यूपी इंवेस्टर्स समिट के मौके पर पढ़ें, हरदोई ज़िले में रफ्तार पकड़ता हथकरघा उद्योग

Devanshu Mani TiwariDevanshu Mani Tiwari   21 Feb 2018 5:15 PM GMT

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यूपी इंवेस्टर्स समिट के मौके पर पढ़ें, हरदोई ज़िले में रफ्तार पकड़ता हथकरघा उद्योगएक जनपद-एक उत्पाद योजना में शामिल है हरदोई जिले का हथकरघा कारोबार।

हैंडलूम मार्केट के बदलते दौर में आज लोगों को डिज़ाइनर कपड़े पसंद आ रहे हैं। बाज़ारों में इन कपड़ों की मांग ने हरदोई में खत्म होते जा रहे हैंडलूम वर्क को नई पहचान दी है। सरकार की तरफ से इस उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए इस कला से जुड़े कारीगरों को मुद्रा लोन और हैंडीक्राफ्ट क्लस्टर मेक इन इंडिया योजना की मदद से नई तरह की मशीने उपलब्ध कराई जा रही हैं, इससे हरदोई का कपड़ा उद्योग तेज़ी से बढ़ रहा है। आइये जानते हैं हरदोई जिले के पुराने हस्तशिल्प कारोबार के बारें में।

हरदोई जिले के मल्लावां क्षेत्र के हथकरघा उद्योग से जुड़े कारीगर मेहसर हुसैन ( 44 वर्ष) यह काम पिछले 15 वर्षों से कर रहे हैं। नए ज़माने के हिसाब से हरदोई जिले में बनाए जाने वाले कपड़ों में कई बदलाव किए जा रहे हैं। इससे इन कपड़ों की मांग बाज़ारों में बढ़ रही है। हथकरघा कारीगर मेहसर हुसैन बताते हैं,'' 10 साल पहले हरदोई जिले में हथकरघा उद्योग खत्म होने की कगार पर था, लेकिन जब से यहां के कारीगरों ने मार्केट के हिसाब से खादी के कपड़ों में एंब्रॉयडरी वर्क और डिज़ाइनर कपड़े तैयार करना शुरू किया और उद्योगों को सरकार से मशीने खरीदने की छूट मिली है, तब से यहां का हथकरधा कारोबार बढ़ा है।''

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अंग्रेज़ों के ज़माने से हो रहा है हथकरघा का काम।

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में मल्लावां का हथकरघा वस्त्र और खादी कपड़ा बनाने का काम अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है। ब्रिटिश राज में मल्लावां क्षेत्र में अंग्रज़ों का हेडक्वार्टर हुआ करता था। पुराने समय से यहां के कारीगर सूत कातने और खादी कपड़ा बनाने के कारोबार में लगे हैं , लेकिन आधुनिक मशीनरी की कमी और कपड़े बनाने में करीब 70 फीसदी काम हाथों से होने के कारण यह कला वक्त के साथ साथ कम होती गई। पिछले तीन वर्षों से सरकारी मदद और बढ़ती कपड़ों की मांग ने इस सोते हुए उद्योग को फिर से जगा दिया है।

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हरदोई जिले के कपड़ा व्यापारी मो. इकबाल हुसैन इस उद्योग के बारे में बताते हैं,'' हरदोई जिले के हथकरघा कारखानों से निकले कपड़े की मांग अब बाज़ारों में बढ़ रही है। यहां के कारखानों में हैंडलूम और पावरलूम में बना खादी कपड़ा भी बहुत मुलायम होता है। इस उद्योग में गमछा, ब्लेज़र, कोटी, सदरी, लुंगी, दस्ती, टॉवल, कुरता जैसे सामान बनाए जा रहे हैं। यहां पर बनाए गए मोटे कपड़ों और डाई किए गए कपड़ों की मांग सर्दियों के सीज़न में काफी रहती है।''

“एक जनपद-एक उत्पाद योजना से जुड़कर कारीगरों को मिल रही मदद।’’ कारीगर मेहसर हुसैन।

उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही नें अपनी एक जनपद-एक उत्पाद योजना के अंतर्गत हरदोई जिले के हथकरघा उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए 6 करोड़ 74 लाख 57 हज़ार रुपए की का बजट दिया है।

'' हरदोई जिले के हथकरघा कारोबार से जुड़े कारीगरों को सरकार की तरफ से होने वाले समारोह और हस्थकला प्रदर्शनियों में अपना सामान बेचने का मौका दिया जाता है। ऐसे प्लेटफार्म अगर हमें लगातार मिलते रहें, तो हरदोई जिले में बना खादी का कपड़ा पूरे हिंदुस्तान में मशहूर हो जाएगा।'' कारीगर मेहसर हुसैन आगे बताते हैं।

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एक जनपद-एक उत्पाद योजना में शामिल हुआ हरदोई जिले का हथकरघा कारोबार -


हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी एक जनपद-एक उत्पाद योजना में हरदोई जिले के हथकरघा कारोबार को शामिल किया है। इस योजना से जुड़कर इस उत्पाद से जुड़े कारीगरों को आसानी से मुद्रा लोन मिलने में मदद मिलेगी।

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