बजट-2018 की घोषणाओं और योजनाओं का किसानों ने किया स्वागत लेकिन अब ज़मीन पर उतरने का है इंतज़ार

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बजट-2018 की घोषणाओं और योजनाओं का किसानों ने किया स्वागत लेकिन अब ज़मीन पर उतरने का है इंतज़ारपढ़िए क्या कहा हरियाणा  के किसानों ने 

गांव कनेक्शऩ के लिए अमित की रिपोर्ट

हर साल बजट आता है। हम साल इस इंतज़ार में रहते हैं कि क्या सस्ता होगा और क्या महंगा? इस सब के साथ ही पिछले कुछ समय से इस बात की चर्चा भी जोर-शोर से होने लगी है कि बजट में किसानों को क्या मिला? अब इस प्रश्न पर टीवी स्टूडियोज़ में बैठे विशेषज्ञ क्यों बताएं? बजट में कृषि को क्या मिला और क्या वे इससे खुश हैं, यह जानने के लिए हम पहुँचे देश की संसद से 53 किलोमीटर दूर हरियाणा के सोनीपत जनपद के छतेरा गाँव में।

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यहाँ हरियाणा के युवा किसान विक्रम (30 वर्ष) मोदी सरकार द्वारा बजट में न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा से खुश हैं और इसका स्वागत करते हुए कहते हैं कि अगर यह लागू होती है तो निश्चित ही किसानों का फायदा होगा।

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लेकिन इसी गांव के जोगिंदर सिंह वित्तमंत्री के इस दावे पर ऐतराज जताते हैं कि रबी की फसलों के एमएसपी में लागत का 50 फीसदी से अधिक लगभग लागू किया जा चुका है। जोगिंदर का कहना है कि यदि ऐसा ही खरीफ़ की फसलों को लेकर हुआ तो फिर क्या फ़ायदा क्योंकि रबी में मूल्य उचित नहीं मिल रहा है।

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जोगिंदर सिंह और विक्रम प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ ना मिलने और जबदस्ती (अनिवार्य) इसके लिए बैंकों द्वारा प्रीमियम काट लेने से नाराज़ हैं। इनका कहना है कि अगर किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) ले रखा है तो बैंक अपने-आप फसल बीमा का पैसा काट तो लेती है लेकिन पिछले जब इनकी फसल बर्बाद हुई तो मुआवज़ा नहीं मिला।

   

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