गुजरात का सरदार कौन: यहां मिलेंगे सबसे सटीक नतीजे

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गुजरात का सरदार कौन:  यहां मिलेंगे सबसे सटीक नतीजेकुछ ही घंटों बाद ईवीएम से निकलेंगे नतीजे

गुजारत और हिमाचल प्रदेश विधानसभा के परिणाम कुछ ही घंटों बाद आपके सामने होंगे। ऐसी उम्मीद है कि असली लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होगी। गाँव कनेक्शन कल दोनों प्रदेशों के चुनाव नतीजों की हर अपडेट सटीक नतीजों के साथ लेकर आएगा। यहां टीवी का शोर नहीं होगा। तो कल सुबह छह बजे से जुड़िए हमारे साथ लगातार, मतगणना खत्म होने तक।

पब्लिक की माया चुनावों में ही दिखाई है। जो चुनावी विश्लेषक गुजरात में बीजेपी की आसान जीत का ऐलान कर रहे थे वे वोटिंग शुरू होते-होते बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर बताने लगे। बीजेपी की राह के कांटे नोटबंदी और जीएसटी के रूप में हैं वहीं कांग्रेस की यह कमजोरी बताई जा रही है कि उसके पास मोदी मैजिक का तोड़ नहीं निकला, पार्टी जनता से जुड़ नहीं पाई और पाटीदारों वाला जातीय दांव फुस्स हो गया।

बहरहाल, गुजरात और उसका राजनीतिक इतिहास हमेशा से रोचक रहा है। आइए डालते हैं एक नजर :

स्टेट ऑफ़ बॉम्बे से अलग होकर बना गुजरात

1 मई 1960 को तत्कालीन बॉम्बे राज्य के 17 उत्तरी जिलों को मिलाकर गुजरात का निर्माण हुआ। गांधीनगर इसकी राजधानी बनी। गुजरात विधानसभा में 182 सदस्य हैं। गुजरात बनने के बाद से कांग्रेस 1995 तक सरकार बनाती आई। हालांकि, 1975-77 के बीच देश में आपातकाल के दौरान कांग्रेस का जनाधार घटा। 1995 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत हुई और केशूभाई पटेल मुख्यमंत्री बने। बीजेपी में अंतर्विरोध उभरे और सरकार महज दो साल ही चली। असंतुष्ट बीजेपी नेता शंकर सिंघ वाघेला ने राष्ट्रीय जनता पार्टी बना डाली। लगभग एक माह के राष्ट्रपति शासन के बाद वाघेला ने कांग्रेस के समर्थन के साथ सरकार बनाई।

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जल्द ही कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया, 1998 में हुए चुनावों में बीजेपी पुन: सत्ता में आई। इस बार सीएम बने केशूभाई पटेल, पर जल्द ही उन्होंने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया। 2001 में नरेंद्र मोदी के हाथ में राज्य की बागडोर आई वह 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद आनंदीबेन पटेल ने राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री के तौर पर सत्ता संभाली, 2016 में आनंदीबेन की जगह विजय रूपाणी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

गुजरात में अब तक 16 मुख्यमंत्री

1960 से अब तक गुजरात के 16 मुख्यमंत्री बन चुके हैं। 1960 से 1995 तक सभी मुख्यमंत्री कांग्रेसी थे, बीच में 8 वर्ष अपवाद रहे जब जनता पार्टी/जनता दल का शासन रहा। 1995 के बाद से बीजेपी के ही मुख्यमंत्री रहे (हां, लगभग दो साल राष्ट्रीय जनता पार्टी सत्ता में रही)। इन 22 बरसों में मोदी साढे बारह साल सीएम रहे।

2012 में हुई थी 71.32% वोटिंग

2012 के गुजरात के विधानसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़े गए। दो चरणों में हुए इन चुनावों में 71.32% वोटिंग हुई जोकि 1980 के बाद से सबसे ज्यादा रही। नतीजे 20 दिसंबर को घोषित हुए, 182 सीटों में से बीजेपी को 116, कांग्रेस को 60, गुजरात परिवर्तन पार्टी को 2, एनसीपी को 2 व 1-1 सीट जनतादल युनाइटेड और स्वतंत्र उम्मीदवार को मिली।

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9 सीटों से 116 सीटों तक बीजेपी का सफर

1980 के गुजरात विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 9 सीटें मिली थीं, बीजेपी तीसरे नंबर पर रही। कांग्रेस को 141 और जनता पार्टी को 21 सीटों पर जीत हासिल हुई। 1985 के चुनावों में बीजेपी ने थोड़ी बढ़त बनाई और उसके उम्मीदवार 11 सीटों पर जीते, कांग्रेस और जनता पार्टी के खाते में 149 व 14 सीटें आईं। 1990 के बाद बीजेपी ने कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया। इस बार आंकड़ा रहा बीजेपी : 67, जनता दल : 70 और कांग्रेस 33। 1995 में बीजेपी 121 सीटों के साथ सत्ता में आई, कांग्रेस को 45 सीटें मिलीं। 1998 में बीजेपी के 117 और कांग्रेस के 53 उम्मीदवार जीते। 2002 में बीजेपी को मिलीं 127 सीटें जबकि, कांग्रेस को 51 मिलीं। 2007 में बीजेपी के पास 117 सीटें और कांग्रेस के पास 59 सीटें आईं। 2012 में बीजेपी ने 116 सीटें जीत कर सरकार बनाई, जबकि कांग्रेस 60 सीटों के साथ विपक्ष में बैठी।

खाम और पोडा : गुजरात में जातीय राजनीति का जोर

1985 में कांग्रेसी नेता माधव सिंह सोलंकी ने गुजरात विधानसभा चुनावों में KHAM (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी, मुस्लिम) का दांव खेला। इस चुनाव में कांग्रेस को 182 में से 149 सीटें मिलीं थीं, जबकि बीजेपी को 11 सीटें। खाम के तहत राज्य की 70 फीसदी जनता आ जाती थी। पटेल और उच्च जातियां इससे बाहर थीं।

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लेकिन खाम ही कांग्रेस की पतन का वजह बना क्योंकि कांग्रेस उसे एकजुट नहीं रख पाई। खाम का तोड़ निकालने के लिए बीजेपी ने क्षत्रिय, बनिया, ओबीसी, दलित और आदिवासियों को हिंदुत्व के बैनर तले एकजुट किया। यह कोशिश कामयाब रही और बीजेपी 1995 से टॉप पर बनी हुई है। हालांकि 2017 में कांग्रेस ने खाम की ही तर्ज पर पोडा (पाटीदार, ओबीसी, दलित, आदिवासी) के सहारे चुनावी चाल चली है। उसकी मंशा है कि पोडा चल जाए और बीजेपी सत्ता से आउट हो जाए।

सबसे पुरानी मस्जिद गुजरात में पर मुस्लिमों की चर्चा नहीं

बहुत कम लोगों को जानकारी है कि भारत की सबसे पुरानी मस्जिद जूनी मस्जिद गुजरात के भावनगर में है। बताया जाता है कि इसे मोहम्मद साहब के समय में भारत आए अरबी सौदागरों ने बनवाया था। यह देश की इकलौती मस्जिद है जिसके मेहराब यरूशलम की तरफ हैं। मोहम्मद साहब के शुरूआती समय में ऐसा ही होता था लेकिन बाद में उनके निर्देशानुसार सभी मस्जिदें मक्का की दिशा की ओर बनाई जाने लगीं।

गुजरात में मुस्लिम वोटरों की तादाद लगभग 10 फीसदी है और 182 सीटों में से 30 में उनकी भूमिका अहम है। इसके बावजूद 2017 के चुनावों में मुस्लिम जनता की कोई चर्चा नहीं हुई। बीजेपी ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा। मुस्लिम वोटिंग में भी 3.58 प्रतिशत की कमी आई।

            

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