मनरेगा के लिए सरकार ने दिए और 40,000 करोड़ रुपए, काम के दिन भी बढ़ाने की मांग

जानकारों ने मनरेगा में केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त बजट दिए जाने का स्वागत किया है मगर वे कुछ सवाल भी उठा रहे हैं।

Kushal MishraKushal Mishra   17 May 2020 10:39 AM GMT

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मनरेगा के लिए सरकार ने दिए और 40,000 करोड़ रुपए, काम के दिन भी बढ़ाने की मांगमनरेगा के लिए अतिरिक्त बजट मिलने से मजदूरों को मिल सकेगा काम। फोटो साभार : ट्विटर

कोरोना संकट को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की पांचवी और आखिरी किस्त में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा में 40,000 करोड़ रुपए के अतिरिक्त बजट का ऐलान कर दिया है।

इस साल बजट में केंद्र सरकार ने मनरेगा के तहत 61,000 करोड़ रुपए के बजट की घोषणा की थी और अब मनरेगा में 40 हज़ार करोड़ रुपए के अतिरिक्त बजट की घोषणा करने के साथ केन्द्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि इस बजट के बाद कुल 300 करोड़ मानव दिवस काम के पैदा किए जा सकेंगे।

जानकारों ने मनरेगा में केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त बजट दिए जाने का स्वागत किया है मगर वे कुछ सवाल भी उठा रहे हैं।

झारखण्ड में मनरेगा के कामों से जुड़े और नरेगा संघर्ष मोर्चा में लम्बे समय से काम कर रहे देबमाल्या नंदी 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "निश्चित रूप से मनरेगा में 40 हज़ार करोड़ का अतिरिक्त बजट दिया जाना सराहनीय है। सरकार की कोशिश है कि लौट रहे प्रवासी मजदूरों को काम मिले, मगर मजदूरों को आर्थिक रूप से मजबूती और लम्बे समय तक रोजगार देने के लिए सरकार को 100 दिन रोजगार की गारंटी को बढ़ाकर 150 से 200 दिन करना चाहिए।"

अभी तक मनरेगा के तहत ग्रामीण लोगों को घर के पास ही साल में 100 दिन रोजगार मुहैया कराने का प्रावधान किया गया है। कुछ राज्य सरकारों ने पहले भी मनरेगा में गाँव के लोगों को साल में 150 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया है।

देबमाल्या कहते हैं, "पिछले साल देश भर में मजदूरों को औसतन 48 दिन मनरेगा में काम मिला, बड़ी समस्या यह भी है कि मजदूरों को पूरे 100 दिन काम भी नहीं मिल रहा है, इसलिए सरकार न सिर्फ बजट बढ़ाए बल्कि जमीनी स्तर पर यह भी सुनिश्चित करे कि ग्रामीण मजदूरों को ज्यादा से ज्यादा दिनों तक मनरेगा में काम मिले, इसके लिए सरकार को कम से कम 150 दिन रोजगार की गारंटी देनी चाहिए।"

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देबमाल्या केंद्रीय वित्त मंत्री की ओर से मनरेगा में अतिरिक्त बजट दिए जाने के बाद कुल 300 करोड़ मानव दिवस काम के पैदा किए जाने पर भी सवाल उठाते हैं। देबमाल्या कहते हैं, "जब सरकार ने फ़रवरी में मनरेगा में 61,000 करोड़ रुपए के बजट का ऐलान किया था तब सरकार ने 270 करोड़ मानव दिवस काम के सृजन करने की बात कही थी, अब 40,000 करोड़ रुपए और दिए जाने के बावजूद सिर्फ 300 करोड़ मानव दिवस सृजन पैदा किये जाने का सरकार का यह गणित समझ के परे है।"

वहीं उत्तर प्रदेश में मनरेगा में लम्बे समय से मजदूरों के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहीं और संगठित किसान मजदूर संगठन से जुड़ीं ऋचा सिंह मनरेगा में अतिरिक्त बजट बढ़ाये जाने के फैसले का स्वागत करती हैं। मगर कोरोना संकट के बीच लौट रहे प्रवासी मजदूरों को जमीनी स्तर पर मनरेगा में काम मिलने को लेकर वह सवाल उठाती हैं।

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ऋचा बताती हैं, "सरकार मनरेगा में गाँव में रहने वालों को काम देने की बात कह रही है मगर यह बजट कितने मजदूरों के लिए है? जो गाँव से शहर काम के लिए जाते थे, उन प्रवासी मजदूरों का आंकड़ा सरकार के पास कभी था ही नहीं, अब जब यही प्रवासी मजदूर अपने गाँव लौट रहे हैं तो यह अतिरिक्त बजट कितने मजदूरों के लिए प्रभावी रहेगा, यह कह पाना मुश्किल है।"

ऋचा कहती हैं, "आज जिस गाँव में कभी 50 लोग मनरेगा में काम करते थे आज उसी गाँव में 300 लोगों की मनरेगा में काम की डिमांड आ रही है। ये वही लोग हैं जो काम के लिए दूसरे शहरों में जाते थे। ऐसे में जमीनी स्तर पर अभी भी कई दिक्कतें हैं।"


"जैसे जिन लोगों का तीन साल पहले जॉब कार्ड बना था, उन्हें फिर से जॉब कार्ड के लिए आवेदन करना पड़ रहा है, कम से कम सरकार को पुराने जॉब कार्डधारी मजदूरों को नए जॉब कार्ड बनाने से छूट देनी चाहिए और जल्द काम मुहैय्या कराना चाहिए, इस बजट का तभी फायदा होगा जब केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार भी जमीनी स्तर पर पूरी पारदर्शिता के साथ मजदूरों को रोजगार मुहैय्या कराने पर काम करे," ऋचा कहती हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि 13 मई तक मनरेगा में काम मांग रहे 2.33 करोड़ लोगों को रोजगार दिया गया है। इसी दिन तक 14.62 लाख मानव दिवस का काम हुआ है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि पिछले साल के मुकाबले 40-50 फीसदी ज्यादा व्यक्ति मनरेगा के तहत जोड़े गए हैं।

हालाँकि मनरेगा में अब कुल एक लाख करोड़ का बजट है, ऐसे में सवाल उठता है कि कोरोना संकट की वजह से मुसीबतों में फँसे मजदूरों के लिए यह बजट कितनी राहत लेकर आएगा, यह आने वाला समय ही बताएगा।

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