फ्रांस के अखबार का दावा- राफेल डील के बाद अनिल अंबानी की कंपनी का टैक्स माफ हुआ
गाँव कनेक्शन 13 April 2019 1:27 PM GMT
लखनऊ। फ्रांस के राष्ट्रीय अखबार ले मोंडे ने दावा किया है कि राफेल डील की घोषणा के बाद भारतीय उद्योगपति अनिल अंबानी की फ्रांस में स्थित टेलीकॉम कंपनी का 14 करोड़ यूरो का कर्ज माफ किया गया। रिलायंस कम्युनिकेशन ने इस खबर को खारिज किया है।
अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, 'रिलायंस फ्लैग एटलान्टिक फ्रांस' नाम की कंपनी फ्रांस में टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर और केबल नेटवर्क का संचालन करती है। 2007 से 2010 के बीच कंपनी पर 6 करोड़ यूरो का टैक्स बकाया था। रिलायंस ने इसके लिए 7.6 लाख यूरो का टैक्स चुकाने का प्रस्ताव दिया था, जिसे फ्रेंच अधिकारियों ने ठुकरा दिया था। इसके बाद 2010 से 2012 के बीच कंपनी पर 9 करोड़ यूरो का टैक्स और चढ़ गया, यानी कुल 15 करोड़ यूरो का टैक्स हो गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, 10 अप्रैल 2015 को मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति एफ. ओलांदे से पेरिस में बातचीत की। इसके बाद 36 राफेल विमान खरीदने की घोषणा हुई। यह डील 23 सितंबर 2016 को फाइनल हुई थी। इसी बीच फ्रेंच अधिकारियों ने रिलायंस के 7.3 लाख यूरो
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति एफ. ओलांदे से भी 10 अप्रैल 2015 को पेरिस में बातचीत की थी। इसके बाद 36 राफेल विमान खरीदने की घोषणा हुई। यह डील 23 सितंबर 2016 को फाइनल हुई। इसके बाद फ्रांस के अधिकारियों ने रिलायंस के 7.3 लाख का टैक्स चुकाने का प्रस्ताव मंजूर कर लिया। ऐसे में रिलायंस को यह छूट मिली।
रिलायंस कम्युनिकेशन ने इस खबर पर अपनी प्रतक्रियिा में किसी भी तरह के गलत काम से इनकार किया है। कंपनी ने कहा है कि कर विवाद को कानूनी ढांचे के तहत निपटाया गया। उन्होंने कहा कि फ्रांस में काम करने वाली सभी कंपनियों के लिए इस तरह का तंत्र उपलब्ध है।
Ministry of Defence on reports drawing conjectural connection b/w tax exemption to a private company & procurement of Rafale jets by GoI: Any connections drawn between the tax issue and the Rafale matter is totally inaccurate, tendentious and is a mischievous attempt to disinform https://t.co/Wnq3YfAZuE
— ANI (@ANI) April 13, 2019
वहीं रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है, ''हम ऐसी खबरें देख रहे हैं, जिसमें एक निजी कंपनी को कर में दी गयी छूट एवं भारत सरकार द्वारा राफेल लड़ाकू विमान की खरीद के बीच अनुमान के आधार पर संबंध स्थापित किया जा रहा है। ना तो कर की अवधि और ना ही रियायत के विषय का वर्तमान सरकार के कार्यकाल में हुई राफेल की खरीद से दूर-दूर तक कोई लेना-देना है।''
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