विश्व बैंक की मदद से मिजोरम की स्वास्थ्य सेवाओं में होगा सुधार

मिजोरम स्वास्थ्य प्रणाली सुदृढ़ीकरण परियोजना से राज्य के सभी आठ जिलों के लोगों को लाभ पहुंचेगा। यह योजना स्वास्थ्य क्षेत्र के कर्चमारियों विशेष तौर पर माध्यमिक और प्राथमिक स्तर पर मौजूद कर्मचारियों के योजनागत ​​कौशल और प्रबंधन क्षमताओं के निर्माण में मदद करेगी।
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विश्व बैंक की मदद से पूर्वोत्तर के सात राज्यों में से एक मिजोरम में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया जाएगा। इससे खास तौर से उन क्षेत्रों और जोखिम वाले समूहों को लाभ मिलेगा जिन तक स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर पहुंच नहीं है।

भारत सरकार, मिजोरम सरकार और विश्व बैंक ने मिजोरम में स्वास्थ्य सेवाओं की प्रबंधन क्षमता और गुणवत्ता में सुधार के लिए 3.2 करोड़ डॉलर की मिजोरम स्वास्थ्य प्रणाली सुदृढ़ीकरण परियोजना पर हस्ताक्षर किए हैं। 

यह परियोजना स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग (डीओएचएफडब्ल्यू) और इसके सहायक विभागों के प्रबंधन ढांचे को मजबूत करेगी। इसके अलावा राज्य सरकार के स्वास्थ्य तंत्र द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता और कवरेज में भी सुधार होगा।परियोजना के जरिए एक व्यापक गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम में भी निवेश किया जाएगा जो स्वास्थ्य सुविधाओं के गुणवत्ता प्रमाणन को सक्षम करेगी।

इसके अलावा प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के साथ राज्य स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम का बेहतर तालमेल किया जाएगा। जिससे राज्य स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम पहले से ज्यादा प्रभावशालीहोकर काम कर सके। ऐसा होने से अस्पताल सेवाओं की लोगों तक पहुंच में आने वाली वित्तीय बाधाओं को कम किया जा सकेगा। और गरीब परिवारों तक योजना का विस्तार होगा और उन पर इलाज खर्च के पड़ने वाले भारी बोझ को भी रोका जा सकेगा।

मिजोरम स्वास्थ्य प्रणाली सुदृढ़ीकरण परियोजना से राज्य के सभी आठ जिलों के लोगों को लाभ पहुंचेगा। यह योजना स्वास्थ्य क्षेत्र के कर्चमारियों विशेष तौर पर माध्यमिक और प्राथमिक स्तर पर मौजूद कर्मचारियों के योजनागत ​​कौशल और प्रबंधन क्षमताओं के निर्माण में मदद करेगी। साथ ही उनके क्लीनिकल कौशल और दक्षता में भी विकास होगा।

समझौते पर भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव रजत कुमार मिश्रा ने हस्ताक्षर किए। जबकि मिजोरम सरकार की ओर से मिजोरम स्वास्थ्य प्रणाली सुदृढ़ीकरण परियोजना के निदेशक एरिक जोमाविया, और विश्व बैंक की ओर से भारत में कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद ने हस्ताक्षर किए।

एक प्रमुख रणनीति के तहत परियोजना का प्रदर्शन-आधारित वित्तीय सहयोग प्रणाली के आधार पर विस्तार होगा। जहां डीओएचएफडब्ल्यू और उसके सहायक विभागों के बीच आंतरिक प्रदर्शन समझौते (आईपीए) किए जाएगें और वह सभी स्तरों पर ज्यादा जवाबदेही को बढ़ावा देंगे। ऐसा होने से गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए तंत्र के प्रबंधन में सुधार करने में काफी मदद मिलने की उम्मीद है। यह परियोजना विभिन्न योजनाओं के बीच आपसी तालमेल को बढ़ावा देने और राज्य बीमा एजेंसी की क्षमता बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित करेगी।

कोविड-19 महामारी का राज्य में जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण और उनके इस्तेमाल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। यह परियोजना भविष्य के प्रकोपों, महामारियों और स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिए अधिक लचीलीकार्रवाईतंत्र बनाने के लिए संक्रमण की रोकथाम और उसके नियंत्रण में निवेश करेगी।

यह परियोजना जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन (ठोस और तरल अपशिष्ट दोनों) के लिए पूरे ईको-सिस्‍टम को बेहतर बनाने में भी निवेश करेगी। इसके तहत पर्यावरण संरक्षण करते हुए पृथक्करण, संक्रमण को खत्म करने और संग्रह की प्रक्रिया शामिल होगी। जिसके जरिए स्वास्थ्य सेवा और रोगी की सुरक्षा गुणवत्ता में सुधार होगा।

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