गांव का एजेंडा: प्रिय अमित शाह जी, डिजिटल इंडिया के साथ बढ़ रहा साइबर क्राइम

गांव का एजेंडा: प्रिय अमित शाह जी, डिजिटल इंडिया के साथ बढ़ रहा साइबर क्राइम

गाँव कनेक्शन केन्द्र की नई मोदी सरकार के सामने गाँवों के उन मुद्दों को प्रस्‍तुत कर रहा है जिनसे देश की एक तिहाई आबादी हर रोज जूझती है। गांव कनेक्‍शन की इस स्‍पेशल सीरिज में गांव के वो तमाम एजेंडे शामिल हैं, जिनसे ग्रामीण दो चार हुआ करते हैं।

Ranvijay Singh

Ranvijay Singh   10 Jun 2019 11:02 AM GMT

वर्ष 2018 में यूपी के हमीरपुर जिले के इसूली गाँव में अवधेश यादव के दरवाजे पर एक चमचमाती कार रुकती है। चार लोग सूट-बूट में कार से उतरते हैं और अवधेश से बोलते हैं, 'हम लखनऊ से आए हैं, सबको आवास और शौचालय देने। आप और गाँव वाले आधार कार्ड लेकर आएं, उससे वेरिफिकेशन होगा।' इसके बाद गाँव वाले आधार देते गए और एक थंब इंप्रेशन (अंगूठा लगाने की मशीन) मशीन पर अंगूठा लगाते गए और इस तरह इन सभी लोगों के बैंक खातों से पैसे कट गए। ऐसी ही घटना इसूनी गाँव के पास के दो गाँवों में भी हुई। बाद में पता चला जालसाजों ने आधार इनेबल्‍ड पेमेंट सर्विस (AEPS) का प्रयोग करके खातों से पैसे निकाल लिए थे।

जैसे-जैसे भारत का डिजिटलीकरण हो रहा है, इसी के साथ-साथ साइबर क्राइम की घटनाएं भी बढ़ रही हैं, और खास करके ग्रामीणों को आसानी से शिकार बनाया जा रहा है।

नेशनल काइम रिकॉर्ड्स ब्‍यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार 2010 से लेकर 2016 तक साइबर क्राइम के मामले 966 से बढ़ कर 12,317 हो गए, यानि इसमें 1175 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। ये आंकड़े यह दिखाते हैं कि देश में साइबर क्राइम किस तेजी से बढ़ रहा है।

29 अप्रैल 2016 को सरकार की ओर से राज्यसभा में दिए गए एक जवाब में पता चला कि 2014-15 और 2015-16 (दिसंबर 2015 तक) के दौरान बैंकों द्वारा स्वचालित टेलर मशीन (एटीएम), क्रेडिट/डेबिट कार्ड और नेट बैंकिंग धोखाधड़ी संबंधित 13,083 एवं 11,997 मामले दर्ज किए गए।

1. साइबर फ्राड से लोगों को जागरुक करने के लिए सिस्टम नहीं :

साइबर एक्‍सपर्ट चातक बाजपेई का मानना है कि आने वाले वक्‍त में इस तरह के अपराधों में और तेजी आएगी। वह बताते हैं, "पहले जब साइबर क्राइम शुरू हुए तो बहुत बेसिक स्‍तर पर थे, लेकिन अब यह स्‍थ‍िति तेजी से बदली है। इससे निपटने के लिए बहुत काम किया जा रहा है। काम ज़मीन पर दिखता भी है, लेकिन हमें आज से आगे का सोच कर काम करने की जरूरत है। जैसे-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के लिए हमें तैयारी करनी चाहिए, क्‍योंकि इसकी वजह से ऐसे क्राइम और बढ़ेंगे।''

चातक बाजपेई कहते हैं, ''कोई भी साइबर अपराधी सीधे लोगों से संपर्क करता है। अगर लोगों को जागरुक किया जाए तो इन मामलों में काफी कमी आ सकती है। इसलिए लोगों को जागरुक करने की दिशा में काम करना चाहिए।''


लोगों को साइबर क्राइम के प्रति जागरूक करने को लेकर उत्‍तर प्रदेश के साइबर क्राइम सेल के एसपी घुले सुशील चंद्रभान भी इत्तेफाक रखते हैं। वह कहते हैं, ''इन अपराधों के प्रति लोगों को जागरूक करना जरूरी है। साइबर क्राइम से बचाव के लिए सबसे महत्‍वपूर्ण लोगों को जागरूक करना है। लोगों को एटीएम कार्ड, वन टाइम पासवर्ड, फर्जी फोन कॉल के जरिए होने वाले फ्रॉड को लेकर सचेत किया जाए तो बेहतर तस्‍वीर नजर आएगी। इस तरह की जानकारी गाँव-गाँव तक पहुंचानी होगी।"

2. आईटी कानून में बदलाव की जरूरत:

साइबर क्राइम के मामलों में कई बार कानूनी तौर पर भी हम बहुत पिछड़ जाते हैं। साइबर एक्‍सपर्ट रक्ष‍ित टंडन बताते हैं, ''सूचना तकनीक कानून में वर्ष 2008 में संसोधन हुआ था। इसके बाद से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ। यह सोचने वाली बात है कि तब से लेकर अब तक कितना कुछ बदला है। खास तौर पर ऑनलाइन फ्रॉड के तरीकों में बहुत बदलाव आया है। ऐसे में कानून को भी इस हिसाब से बदलने की जरूरत है।''

रक्ष‍ित टंडन कहते हैं, ''आज साइबर बुलिंग के लिए कोई कानून नहीं है। वॉट्सऐप जैसी कंपनी को डील करने के लिए कोई खास कानून नहीं है। आज की जरूरत है डेटा प्रोटेक्शन बिल, उसे भी लाना चाहिए।'' हालांकि रक्ष‍ित गृह मंत्रालय द्वारा साइबर क्राइम के लिए हर राज्य में अलग से लैब बनाया जाना अच्छा कदम मानते हैं, ऐसे ही और काम किए जाएं तो अच्‍छा होगा।"

साइबर कानून में संसोधन की बात को मध्‍य प्रदेश पुलिस में नारकोटिक्स के एडीजी वरुण कपूर भी मानते हैं। वो कहते हैं, ''आईटी एक्‍ट सिर्फ साइबर क्राइम के लिए नहीं है, उसमें कुछ धाराएं हैं जो साइबर क्राइम को डील करती हैं। जरूरत है कि एक अलग से कानून बने जो साइबर क्राइम को डील करे। मुझे विश्‍वास है कि ऐसा कानून जल्‍द ही आएगा। ऐसे कानून की अभी जरूरत है।''

3. शिकायत दर्ज करने की प्रकिया आसान नहीं:

कानून के साथ ही साइबर अपराधों के मामले में शिकायत दर्ज़ करने की प्रकिया को आसान करने की जरूरत है। इसे लेकर साइबर एक्‍सपर्ट रक्ष‍ित टंडन कहते हैं, ''साइबर अपराधों की शिकायत और उसकी प्रकिया को चेक करने की सुविधा ऑनलाइन होनी चाहिए। इसमें दो तरीके के सेल होने चाहिए। पहला इमरजेंसी सेल और दूसरा इन्वेस्टिगेशन सेल। अगर कोई अपराध तुरंत दर्ज़ किया जाए तो उसे इमरजेंसी सेल में लेकर उस पर तत्‍काल कार्रवाई करनी चाहिए। इससे पीड़ित को राहत मिल सकेगी। वरना अपराध दर्ज़ करने में हुई देरी की वजह से कई बार पैसा वापस भी नहीं मिल पाता।''


साइबर अपराध कितनी बड़ी चुनौती है यह दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा कमीशन की एक रिपोर्ट से समझा जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, 2013 में भारत में 4 बिलियन डॉलर (24,630 करोड़ रुपए) की लागत के साइबर अपराध हुए हैं।

2011 से लेकर 2016 के बीच साइबर सुरक्षा अपराधों, जैसे स्कैनिंग, दुर्भावनापूर्ण कोड शुरू करने, वेबसाइट में अनधिकार प्रवेश करना और सेवा से वंचित करने जैसे अपराधों में 76 फीसदी की वृद्धि हुई है। 2011 में ऐसे मामलों की संख्या 28127 थी जबकि 2016 में यह बढ़ कर 49455 हुआ है।

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