'बिरयानी खाइए-निश्चिंत रहिए, जांच नहीं होगी'- यूपी के ग्राम विकास मंत्री ने प्रधानों से कहा
Ranvijay Singh 16 Sep 2019 12:24 PM GMT
लखनऊ। ''मैं यह बात साफ करना चाहता हूं कि चुनाव से पहले या चुनाव के बाद किसी भी ग्राम प्रधान की जांच नहीं होगी।'' यह शब्द हैं यूपी सरकार के ग्राम विकास मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह के। उन्होंने एक कार्यक्रम में प्रदेश के ग्राम प्रधानों को क्लीन चिट देते हुए यह भी कहा कि ''आप बिरयानी खाइए और निश्चिंत रहिए, कोई जांच नहीं होगी।''
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अखिल भारतीय प्रधान संगठन का एक सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर ग्राम विकास मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह शामिल हुए थे।
पिछले कुछ दिनों से ऐसी खबरें चल रही थीं कि शासन की ओर से ग्राम प्रधानों की संपत्ति और कामकाज की जांच कराई जाएगी। इस खबर के सामने आने के बाद से ही हड़कम्प मचा हुआ था। गांव में यह चर्चा आम थी कि अब प्रधानों की जांच होनी है।
इस बारे में अखिल भारतीय प्रधान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतेंद्र सिंह ने मंच से ही ग्राम विकास मंत्री से ऐसी जांच न कराने की गुहार लगाई। इसके बाद ग्राम विकास मंत्री ने प्रधानों को संबोधित करते हुए कहा- किसी प्रधान की कोई जांच चुनाव से पहले या चुनाव के बाद नहीं होगी। इसलिए नहीं होगी क्योंकि कोई भी काम रोजगार सेवक, पंचायत सेवक, एडीओ, पंचायत अधिकारियों की देख रेख में होता है। ऐसे में प्रधान की जिम्मेदारी सिर्फ कार्ययोजना बनाने तक रहती है, तो फिर जांच होने की बात ही नहीं है।''
उन्होंने कहा, ''ग्राम प्रधानों की संपत्ति की जांच की बात सोशल मीडिया पर चली है। इसपर सरकार का कोई रुख नहीं है।'' उन्होंने कहा, ''मैं आपके इस डर को खत्म करना चाहता हूं, आप निश्चिंत रहिए कि किसी सीडीओ का यह साहस नहीं होगा कि वो ग्राम पंचायत अधिकारी और बीडीओ को बचाएगा और जनता से चुने प्रतिनिधियों की जांच कराएगा। यह मैं नहीं होने दूंगा।''
इस आश्वसन पर सम्मेलन में आए पीलीभीत जिले के माधवटांडा पंचायत के प्रधान पति योगेश्वर सिंह कहते हैं, ''पंचायत राज एक्ट के अनुसार गांव में आम सभा की बैठक होती है। इसके बाद उसमें ग्राम वासियों द्वारा कार्यों के प्रस्ताव लिए जाते हैं। इस प्रस्ताव को लेने के बाद ग्राम पंचायत अधिकारियों की ओर से इसमें से कुछ काम स्वीकृत किए जाते हैं। स्वीकृत होने के बाद इन कामों को ग्राम प्रधान और सेक्रेट्री मिलकर कराते हैं। इसके बाद जेई के अनुसार इस काम का भुगतान होता है। इतना कुछ होने के बाद भी ग्राम प्रधान को ही गलत ठहराया जाता है। हमसे पहले इतने लोगों की जांच होनी चाहिए, उसके बाद प्रधानों की जांच होनी चाहिए। मंत्री जी के आश्वासन से हमें बहुत राहत मिली है।''
वहीं, लखनऊ के कुरौनी ग्राम सभा के प्रधान संतोष यादव कहते हैं, ''मंत्री जी ने आज आश्वासन दिया है कि किसी प्रधान की जांच नहीं होगी। यह अच्छी बात है। उन्होंने साफ किया कि जांच की बात पूरी तरह से अफवाह थी।'' संतोष यादव कहते हैं, ''बिना सचिव के साइन के कोई काम नहीं होता, तो जांच सिर्फ प्रधान की क्यों हो?''
संत कबीर नंगर के आजमपुर गांव के प्रधान प्रदीप कुमार मौर्य भी मंत्री के इस आश्वासन से खुश नजर आए। वो कहते हैं, ''जांच के नाम पर जिले के अधिकारी प्रधानों का शोषण करते हैं। अब कम से कम इस शोषण से बच जाएंगे। जांच होनी चाहिए तो अधिकारियों की भी होनी चाहिए। प्रधान अकेले तो पैसा निकाल नहीं लेता है, इसमें सचिव से लेकर एडीओ, बीडीओ भी शामिल होते हैं। इसलिए जांच सबकी होनी चाहिए।''
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