गंगा सफाई के नाम पर झूठ बोला जा रहा: जलपुरुष राजेंद्र सिंह
गंगा की निर्मलता के लिए गोमुख से गंगा सागर तक ये यात्रा निकाली गई है। इस यात्रा की शुरुआत 30 सितंबर को हुई थी।
Ranvijay Singh 15 Nov 2018 1:10 PM GMT
लखनऊ। जलपुरुष के नाम से मशहूर राजेंद्र सिंह ने गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए 'गंगा सद्भावना यात्रा' निकाली है। यह यात्रा गुरुवार को लखनऊ पहुंची। यहां राजेंद्र सिंह ने कहा कि ''गंगा नहीं रही तो भारतीय संस्कृति खतरे में पड़ जाएगी। आज गंगा के बारे में झूठ बोला जा रहा है। गंगा सफाई के नाम पर सिर्फ सौन्दर्यीकरण किया जा रहा है।''
गंगा की निर्मलता के लिए गोमुख से गंगा सागर तक ये यात्रा निकाली गई है। इस यात्रा की शुरुआत 30 सितंबर को हुई थी। यात्रा देश के विभिन्न शहरों और गांव से होते हुए लखनऊ पहुंची। राजेंद्र सिंह का कहना है कि, ''गंगा भारत की जीवन धारा रही है, सांस्कृतिक, धार्मिक, आस्था, आध्यात्म का केंद्र रही है। लेकिन आज सरकार इसको व्यावसायिक नदी बनाने में लगी है।''
राजेंद्र सिंह ने हल्दिया और बनारस के बीच शुरु हुए जल मार्ग को लेकर कहा, ''सरकार की नीतियों की वजह से पहले ही नगरों, कारखानों का प्रदूषित जल गंगा में जा रहा है। अब नए जल मार्ग से गंगा नदी का पूरा पर्यावरणीय और पारिस्थतिकी तंत्र बिगड़ जाएगा। इसकी वजह से गंगा में पाए जाने वाले जीव जन्तु और जैव विविधता का अस्तित्व खतरे में होगा। चूकि गंगा जी हमारे सम्पूर्ण जीवन के साथ जुड़ी हैं इसलिए इसका असर जीवन के सभी पक्षों पर होगा।''
In a major boost to port-led development and harnessing our Jal Shakti for India's growth, an inland waterways terminal will be inaugurated in Varanasi tomorrow. pic.twitter.com/mGMuyPejUe
— Narendra Modi (@narendramodi) November 11, 2018
पीएम नरेंद्र मोदी ने 12 नवंबर को ही अपने संसदीय क्षेत्र बनारस में महत्वाकांक्षी जल मार्ग का उद्घाटन किया है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा था, ''ये सिर्फ कारोबारी रास्ता नहीं है, नए भारत का आईना भी है। उन्होंने दावा किया कि इससे न सिर्फ माल-ढुलाई सस्ती होगी, बल्कि यह उद्योग-संस्कृति और पर्यटन के नए रास्ते खोलेगा। इस जलमार्ग से समय और पैसा बचेगा, सड़क पर भीड़ भी कम होगी, ईंधन का खर्च भी कम होगा और गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण से भी राहत मिलेगी।'' जलपुरुष राजेंद्र सिंह के मुताबिक, ''इस जल मार्ग से गंगा के दोनों किनारो पर बसे शहरों और गांवों की आबादी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।''
राजेंद्र सिंह ने आगे कहा, ''गंगा के सच्चे पुत्र स्वामी सानंद जी (डा. जीडी अग्रवाल) ने गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। ये यात्रा उनके सपने के लिए है। यात्रा का उद्देश्य समाज को गंगा की वास्तविक परिस्थिति से अवगत कराना है।''
राजेंद्र सिंह ने गंगा के प्रवाह पर चिंता जाहिर करते हुए कहा, ''गंगा नदी में 62 प्रतिशत प्रवाह सुनिश्चित होना चाहिए तभी गंगा की अविरलता और निर्मलता सुनिश्चित होगी।'' गौरतलब है कि गंगा बेसिन में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 795 छोटे और बड़े बांध हैं, जो इसके प्रवाह को अवरुद्ध करते हैं। स्वामी सानंद भी गंगा के प्रवाह की ही बात कहते थे।
पिछले दिनों लखनऊ में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) के एक कार्यक्रम में पहुंचे वाराणसी के संकटमोचन फाउंडेशन (एसएमएफ) के अध्यक्ष वीके मिश्रा ने भी गंगा के प्रवाह की बात पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था, ''गंगा के जल प्रवाह को समझ लिया जाए तो बहुत हद तक समस्या खत्म हो सकती है। अगर नदी में प्रवाह बना रहे तो नदी अपने कार्बनिक प्रदूषण को खुद ही दूर कर लेगी। लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा।''
वीके मिश्रा इसी बात में आगे कहते हैं, ''अभी कुंभ में नदी को साफ करने का फ्लश तरीका आजमाया जाएगा। ऊपर से पानी छोड़ने पर नदी खुद में मौजूद कचरा बहा ले जाएगी और पूरे कुंभ में साफ रहेगी।'' वीके मिश्रा की बात का समर्थन सीएसई के वॉटर एंड वेस्टवॉटर मैनेजमेंट के प्रोग्राम डायरेक्टर सुरेश रोहिला ने भी किया था। रोहिला ने कहा था, ''नदी खुद को नेचुरल तरीके से साफ कर सकती है, अगर सारे बैराज खोल दिए जाएं तो नदी साफ हो जाएगी।'' फिलाहल केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मान चुके हैं कि गंगा को साफ करना थोड़ा कठिन है। हालांकि वो दावा करते हैं कि मार्च 2019 तक गंगा 70-80 फीसदी तक साफ हो जाएगी। बाकी काम 2020 तक पूरा हो जाएगा।
बता दें, गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए गंगा एक्ट की मांग को लेकर 111 दिन से अनशन पर बैठे स्वामी सानंद जी का 11 अक्टूबर को निधन हो गया था। उन्होंने अपनी मांग को लेकर जल भी त्याग दिया था, जिसके बाद उन्हें एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था, जहां उनका निधन हो गया था। वहीं, साल 2011 में गंगा की रक्षा के लिए अनशन करते हुए मातृ सदन के संत स्वामी निगमानंद की भी अस्पताल में मौत हो गई थी। फिलहाल इसी मांग को लेकर संत गोपालदास भी पिछले 150 दिनों से अनशन कर रहे हैं, जिन्हें एम्स दिल्ली में भर्ती किया गया है। संत गोपालदास की हालत भी नाजुक बनी हुई है।
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