सरकार ने न्यायालय को बताया, एनजीओ के खिलाफ 159 प्राथमिकी दर्ज करने की सिफारिश

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सरकार ने न्यायालय को बताया, एनजीओ के खिलाफ 159 प्राथमिकी दर्ज करने की सिफारिशविदेशी चंदा लेने पर लगी रोक।

नई दिल्ली (भाषा)। केंद्र सरकार की एजेन्सी कपार्ट ने आज सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने धन के गबन, या उन्हें दिये धन के वितरण में दुरुपयोग के आरोपों में विभिन्न गैर सरकारी सरकारी संगठनों के खिलाफ 159 प्राथमिकियां दर्ज करने की सिफारिशें की हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधीन काम करने और ग्रामीण इलाकों में काम करने वाले संगठनों में धन वितरण करने वाली एजेन्सी कपार्ट ने कहा कि शुरू में उसने 718 गैर सरकारी संगठनों को सही प्रक्रिया का पालन नहीं करने और अपने खातों का विवरण पेश नहीं करने के कारण काली सूची में रखा था। प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ को इस एजेन्सी ने सूचित किया कि बाद में इस सूची से 15 गैर सरकारी संगठनों को हटा लिया गया था क्योंकि उन्होंने खातों के मानदंडों का पालन कर लिया था।

शीर्ष अदालत ने 10 जनवरी को कहा था कि सार्वजनिक धन बगैर हिसाब किताब नहीं रखा जा सकता और जो भी इसका गबन कर रहे हैं उन पर मुकदमा चलाना जाना चाहिए। इस संबंध में एक जनहित याचिका दायर किए जाने के छह साल बाद भी कोई नियामक तंत्र बनाने की दिशा में कोई कदम उठाये नहीं जाने से नाखुश शीर्ष अदालत ने केंद्र और उसके विभागों से कहा था कि वे लाखों गैर सरकारी संगठनसों, समितियों और स्वैच्छिक संगठनों को करोड़ों रुपए दे रही है परंतु इस धन का आडिट नहीं होने के परिणामों के प्रति जागरूक नहीं है। पीठ ने यह भी चेतावनी दी थी कि इन संगठनों को महज काली सूची में डालना पर्याप्त नहीं है और उनके खिलाफ कपार्ट या दूसरे सरकारी विभागों से धन प्राप्त करने वाले ऐसे संगठनों के खिलाफ सार्वजनिक धन के दुरुपयोग के आरोप में दीवानी और आपराधिक कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए।

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सितंबर 2015 को शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि तीस लाख से अधिक गैर सरकारी संगठनों में दस फीसदी से भी कम संगठनों ने अपने रिटर्न या बैलेंस शीट और दूसरे वित्तीय विवरण संबंधित प्राधिकारियों के यहां दाखिल किये थे।

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