‘GSTN की दक्षता पर निर्भर करेगी GST की सफलता’

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‘GSTN की दक्षता पर निर्भर करेगी GST की सफलता’वस्तु एवं सेवा कर (GST)

नई दिल्ली (भाषा)। देश में वस्तु एवं सेवाकर (GST) को अमल में लाने को लेकर उद्योग जगत के मन में अब भी कई तरह के सवाल हैं और उसका मानना है कि इस देशव्यापी नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली ‘GST' की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि जीएसटी नेटवर्क कितना दक्ष और मजबूत है। इसके साथ उद्योग जगत का मानना है कि GST प्रणाली के बारे में छोटे एवं मध्यम कारोबारियों में जागरकता लाना भी जरुरी है।

GST प्रणाली पूरी तरह ऑनलाइन इलेक्ट्रानिक प्रणाली पर आधारित होगी और यही नेटवर्क जीएसटी नेटवर्क (GSTN) कहलायेगा। उद्योग जगत के अप्रत्यक्ष कर विशेषज्ञों का कहना है कि GSTN कितनी दक्षता के साथ चलेगा और छोटे व्यापारी से लेकर बड़े-बड़े उद्योगों के स्तर पर यह कितनी सुलभता के साथ उपलब्ध होगा, इसी पर GST की सफलता निर्भर करेगी।

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पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल की अप्रत्यक्ष कर समिति के अध्यक्ष बिमल जैन ने इस संबंध में कहा, ‘‘सरकार को GST नेटवर्क के मामले में पूरी तैयारी के साथ आगे आना चाहिये। अभी तक राज्यों में वैट प्रणाली कागजी कारवाई के जरिये चलती आ रही है, अब यह पूरी व्यवस्था कागज-रहित होने जा रही है। ऐसे में GST के पूरे नेटवर्क को दक्ष और मजबूत होना चाहिये।''

सरकार देश में एक जुलाई से GST प्रणाली लागू करने जा रही है। लोकसभा में GST को लागू करने संबंधी चार विधेयक को मंजूरी मिल चुकी है। GST पर गठित GST परिषद इसके लिये नियम और दूसरे जरुरी काम निपटा रही है। नियमों के पांच सैटों को मंजूरी दे दी गई है और चार अन्य पर सहमति बन गई है।

उद्योग मंडल एसोचैम की अप्रत्यक्ष कर समिति के चेयरमैन निहाल कोठारी ने कहा कि सरकार को कम से कम दो महीने नये जीएसटी नेटवर्क और मौजूदा कर प्रणाली को साथ साथ चलाना चाहिये। GST को अमल में लाने से पहले प्रणाली का परीक्षण किया जाना चाहिये। ‘‘नेटवर्क में जब 70 लाख लोग एक साथ बिलों को अपलोड करेंगे तो सिस्टम कितनी दक्षता के साथ काम करेगा यह देखने की बात है।''

कोठारी ने कहा कि GST व्यवस्था में विभिन्न सामान और सेवाओं की कर दर में बदलाव होगा। किस सामान पर किस दर से कर लगेगा अभी यह भी तय होना है। कारोबारियों को यह समझना है कि उनके सामान पर किस दर से कर लगेगा। सेवाओं पर भी अलग अलग दर से कर लगाने की बात है। छोटी सेवाओं पर कम दर से जबकि बड़ी सेवाओं पर 18 प्रतिशत की मानक दर से कर लग सकता है।

बिमल जैन ने कहा कि GST प्रणाली के बारे में छोटे एवं मध्यम कारोबारियों में जागरकता लाना भी जरुरी है। ‘‘GSTN में त्वरित गति के साथ चीजें अपलोड होंगी अथवा नहीं होंगी। छोटे व्यापारी इसका इस्तेमाल किस प्रकार करेंगे। दूरदराज इलाकों में कंप्यूटर प्रणाली पूरी गति के साथ काम करेगी अथवा नहीं इन सभी बातों को देखना है।''

उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर दो-तीन माह बदलाव का समय होगा इसमें परेशानियां सामने आयेंगी।'' दिल्ली शेयर बाजार के पूर्व अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने कहा कि GST एक जुलाई से लागू हो सकता है। अब इसमें कोई संदेह नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने पर एक वस्तु पर देशभर में एक ही दर से कर लगेगा। GST लागू होने से नोटबंदी से नकदी वाली अर्थव्यवस्था को समाप्त करने की दिशा में जो कमी रह गई थी उसमें और सुधार आयेगा। ‘कुछ समस्याएं आ सकतीं हैं लेकिन उनका समाधान भी होगा।

मालगोदाम और लेखा साफ्टवेयर उपलब्ध कराने वाली कंपनी मार्ग ईआरपी 9 प्लस के प्रबंध निदेशक सुधीर सिंह ने कहा कि देश में 70 प्रतिशत छोटे कारोबारी है जो डिजिटल प्रौद्योगिकी से लैस नहीं है। उनके लिये दो माह की अल्पावधि में कंप्यूटर प्रणाली को अपनाना काफी मुश्किल होगा। सरकार को इस बदलाव को अमल में लाने के लिये उपयुक्त समय देना चाहिये।

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