किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार का एजेंडा, अगले एक साल में एफपीओ समेत इन 10 कामों पर रहेगा फोकस

साल 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए केंद्र सरकार ने अगले एक साल के लिए खेती का 10 सूत्रीय एजेंडा तैयार किया है।

Arvind ShuklaArvind Shukla   27 Aug 2019 5:31 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार का एजेंडा, अगले एक साल में एफपीओ समेत इन 10 कामों पर रहेगा फोकस

लखनऊ/नई दिल्ली। साल 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए केंद्र सरकार ने अगले एक साल के लिए खेती का 10 सूत्रीय एजेंडा तैयार किया है। जिलों के कृषि विज्ञान के केंद्रों के माध्यम से ये योजनाएं किसानों तक पहुंचाई जाएंगी। इनमें जीरो बजट प्राकृतिक खेती और किसान उत्पादक समूह (एफपीओ) अहम होंगे।

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को केंद्र सरकार ने विभिन्न गतिविधियों को एक साल तक मनाने का फैसला किया है। दो अक्टूबर 2019 से एक अक्टूबर 2020 तक कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण मंत्रालय देश दीर्घकालीन कृषि पद्धतियों के प्रचार-प्रसार के रूप में मनाएगा। ये सभी कार्य जिलों में स्थित कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से होंगे। भारतीय कृषि अनुंसधान परिषद ने कृषि अनुभागों और केवीके से मास्टर ट्रेनर की लिस्ट मांगी है।

एक्शन प्लान के तहत देश के 635 जिलों में जीरो बजट प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा तो इन जिलों में मृदा स्वास्थ्य कार्ड की योजना लागू होगी। जैविक खेती और वाटर कंजरवेशन पर 300-300 जिलों में काम होगा, जबकि 635 जिलों में मार्केटिंग डिविजन 400 जिलों में काम करेगा। ऐसी ही ऑयल सीड, बीज अनुभाग, मधु मक्खी पालन, 635 जिलों में कस्टम एग्रीक्लचर इंपलीमेंट पर काम होगा।


सभी कृषि संस्थानों, विभागों को लिखा गया पत्र

भारतीय कृषि अनुंसधान परिषद (ICAR) की तरफ से भी संबंधित अनुभागों, कृषि संस्थानों विभागों को पत्र लिखा गया है। इस बार आम बजट में शामिल जीरो बजट प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए मास्टर ट्रेनर की ट्रेनिंग सितंबर-अक्टूबर महीने में आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में होगी।

यह भी पढ़ें: झारखंड: खेती में महिलाओं को आगे लाने के लिए सरकार कृषि यंत्रों पर दे रही 90 फीसदी सब्सिडी

सरकार की योजना के मुताबिक 30 केवीके पर एक मास्टर ट्रेनर होगा जो बाकी केवीके को प्रशिक्षित करेगा। और हर केवीके 150 किसानों को ट्रेनिंग देगा। ये किसान जिलों में चलाई जा रही कृषि विभाग की आत्मा परियोजना के माध्यम से चुने जाएंगे।

आईसीएआर में प्रधान वैज्ञानिक (कृषि प्रसार) केशव ने 'गाँव कनेक्शन' को फोन पर बताया, "योजना 2 अक्टूबर से शुरू होगी और प्रत्येक जिले में 150 किसानों को ट्रेंड किया जाएगा। ट्रेनिंग का काम केवीके करेंगे।"एक केवीके में 5-6 कृषि वैज्ञानिक होंते हैं।

भारत में है 706 कृषि विज्ञान केंद्र

आईसीएआर के मुताबिक भारत में 706 कृषि विज्ञान केंद्र हैं। अकेले उत्तर प्रदेश में 83 केवीके हैं। केवीके सरकार, कृषि अनुंसधान और किसानों के बीच एक कड़ी होते हैं जो सरकारी योजनाएं, कृषि से संबंधित शोधों और दूसरी योजनाओं को किसानों तक पहुंचाते हैं।

इस एक साल में किसान उत्पादक समूहों पर भी खासा जोर रहेगा। सरकार की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा किसान समूह में जुड़कर अपने संगठन और कंपनियां बनाएं और उत्पादक के साथ ही उद्यमी भी बनें। जयपुर स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर मार्केटिंग (NIAM) में ट्रेनिंग, रिसर्स और कंसलेंटी और एजुकेशन पर काम करता है। ये एफपीओ को कारोबार और संगठन चलाने के लिए प्रशिक्षण देता है। नीयाम इन 400 जिलों में इस साल काम करेगा।

यह भी पढ़ें: किसान पेंशन: इन 15 बातों से जानिए किसे मिलेगा प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना का लाभ


'आमदनी बढ़ाने के लिए मार्केटिंग बहुत जरूरी'

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर मार्केटिंग में सहायक निदेशक डॉ. शुची माथुर 'गाँव कनेक्शन' को बताती हैं, किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए मार्केटिंग बहुत जरूरी है। नाबार्ड, राज्य सरकारें और दूसरी संस्थाएं जो एफपीओ बनाती हैं, नियाम इन्हें बताता है एफपीओ कैसे चलाना है। मार्केट में मांग किस उत्पाद की है, तो इस तरह हम उन्हें कारोबार की बाकीरियां सिखता हैं, उनकी क्षमतावर्धन करते हैं।"

डॉ. माथुर आगे बताती हैं, "किसान उत्पाद करना जानता है। हम उन्हें मार्केटिंग सिखाते हैं। ताकि वो देखे बाजार में मांग किसकी है वो वही उगाए, ऐसे ही उत्पाद बनाए। इसीलिए हम लोग एफपीओ के निदेशक, बोर्ड ऑफ डॉयरेक्टर और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की क्षमतावर्धन करते हैं। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर हों या निदेशक सबको जरूरत है कि वो बहुआयामी हों, उन्हें उत्पादन के अलावा, मार्केटिंग, संगठन चलाना हो, सप्लाई समझ आना चाहिए। यही काम हम लोग करते हैं।"

यह है सरकार का 10 सूत्रीय एजेंडा

शून्य लागत प्राकृतिक खेती - 635 जिले

मृदा स्वास्थ्य कार्ड - 635 जिले

जैविक खेती - 300 जिले

पानी संरक्षण - 300 जिले

ऑयल सीड प्रोडक्शन - 350 जिले

पोषण युक्त अनाज - 150 जिले

मधु मक्खी पालन - 150 जिले

कृषि उपकरण - 400 जिले

एफपीओ - 635 जिले

उच्च गुणवत्ता बीज उत्पादन - 150 जिले


यह भी पढ़ें: जैविक खेती करना इस महिला किसान से सीखिए


     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.