गाँव कनेक्शन विशेष सीरीज : आजादी की डगर पे पांव

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
गाँव कनेक्शन विशेष सीरीज : आजादी की डगर पे पांवस्वतंत्रता दिवस पर ख़ास : आजादी की डगर पे पांव

उठो-उठो सो रहे हो नाहक, पयाम-ए-बांगे जरस तो सुन लो

बढ़ो कि कोई बुला रहा है निशाने-मंजिल दिखा-दिखा कर

देश में आजादी का बसंत लाने के लिए लाखों भारतीयों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। तब फिरंगी हुकूमत के बर्बरतापूर्वक दमन का उसी की भाषा में जवाब देने के लिए नौजवानों का खून खौल उठा था। क्रांतिवीरों के लगातार बलिदान होने का सिलसिला जारी रहा। उस दौर के साहित्य और समाचार पत्रों ने अपनी जबरदस्त भूमिका का निर्वहन करते हुए निरन्तर आजादी की भावना की मशाल को जलाए रखा, लेकिन आजादी का दिन कहे जाने वाले 15 अगस्त 1947 के बाद क्रांतिकारियों के सपनों का भारत बनाने के बजाय उन अनगिनत शहीदों के संघर्षो, त्याग, बलिदानों और सपनों को भुला दिया गया।

आजादी के 70 साल बाद हालत यह हो गई है कि नई पीढ़ी अपने क्रांतिधर्मी लड़ाका पुरखों का नाम तक नहीं जानती। स्कूली पाठ्य पुस्तकों से भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन का इतिहास ही नदारद है। भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के महानायकों की कीर्ति रक्षा के लिए ही यह यात्रा निकाली जा रही है। आठ दिनी यात्रा का विवरण नीचे है।

उद्घाटन देवरिया से

इस यात्रा का विधिवत उद्घाटन देवरिया जिले के सरयू तट पर बरहज आश्रम में होगा। दोपहर एक बजे यहां क्रांतिवीर रामप्रसाद बिस्मिल की मज़ार पर सलामी होगी। स्वाधीनता आंदोलन की गवाही के केन्द्र चौरीचौरा स्मारक पर माल्यार्पण किया जाएगा और रात्रि पड़ाव गोरखपुर में होगा।

दूसरा दिन: गोरखपुर

दूसरे दिन सुबह गोरखपुर जेल में रामप्रसाद बिस्मिल शहादत स्थल पर कार्यक्रम के बाद गोरखपुर विश्वविद्यालय में कार्यक्रम आयोजित होगा। गोरखपुर की सरजमीं पर आजादी के परवानों के आगे फांसी के तख्ते कम पड़ गए थे। तब अंग्रेजों ने बर्बरता दिखाई और कई दरख्तों पर लोगों को फंदों से लटका दिया। खूनीपुर में गंजे शहीदां की मजार वह निशानी है जो अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता का अहसास कराती है। क्रांतिकारी सरफराज अली की तलाश में अंग्रेजों ने मुहल्ला सौदागरा में छापा मारा। वह नहीं मिले तो मुहल्ले में तबाही मचाकर उनके करीबी होने के शक में 300 लोगों को पकड़ ले गई। इन्हें पुरानी जेल के पाकड़ पर फांसी दे दी गई। कोतवाली में सरदार अली खां की मजार यह याद दिलाती है कि अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जाने की वजह से उन्हें और उनके परिवार के कई लोगों को शहादत देनी पड़ी। पहली जंगे आजादी के इस दीवाने की मज़ार आज भी कोतवाली में मौजूद है। उनकी मज़ार के आसपास परिवार वालों की भी मज़ारें हैं। यात्रा के दौरान गोरखपुर कोतवाली होते हुए सहजनवा ट्रेन ऐक्‍शन की याद में भी एक प्रोग्राम रखा गया है।

तीसरा दिन: लखनऊ से शाहजहांपुर वाया हरदोई

शाम को क्रांतिवीर राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी के शहादत स्थल गोंडा जेल में कार्यक्रम के बाद यात्रा का रात्रि पड़ाव लखनऊ में होगा। तीसरे दिन सुबह लखनऊ विश्वविद्यालय में स्थापित चन्द्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर माल्यार्पण, जीपीओ कीर्ति स्तम्भ पर माल्यार्पण होगा। कैन्ट रोड पर दुर्गा भाभी ने 1940 में मान्टेसरी स्कूल की स्थापना की थी और उनकी प्रेरणा से ही उनके निवास पर शहीद स्मारक एवं स्वतंत्रता संग्राम शोध केन्द्र की शुरुआत हुई। यहां भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के नायकों से जुड़े कई दस्तावेज अपने वास्तविक स्वरूप में मौजूद हैं। दुर्गा भाभी के स्कूल शहीद स्मारक पर जाने के बाद इस यात्रा का स्वागत शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय द्वारा किया जाएगा। काकोरी स्मारक पर काकोरी केस के नायक रामकृष्ण खत्री के पुत्र उदय खत्री की अगुवाई में प्रोग्राम होगा। इस दिन लखनऊ विवि के आधुनिक इतिहास के प्रो. प्रमोद कुमार, आजादी योद्धा गेंदालाल दीक्षित के प्रपौत्र डा. मधुसून दीक्षित भी शामिल होंगे।

यात्रा के अगले पड़ाव हरदोई में मशहूर क्रांतिकारी जयदेव कपूर के सुपुत्र कमल कपूर आगवानी करेंगे। उनके पास सरदार भगत सिंह के जूते और वह ऐतिहासिक घड़ी आज भी मौजूद है जो भगत सिंह ने संसद में बम फेंकने से पहले अपने साथी जयदेव कपूर को सौंपे थे। बताया जाता है कि यह घड़ी प्रसिद्ध क्रांतिकारी रासबिहारी बोस ने अपने दाहिने हाथ शचीन्द्रनाथ सान्याल को दी थी जिसे बाद में उन्होंने भगत सिंह को तोहफ़े में दे दिया। यहां से आगे बढ़ने पर हरदोई जिले के शाहबाद कस्बे में आम नागरिकों द्वारा यात्रा का स्वागत किया जाएगा। शाम को यात्रा शाहजहांपुर पहुंचेगी।

शाहजहांपुर में पहली जंग-ए-आजादी के महानायक मौलवी अहमदुल्लाह शाह की मज़ार पर गुलपोशी की जाएगी। बताते चलें कि 1857 में इस योद्धा पर पचास हजार रुपये का इनाम था। इसके बाद मिशन स्कूल, आर्य समाज मंदिर, अशफाक की मज़ार पर सलामी के बाद शहर में एक मुक्‍त सम्मेलन होगा जिसमें अमर शहीद अशफाक के पौत्र शामिल होंगे, साथ ही रात्रि पड़ाव भी यहीं होगा।

चौथा दिन: बरेली और मैनपुरी

चौथे दिन यात्रा सुबह बरेली जाएगी जहां बारहठ स्मारक, जेल, और शहर में प्रसिद्ध क्रांतिकारी लेखक सुधीर विद्यार्थी की अगुवाई में प्रोग्राम होगा। दरअसल, आजादी आंदोलन में शाहपुरा के बारहठ परिवार के तीन वीरों ने बलिदान दिया था। भारत के प्रसिद्ध ‘बनारस षड्यंत्र केस’ में अमर शहीद क्रांतिकारी प्रतापसिंह बारहठ ने 24 मई 1918 को बरेली केंदीय कारागार में शहादत दी थी। इसी केस में बांस बरेली के सरदार क्रांतिकारी दामोदर स्वरूप सेठ को सजा हुई थी। इसी जेल में बंद रहे काकोरी केस के बंदी क्रांतिकारियों की ऐतिहासिक भूख हड़ताल हुई थी। बरेली के बाद यात्रा का फतेहगढ़ में स्वागत किया जाएगा। उत्तर भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारी योगेश चंद्र चटर्जी, शचीन्द्रनाथ सान्याल, जयचंद्र विद्यालंकार, काकोरी काण्ड के मन्मथनाथ गुप्त, क्रांतिकारी रमेशचंद्र गुप्त, यशपाल, कानपुर सिटी बम केस के अनंतराम श्रीवास्तव और यहां के केंद्रीय कारागार, फतेहगढ़ में शहादत देने वाले मणीन्द्रनाथ सहित आजादी के भूले-बिसरे जन नायकों को याद किया जाएगा। इसके बाद यात्रा शहीद नगरी बेवर, मैनपुरी जाएगी जहां शहीद मंदिर पर विविध आयोजन होंगे तथा यात्रा का रात्रि पड़ाव इटावा में होगा।

पांचवां दिन: इटावा और कानपुर

पांचवें दिन सुबह इटावा में 1857 के नायकों की याद में एक प्रोगाम के बाद औरैया में जंग-ए-आजादी के क्रांतिकारियों के द्रोणाचार्य के नाम से मशहूर गेंदालाल दीक्षित की प्रतिमा से सुभाष चंद्र बोस चौराहे तक मार्च किया जाएगा तथा शहर मुख्यालय पर ही भारतवीर मुकंदीलाल गुप्ता की याद में प्रोग्राम होगा। इसी दिन कानपुर के डीएवी स्कूल में स्वागत और सरदार भगत सिंह के पार्टी केन्द्रों के चीफ रहे डॉ. गया प्रसाद कटियार के बेटे क्रांतिकुमार की अगुवाई में क्रांतिकारियों के हमदर्द रहे मिशनरी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी के प्रताप प्रेस के सामने गणेश शंकर विद्यार्थी पार्क में सभा होगी। यहीं रात्रि पड़ाव होगा।

छठवां दिन: बदरका से इलाहाबाद

छठवें दिन क्रांतिवीर आजाद के पुश्तैनी गांव बदरका में प्रोग्राम होगा तथा रात्रि पड़ाव इलाहाबाद में होगा। सातवें दिन सुबह इलाहाबाद में मलाका जेल (अब हास्पिटल) में रहे शहादत स्थल पर पहुंच कर ठाकुर रोशन सिंह को सलामी दी जाएगी। इसके बाद अल्फ्रेड पार्क में आजाद को सलामी दी जाएगी तथा रसूलाबाद घाट पर बने स्तम्भ पर माल्यार्पण किया जाएगा। 4 बजे शाम बनारस पहुंचने पर काशी विद्यापीठ के प्रसिद्ध भारत माता मंदिर परिसर में विधिवत स्वागत होगा।

सातवां दिन: बनारस

इसके बाद काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र एवं साझा संस्कृति मंच से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा बीएचयू गेट पर कार्यक्रम होगा। गौरतलब है कि दो बार कालापानी की सजा पाने वाले शचीन्द्रनाथ सान्याल, काकोरी ट्रेन के नायक शचीन्द्र नाथ बख्शी, बीएचयू के एमए के छात्र राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी और सतीश सिंह, काशी विद्यापीठ के छात्र मुरारी लाल शर्मा, बनारस के प्रसिद्ध तैराक केशव चन्द्र चक्रवर्ती, कुंदनलाल, मन्मथनाथ गुप्त, रामकृष्ण खत्री और चन्द्रशेखर आजाद आदि चोटी के क्रांतिकारियों का ठिकाना बनारस रहा है। यहीं पर आज़ाद पहली और आखिरी बार जेल गए थे। वही साधु रामकृष्ण खत्री को पार्टी में लाए थे। यहां के कार्यक्रम में आज़ाद के नजदीकी रहे पं. शिव विनायक मिश्र जी के वंशज भी शिरकत करेंगे।

आठवां दिन: फ़ैज़ाबाद और अयोध्‍या

आठवें दिन 92वें काकोरी ऐक्‍शन की पूर्व संध्या पर फैजाबाद जेल में शहीद-ए-वतन अशफाक को सलामी दी जाएगी। यात्रा समापन के बाद काकोरी ऐक्‍शन डे पर तीन दिनी 11वां अयोध्या फिल्म फेस्टिवल शुरू होगा। यह फेस्टिवल अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद के विशाल स्वामी विवेकानंद सभागार में होगा जिसमें सरोकारी शख्सियतें हिस्सा लेंगी। आप सबसे सहयोग और शिरकत की दरकार है।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिएयहांक्लिक करें।

             

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.