भारत के लिए खुशखबरी : एम्स के निदेशक बोले – जनवरी तक मिल सकती है कोरोना वैक्सीन

भारत में कोरोना वैक्सीन को लेकर इंतजार जल्द ख़त्म हो सकता है। एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भारत में दिसम्बर के अंत तक या जनवरी की शुरुआत में कोरोना वैक्सीन की इमरजेंसी अप्रूवल मिलने की उम्मीद जताई है।

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corona vaccine, gaon connection survey on covid vaccine, what rural india think about covid vaccineभारत में जनवरी तक कोरोना वैक्सीन मिलने की उम्मीद। फोटो साभार : बिज़नस स्टैण्डर्ड

ब्रिटेन में फाइजर की कोरोना वैक्सीन की इमरजेंसी मंजूरी मिलने के ठीक एक दिन बाद एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भारत में भी दिसम्बर के अंतिम दिनों या जनवरी की शुरुआत तक कोरोना वैक्सीन आने की उम्मीद जताई है। ऐसे में भारत में कोरोना वैक्सीन को लेकर इंतजार जल्द ही थम सकता है।

एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने आज कहा, "भारत में अब हमारे पास ऐसी कोरोना वैक्सीन हैं जो अंतिम परीक्षण चरण में हैं। उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक या अगले महीने की शुरुआत में हमें भारतीय नियामक अधिकारियों से कोरोना वैक्सीन के लिए इमरजेंसी अप्रूवल मिल सकता है और इसके बाद टीकाकरण शुरू किया जा सकेगा।"

भारत में इस समय पांच फार्मा कंपनियां कोरोना वैक्सीन को लेकर अंतिम चरणों के ट्रायल में हैं। इसमें सबसे पहला नाम पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया की वैक्सीन कोवीशील्ड का है। इस वैक्सीन को बना रही ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने 23 नवम्बर को इस वैक्सीन के 70 से 90 फीसदी तक असरदार होने का दावा किया था।

नयी दिल्ली के एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, "कोरोना वैक्सीन के लिए कोल्ड चेन बनाए रखने और उपयुक्त स्टोर हाउस उपलब्ध होने के साथ-साथ रणनीति विकसित करने, टीकाकरण और इंजेक्शन की उपलब्धता को लेकर केंद्र और राज्य स्तर पर युद्ध स्तर पर काम चल रहा है। इससे टीकाकरण वितरण योजना को रफ़्तार मिल सकेगी।"

"शुरुआत में कोरोना वैक्सीन सभी को देने के लिए पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होगा। हमें यह देखने के लिए एक प्राथमिकता सूची की आवश्यकता है कि हम उन लोगों का टीकाकरण करें जिनके पास कोरोना संक्रमण के कारण मरने की संभावना अधिक है। बुजुर्ग और फ्रंट लाइन वर्कर्स वाले लोगों पहली प्राथमिकता होंगे, जिन्हें पहले टीका लगाया जाना चाहिए," डॉ. रणदीप गुलेरिया ने आगे कहा।

अभी भारत में कोरोना वैक्सीन के लिए काम कर रहीं फार्मा कंपनियों में सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन कोवीशील्ड का नाम आता है। इसे ब्रिटेन में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी आस्ट्राजेनेका कंपनी के सहयोग से वैक्सीन बना रही है। इस वैक्सीन से भारत के सीरम इंस्टीट्यूट से जुड़े होने के कारण मिली सफलता को भारत के लिए खास माना जा रहा है।

जबकि इसके बाद भारत में कोरोना वैक्सीन को लेकर तेजी से काम कर रही कंपनी भारत बायोटेक है। इस कंपनी ने अपनी कोरोना वायरस वैक्सीन कोवाक्सिन को लेकर तीसरे चरण का ट्रायल 16 नवंबर से शुरू कर दिया है। हालांकि इस वैक्सीन के अगले साल दूसरी तिमाही तक आने की संभावना जताई गयी है।

इसके अलावा रूस में कोरोना वायरस वैक्सीन स्पुतनिक-5 तैयार की जा रही है और भारत में डॉ. रेड्डी फार्मा कंपनी इस वैक्सीन का परिक्षण कर रही है। साथ ही अहमदाबाद की जायडस कैडिला कंपनी की वैक्सीन है जिसने अब तक दूसरे चरण का ट्रायल पूरा कर तीसरे चरण के ट्रायल शुरू कर दिया है। इसके अलावा हैदराबाद के बायोलॉजिकल ई की वैक्सीन भी है।

इससे पहले दो दिसम्बर को ब्रिटेन में नागरिकों को फाइजर फार्मा कंपनी की वैक्सीन लगाये जाने की इमरजेंसी अप्रूवल मिल चुकी है। अगले सप्ताह से कोरोना वैक्सीन को लेकर टीकाकरण शुरू किया जा सकता है। ऐसे में फाइजर को कोरोना वैक्सीन के लिए मंजूरी देने वाला ब्रिटेन पहला देश बन गया है।

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