अब गांव भूले-बिसरे नहीं हैं, रंगों से भरपूर और बदलाव की बयार के लिए बेताब हैं : देविंदर शर्मा
Arvind Shukla 3 Dec 2017 7:39 PM GMT
इस समय देविंदर शर्मा देश में किसानों और खेती से जुड़े मामलों की एक मुखर आवाज़ हैं। जमीन से जुड़े मुद्दे उठाते हैं तो सरकार की पॉलिसी पर सवाल भी करते हैं। आप उन्हें देश के कई अख़बारों में पढ़ते हैं और टीवी पर देखते हैं।
नई दिल्ली। “कृषि में पढ़ाई करने के बाद मैंने 10 साल तक खेती-किसानी पर देशभर में कृषि पत्रकारिता की। मुझे समझ आया, जो पढ़ाया गया था जमीन पर हकीकत कुछ अलग थी, जिसके बाद मैंने सक्रिय पत्रकारिता छोड़ पूरी तरह किसानों के मुद्दों पर शोध और काम करना शुरु कर दिया।” देविंदर शर्मा कहते हैं।
देश के प्रख्यात खाद्य और निवेश नीति विशेषज्ञ देविंदर शर्मा तीन दशक से ज्यादा समय से इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। कृषि में मास्टर करने के बाद उन्होंने देश के सबसे चर्चित और प्रतिष्ठित अंग्रेजी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस में राष्ट्रीय कृषि पत्रकार के रुप में अपने कैरियर की शुरुआत की। इस दौरान कई ख़बरें ब्रेक की, जिन पर राष्ट्रीय स्तर पर बहस हुई और सरकारों ने कार्रवाई की। 1993 में प्रकाशित गोबर आयात की ख़बर पर खूब हंगामा हुआ और अंतत: सरकार को इस पर रोक लगानी पड़ी।
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देविंदर शर्मा बताते हैं, “पत्रकारिता के दौरान मैं कई-कई महीने फील्ड में रहता था, एक सिरीज पर रिपोर्ट के लिए मैं एक बार तीन महीने, उस दौर में पूरे देश घूमा। अलग-अलग क्षेत्रों के किसान, विश्वविद्यालयों के शोध संस्थानों के वैज्ञानिकों से बात की, तब तीन सीरीज की रिपोर्ट तैयार हुई। उस जमाने में कोई ख़बर लिखने के लिए काफी शोध करना पड़ता था। आज तो एक रिपोर्टर कुछ ही घंटों में पर्यावरण या किसी भी गंभीर मुद्दे पर कुछ ही घंटों में ख़बर लिख देता है।”
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए वो कहते हैं, “ पत्रकारिता के दौरान मुझे अहसास हुआ कि जो कॉलेज और विश्वविद्याल में पढ़ा जमीनी हकीकत उससे अलग है। इस मुद्दे को और गंभीरता से उठाए जाने की जरुरत थी, इसलिए मैंने सक्रिय पत्रकारिता छोड़ मुद्दों पर काम और शोध शुरु कर दिया।’
If Surge Pricing is right then what's wrong with Food Inflation? Sharing my article again. Economist say that both are linked to demand and supply. So why should one be correct, another wrong? https://t.co/3TvqE7s6Fz
— Devinder Sharma (@Devinder_Sharma) December 2, 2017
जिसके बाद उन्होंने काफी समय तक खाद्य सुरक्षा, गरीबी, जैव विविधता, पर्यावरण और विकास, सस्टेनेबल एग्रीकल्चर, बौद्धिक संपदा अधिकारों, बॉयो तकनीक और भूखमरी, फ्री ट्रेड और विकासशील देशों पर उसके प्रभाव जैसे मामलों पर शोध किया।
वर्तमान में देविंदर शर्मा अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों का स्थानीय सरोकारों के नजरिए से विश्लेषण करने के लिए जाने जाते हैं। उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह वैश्विक समझौतों व संधियों को आसान शब्दों और आम जनता की भाषा में सरलता से समझा देते हैं। देविंदर देश के लाखों किसानों को जीविका की सुरक्षा मुहैया कराने व समाज के हाशिए पर जीवन व्यतीत करने वाली जनता के अधिकारों के लिए हमेशा संघर्ष करते रहे हैं। पिछले दिनों नोएडा में आयोजित विश्व जैविक कृषि कुंभ में उन्हें 99 फीसदी लोगों की आवाज़ कहा गया।
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देश की सबसे बड़ी आबादी किसान और ग्रामीणों की आवाज़ बनने के लिए देविंदर शर्मा को कई सम्मान और पुरस्कारों से नवाजा गया है। उन्हें हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पालमपुर ने प्रोफेसर एट लार्ज की मानद उपाधि दी है। वह सरदार पटेल यूनिवर्सिटी ऑफ पुलिस, सिक्युरिटी एंड क्रिमिनल जस्टिस, जोधपुर में विजिटिंग प्रोफेसर रह चुके हैं। फिलिपींस स्थित इंटरनेशल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट के विजिटिंग फेलो रह चुके थे। नारविच, ब्रिटेन की ईस्ट एंगिला यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ डेवेलपमेंट स्टडीज और यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के विजिटिंग फेलो थे।
देश की मशहूर साप्ताहिक मैगजीन द वीक ने अपने एक स्पेशल इशू में भारत के 25 अहम लोगों की एक लिस्ट छापी थी। इसमें देविंदर शर्मा का उल्लेख करते हुए उन्हें मशहूर अमेरिकी भाषाविद् व विचारक नॉम चोमस्की की तर्ज पर ग्रीन चोमस्की कहकर संबोधित किया था।
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देविंदर शर्मा भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में अगली पंक्ति में खड़े हैं। वह इंडिया अंगेस्ट करप्शन के संस्थापक सदस्य व टीम अन्ना के मेंबर भी रह चुके हैं। इसके साथ ही कालेधन के खिलाफ योगगुरु रामदेव के अभियान में भी शुरुआत में काफी सक्रिय थे।
देविंदर देश-विदेश की कई सिविल सोसायटीज और किसान संगठनों में महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं। उन्होंने 5 किताबें लिखी हैं इनमें से ‘भूख का चेहरा’ और ‘मुट्ठी भर दानों के लिए’ काफी चर्चा में रहीं। देविंदर शर्मा को लगातार देश-विदेश में सेमिनार, समिट और सम्मेलनों में वक्ता के तौर पर आमंत्रित किया जाता है। अकेले अमेरिका और यूरोप के कॉलेज और यूनिवर्सिटी में 50 से ज्यादा बार लोगों को संबोधित कर चुके हैं। देश-विदेश के अनुभव और एग्रीकल्चर प्रैक्टिस को बारीकी से समझने के साथ ही आप इन्हें देश के आम किसानों तक लेख की शक्ल में आमजन के बीच साझा करते रहते हैं।
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(गांव कनेक्शन में जमीनी हकीकत देविंदर शर्मा का लोकप्रिय कॉलम है, गांव कनेक्शऩ में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...)
गांव कनेक्शन के 5 वर्ष पूरे होने पर बोले देविंदर शर्मा
आज जब मुख्यधारा के अखबारों से ग्रामीण भारत गायब हो चुका है, गांव कनेक्शन गांव की मिट्टी की सौंधी खुशबू का एक झोंका जैसा है। सही मायनों में गांव कनेक्शन शहरी भारत और 6.4 लाख गांवों को जोड़ने वाला पुल है। ग्रामीण भारत की आवाज बनने की पहल करके गांव कनेक्शन ने एक साहसी कदम उठाया था।
5 बरस की छोटी सी अवधि में गांव कनेक्शन ने जो उन्नति की है उससे जाहिर होता है कि आज के गांव भूले-बिसरे नहीं हैं बल्कि जीवन के रंगों से भरपूर और बदलाव की बयार के लिए बेताब हैं। गांव कनेक्शन हमें हर रोज इसी रोमांचक दुनिया की झलक दिखाता है जहां न केवल देश की 70 फीसदी जनसंख्या बसती है, बल्कि सपने भी देखती है। मैं गांव कनेक्शन को उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
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