झटपट निपटा लें अपने काम, 26 नवंबर को देश भर में कर्मचारियों की हड़ताल, जानिए कौन-कौन से विभाग के कर्मचारी करेंगे प्रदर्शन
देश की 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों समेत राज्यों के सरकारी महकमों के कर्मचारी संगठन केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ 26 नवंबर को देशव्यापी हड़ताल करने की तैयारी में हैं। ऐसे में कई सरकारी महकमों में कामकाज पूरी तरह ठप रहने की सम्भावना है।
Kushal Mishra 23 Nov 2020 1:58 PM GMT
आने वाली 26 नवंबर को देश भर के कई सरकारी विभागों के कर्मचारी हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं। केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ देश के 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों समेत राज्यों के कई सहयोगी कर्मचारी संगठनों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है।
इस हड़ताल में बैंक, रोडवेज, रेलवे, बीएसएनएल, जीवन बीमा निगम, डाक, पेयजल, बिजली विभाग के कर्मचारियों समेत आशा वर्कर्स, आँगनबाड़ी वर्कर्स, मिड-डे मील और औद्योगिक क्षेत्रों के संगठन भी शामिल रहेंगे। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार की मजदूर और श्रमिक विरोधी नीतियों और किसान विरोधी पारित कानून के खिलाफ भी कई किसान संगठन इस हड़ताल का समर्थन कर रहे हैं।
इस देशव्यापी हड़ताल में देश के 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों और राज्यों के कर्मचारी संगठन समेत संगठित और असंगठित क्षेत्र के संगठनों के शामिल होने से कामकाज पूरी तरह ठप रहने की सम्भावना है।
केंद्रीय श्रमिक संगठनों में शामिल नई दिल्ली में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस के महा सचिव संजय कुमार सिंह 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के कारण ही आज देश भर के कर्मचारी हड़ताल पर जाने को मजबूर हुए हैं। देश के बैंक, रेलवे, रोडवेज के कामकाज को भी सरकार निजी हाथों में सौंपना चाहती है। अब तक श्रमिक संगठनों के विरोध प्रदर्शन के बावजूद सरकार ने कर्मचारियों की आवाज को अनदेखा किया है, लेकिन अब यह हड़ताल आर-पार की लड़ाई होगी।"
संजय कुमार कहते हैं, "हर वर्ग का कर्मचारी चाहे वो किसी भी क्षेत्र का हो, सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों से परेशान है, यही वजह है कि 26 नवंबर की इस देशव्यापी हड़ताल में कोई कर्मचारी संगठन शेष नहीं रह गया है, और किसान संगठनों के शामिल होने से इस हड़ताल को और मजबूती मिली है। इस बार यह हड़ताल भारत बंद नहीं बल्कि महाबंद की तरह होगी।"
इससे पहले हड़ताल को लेकर देश के केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने अक्टूबर में सम्मलेन भी किया। सम्मलेन में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिंद मजदूर सभा, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन, ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर, सेल्फ एम्प्लायड वुमेन्स एसोसिएशन, ट्रेड यूनियन कार्डिनेशन सेंटर, ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन, लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशनल, यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस और स्वतंत्र महासंघों और संघ शामिल हुए।
श्रमिक संगठनों ने अपनी प्रमुख मांगों में सरकारी महकमों का निजीकरण किये जाने, मजदूर-कर्मचारियों के लिए बनाये गए नए श्रम कानूनों को लेकर, ट्रेड यूनियन के अधिकारों को खत्म किये जाने, कर्मचारियों के लिए नयी पेंशन को लागू न करने, किसानों के लिए बनाये गए तीन कृषि कानूनों को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किये हैं।
इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस के अध्यक्ष संजीव रेड्डी 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "देश में केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ यह हड़ताल सिर्फ शुरुवात है। हम आम लोगों को भी बताना चाह रहे हैं कि नए श्रम कानूनों, सरकारी महकमों और निगमों का निजीकरण करने जैसे केंद्र सरकार के फैसलों का क्या असर पड़ सकता है, और अगर सरकार ने हमारी मांगों की अनदेखी करती है तो भविष्य में हमें इसके नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं।"
देश में केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ यह हड़ताल सिर्फ शुरुवात है। हम आम लोगों को भी बताना चाह रहे हैं कि नए श्रम कानूनों, सरकारी महकमों और निगमों का निजीकरण करने जैसे केंद्र सरकार के फैसलों का क्या असर पड़ सकता है, और अगर सरकार ने हमारी मांगों की अनदेखी करती है तो भविष्य में हमें इसके नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं।
संजीव रेड्डी, अध्यक्ष, इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस
वहीं अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस के संयोजक राम सागर 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "इस आम हड़ताल में देश भर के बैंक (एसबीआई को छोड़कर), जीवन बीमा निगम, बिजली, पेयजल, रोडवेज समेत कई सरकारी कर्मचारी और संविदा कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं। इस आम हड़ताल में अगर अधिकारी वर्ग शामिल हैं तो चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी भी शामिल है ताकि वे कम से कम अपनी मांगों को लेकर सरकार से सवाल तो पूछ सके।"
राम सागर बताते हैं, "बॉटलिंग प्लांट के कर्मचारी सगठन, इंडियन आयल कारपोरेशन के कर्मचारी और खदान से जुड़े कई मजदूर संगठन भी अब इस आम हड़ताल में शामिल हो रहे हैं। करीब देश के 20 करोड़ कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल रहेंगे और अपनी मांगों के खिलाफ आवाज उठाएंगे। हम चाहते हैं कि सरकार देश के हर वर्ग के कर्मचारियों से उठ रही आवाज को सुने।"
26 नवंबर को किसानों का 'दिल्ली चलो' मार्च
केंद्र सरकार की ओर से लाये गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति, राष्ट्रीय किसान महासंघ और भारतीय किसान संघ ने कई संगठनों के साथ मिलकर इन कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा बनाया है। इस मोर्चे की बैठक के बाद 26 नवंबर को दिल्ली चलो मार्च का ऐलान किया है जहाँ संगठन से जुड़े लोग केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ धरना प्रदर्शन करेंगे।
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