने वसूला है। उन्होंने बताया कि एक तो बेटी बची नहीं उपर से अस्पताल ने 15.59 लाख रुपये का बिल थमा दिया।
अस्पताल ने क्या कहा
इस मामले को लेकर फोर्टिस अस्पताल ने लिखित सफाई में कहा है, ‘’सात साल की बच्ची आद्या को एक दूसरे प्राइवेट अस्पताल से 31 अगस्त को लाया गया था। उसको डेंगू था जो शॉक सिंड्रोम की स्टेज पर थी।हमने इलाज शुरु किया लेकिन उसके ब्लड प्लेटलैट्स लगातार गिर रहे थे।हालत खराब होने पर हमने 48 घंटों के अंदर वेंटिलेटर पर रखा।”
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अस्पताल ने आगे बताया, ‘’परिवार को बच्ची की नाजुक हालत के बारे में बताया गया था।परिवार से बच्ची के बारे में रोजाना बात की गई। 14 सितंबर को डॉक्टर की सलाह के खिलाफ जाकर बच्ची को अस्पताल से ले गए और उसी दिन बच्ची की मौत हो गई। बच्ची के इलाज में हमने सभी स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल और गाइडलाइंस का ध्यान रखा। 20 पन्नों के बिल के बारे में परिवार को पूरी जानकारी दी गई, जब वो हॉस्पिटल छोड़कर गए।”
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