हरी सब्जियां ला रही ग्रामीण महिलाओं के जीवन में खुशहाली

स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं सब्जियों का उत्पादन कर रही हैं और आवासीय विद्यालयों में सप्लाई कर रही हैं। इससे मध्यान्ह भोजन में बच्चों के खाने में हरी ताजा सब्जियां मिल रही हैं और महिलाओं रोजगार का जरिया।

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   17 July 2018 5:13 AM GMT

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हरी सब्जियां ला रही ग्रामीण महिलाओं के जीवन में खुशहालीसाभार इंटरनेट

जशपुर(छत्तीसगढ़)। ग्रामीण महिलाओं को रोजगार देने के लिए यहां की डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर(डीसी) ने एक अनूठी मुहीम शुरू की है। डीसी के सहयोग से स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं सब्जियों का उत्पादन कर रही हैं और आवासीय विद्यालयों में सप्लाई कर रही हैं। इससे मध्यान्ह भोजन में बच्चों के खाने में हरी ताजा सब्जियां मिल रही हैं और महिलाओं रोजगार का जरिया। इस मुहीम को जश-फ्रेश नाम दिया गया है।

जशपुर की जिला कलेक्टर प्रियंका शुल्का ने यहां की ग्रामीण महिलाओं को रोजगार देने की लिए अनूठा प्रयोग शुरू किया है। उन्होंने जिले की कुछ ऐसी महिलाओं को सब्जी की खेती के लिए तैयार किया है जो स्वयं सहायता समुहों से जुड़ी हैं। जिले के दुलदुला और कांसाबेल ब्लॉक की भगतवी सहायता समूह की 10 और जागृति सहायता समूह की 12 महिलाएं इस कार्य को कर रही है। भगवती सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं 13 एकड़ और जागृति सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं 15 एकड़ में सब्जियों की खेती कर रही है। इन सब्जियों को वो उन स्कूलों में बेच रही हैं जहां मिड डे मील संचालित होता है। इसके साथ ही 22 आवासीय विद्यालयों में भी इनकी सब्जी जा रही है।

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प्रियंका शुक्ला, डिस्ट्रीक्ट कलेक्टर जशपुर

जश-फ्रेश के माध्यम से जिले की महिला स्वयं सहायता समूहों के सशक्तिकरण और छात्रों में शुद्ध भोजन मुहैया कराने के लिए इस पहल की शुरुआत की गई है। इसके साथ ही जिले के एक ब्रांड को स्थापित करने का प्रयास है। हमें पूरी उम्मीद है कि इसका सुखद परिणाम हमें जश-फ्रेश को और आगे बढ़ाने में प्रेरित करेगा।

प्रियंका शुक्ला, डिस्ट्रीक्ट कलेक्टर जशपुर

बच्चों को मिल रहा स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन

इस पूरी कवायद का लाभ स्वयं सहायता समूह जुड़ी महिलाओं के साथ-साथ बच्चों को भी मिल रहा है। बच्चों को अब ताजी और शुद्ध सब्जियों से बने पकवान खाने को मिल रहे हैं जो उनके सेहत के लिए फायदेमंद हैं। बच्चों में भी अब मिड डे मील खाने की उत्सुक्ता बनी रहती है। स्कूल प्रबंधन को भी स्कूल में ही अच्छे दाम पर ताजी सब्जियां मिल रही हैं। इससे उनके पैसे और समय की बचत हो रही है। वर्तमान समय में ये महिलाएं करीब तीस एकड़ नें सब्जियों की खेती कर रही हैं। रोजाना करीब ढाई क्विंटल सब्जियों का उत्पादन हो रहा है। इस सब्जियों को एक दिन के अंतराल पर बेचकर समूह को प्रतिदिन पांच से सात हजार रुपए की आय हो रही है। आने वाले समय में खेती का दायरा और बढ़ाने की योजना है, जिससे ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को इस मुहीम से जोड़ा जा सके और ज्यादा लाभ प्राप्त किया जा सके।

जागृति सहायता समूह से जुड़ी हीरावती (30वर्ष) का कहना है," स्वयं सहायता से जुड़कर हम लोगों का जीवन स्तर काफी बदल गया है। हमारे पास कोइ्र काम नहीं था, एेसे समूह के लोगों ने हमें सब्जी की खेती करने की सलाह दी। समूह से जुड़ी ११ महिलाएं सब्जी उगाती हैं और आवासीय स्कूलों में इसे बेचती हैं। हम लोगों को अच्छा मुनाफा मिल रहा है।"


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