कवि और गीतकार गोपालदास नीरज का निधन
कवि और गीतकार गोपालदास नीरज का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया।
गाँव कनेक्शन 19 July 2018 2:37 PM GMT
लखनऊ। कवि और गीतकार गोपालदास नीरज का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। सांस लेने में तकलीफ के चलते उन्हें निजी अस्तपाल में भर्ती कराया गया था,वो पिछले कई दिनों से वेटिंलेटर पर थे। जहां बृहस्पतिवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। कवि गोपालदास नीरज को कई सम्मान मिले। वर्ष 1991 पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 2007 में पद्मभूषण सम्मान मिला। उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें यश भारती सम्मान से नवाजा।
4 जनवरी 1925 को यूपी के इटावा जिले के आगरा पुरावली गांव में जन्मे गोपाल दास नीरज के सर पिता का साया बचपन में ही छिन गया था। उनके निधन की ख़बर सुनकर साहित्य और फिल्मजगत में शोक की लहर है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निधन पर दुख जताते हुए कहा कि उनकी प्रसिद्ध रचनाओं और गीतों को अनंत समय तक भुलाया नहीं जा सकेगा।
कवि गोपाल दास नीरज की प्रसिद्ध रचनाओं और गीतों को अनंत समय तक भुलाया न जा सकेगा: #UPCM श्री #YogiAdityanath
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) July 19, 2018
अपनी कलम से कवि सम्मेलनों में लोगों का दिल जीतने वाले गोपाल दास नीरज को मुंबई से गीत लिखने के लिए बुलावा फिल्म नई उमर नई फसल के लिए आया। जिसके बाद उन्होंने मुड़कर नहीं देखा। गीत लिखने का ये सिलसिला मेरा नाम जोकर से लेकर शर्मीली और प्रेम पुजाती तक चला। सत्तर के दशक में उन्हें लगातार तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था। फिल्म पहचान का गाना 'बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं….' काल का पहिया घूमे रे भइया. (फिल्म चंदा और बिजली) उसके बाद 1972 में आई शोमैन राजकपूर की फिल्म मेरा नाम जोकर के गाने ऐ भाई जरा देखकर चलो के लिए फिल्मफेयर मिला था। "शोखियों में घोला जाए, फूलों का शबाब… उसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराब.. होगा यूं नशा जो तैयार.. उनका सबसे लोकप्रिय गीत है।
युग के महान कवि नीरज के निधन का समाचार अत्यंत ही दुखद है,मैं भाग्यशाली था कि उनका स्नेह और आशीर्वाद मुझे मिला।
— Prasoon Joshi (@prasoonjoshi_) July 19, 2018
कवि होना भाग्य है
नीरज होना सौभाग्य#GopaldasNeeraj
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