जुलाई-सितंबर में GDP गिरकर 4.5 फीसदी हुई, 6 साल में सबसे बड़ी गिरावट

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जुलाई-सितंबर में GDP गिरकर 4.5 फीसदी हुई, 6 साल में सबसे बड़ी गिरावट

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर महीने का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ग्रोथ रेट घटकर 4.5 फीसदी पर आ गया है। यह बीते 6 साल में किसी एक तिमाही की सबसे बड़ी गिरावट है। इसके पहले की तिमाही में यह जीडीपी दर 5 फीसदी के स्तर पर था।

मार्च 2013 की तिमाही में भी देश की जीडीपी इसी स्तर पर थी। चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी की दर 5 फीसदी पर थी। इस लिहाज से तीन महीने के अंदर जीडीपी की दर 0.5 फीसदी नीचे आई है।

ये लगातार छठवीं बार है जब जीडीपी में गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2019 की पहली तिमाही में ग्रोथ रेट 8 फीसदी, दूसरी तिमाही में 7 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.6 फीसदी और चाथी तिमाही में 5.8 फीसदी पर थीं। इसके बाद वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी गिरकर पांच फीसदी पर आ गई थी।

देश की आर्थिक स्थिति कैसी है और आने वाले समय कैसी रहेगी इसका अनुमान जीडीपी के आंकड़ों से ही लगाया जाता है। भारत में जीडीपी के आंकड़ों की गणना हर तीसरे महीने यानी तिमाही के आधार पर होती है।

कृषि, खनन, मैन्युफैक्चरिंग, बिजली, कंस्ट्रक्शन, व्यापार, रक्षा और अन्य सेवाओं के प्रदर्शन के आधार पर आंकड़ें जारी किये जाते हैं। और इसे संबंधिक मंत्रालयों से जुटाने के बाद सरकारी संस्था केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) जारी करता है।

शुक्रवार को एनएसओ ने जारी आंकड़ों में बताया कि चालू वित्त वर्ष 2019-20 की जुलाई-सितंबर के दौरान जीडीपी 35.99 लाख करोड़ रुपए थी जो पिछले साल इसी अवधि में 34.43 लाख करोड़ रुपए की थी।

यह भी पढ़ें- कृषि विकास दर 5.1 फीसदी से 2 फीसदी पर पहुंची, GDP 7 साल के सबसे निचले स्तर पर

जुलाई-सितंबर तिमाही में कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन क्षेत्र में 2.1 प्रतिशत और खनन और उत्खनन में 0.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। वहीं विनिर्माण क्षेत्र में इस दौरान 1 प्रतिशत की गिरावट रही। इन तीनों समूह के खराब प्रदर्शन के कारण आर्थिक वृद्धि दर कमजोर रही। इसके अलावा बिजली, गैस, जल आपूर्ति और अन्य उपयोगकी सेवाओं के क्षेत्र में चालू वित्त वर्ष जुलाई-सितंबर तिमाही में 3.6 प्रतिशत और निर्माण क्षेत्र में 3.3 प्रतिशत वृद्धि रहने का अनुमान लगाया गया है। आलोच्य तिमाही में सकल मूल्य वर्द्धन यानी ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) 4.3 प्रतिशत रहा। जबकि एक साल पहले 2018-19 की इसी तिमाही में यह 6.9 प्रतिशत थी।

हालांकि सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन ने कहा है कि तीसरे क्वॉर्टर में जीडीपी रफ्तार पकड़ सकती है। उन्होंने कहा, 'हम एक बार फिर कह रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत बनी रहेगी। तीसरी तिमाही में जीडीपी के रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है।

वित्त मंत्रालय ने भी कहा है कि तीसरी तिमाही से जीडीपी ग्रोथ बढ़ने की उम्मीद है। मंत्रालय ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने इस साल अक्टूबर में अपनी वर्ल्ड इकनॉमिक रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि 2019-20 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.1 प्रतिशत और 2020-21 में 7 प्रतिशत रहेगी।

राजकोषीय घाटा के मोर्चे पर भी बुरी खबर है। 2018-19 के पहले 7 महीनों यानी अप्रैल से अक्टूबर के बीच ही राजकोषीय घाटा मौजूदा वित्त वर्ष के लक्ष्य से ज्यादा हो गया है। पहले 7 महीनों में राजकोषीय घाटा 7.2 ट्रिलियन रुपए (100.32 अरब डॉलर) रहा जो बजट में मौजूदा वित्त वर्ष के लिए रखे टारगेट का 102.4 प्रतिशत है।

  

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