चमकी बुखार मामले में मुश्किल में हर्षवर्धन और मंगल पांडेय, मुजफ्फरपुर के CJM ने जांच के दिए आदेश

मुजफ्फरपुर के सीजेएम ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के खिलाफ चमकी बुखार मामले में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है

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चमकी बुखार मामले में मुश्किल में हर्षवर्धन और मंगल पांडेय, मुजफ्फरपुर के CJM ने जांच के दिए आदेश

नई दिल्ली। बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से बच्चों की हो रही मौत के मामले में केंद्र और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मुश्किल में नजर रहे हैं। मुजफ्फरपुर की सीजेएम ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के खिलाफ इस मामले में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। दायर अर्जी पर संज्ञान लेते हुए दोनों नेताओं के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 28 जून को होनी है।

बता दें कि चमकी बुखार से बिहार में हाहाकार की स्थिति है। इस बीमारी से बच्चों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। राज्य में अब तक चमकी बुखार से 152 बच्चों की मौत हो चुकी है, जिसमें अकेले मुजफ्फरपुर में 130 बच्चों की मौत हुई है। इन्हीं आंकड़ों के आधार पर सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने मुजफ्फरपुर की सीजेएम कोर्ट में याचिका दायर किया था। उन्होंने अपनी याचिका में बच्चों की मौत का जिम्मेदार दोनों मंत्रियों को बताया है।

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मुजफ्फरपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्यकांत तिवारी ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी इन्सेफ्लाइटिस मुजफ्फरपुर में हुई 125 से अधिक बच्चों की मौत के मामले में सख्ती दिखाई है। देश की सर्वोंच्च अदालत ने सोमवार को केंद्र और बिहार सरकार को 7 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

न्यायामूर्ति संजीव खन्ना और न्यायामूर्ति बीआर गवई की अवकाश पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को इस बीमारी से राज्य में हुई मौतों के बारे में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। पीठ ने बिहार सरकार को चिकित्सा सुविधाओं, पोषण एवं स्वच्छता और राज्य में स्वच्छता की स्थिति के बारे में एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश भी दिया है।

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इस मामले की सुनवाई के दौरान एक वकील ने न्यायालय को बताया कि उत्तर प्रदेश में भी पहले इसी तरह से कई लोगों की जान जा चुकी है। न्यायालय ने इस तथ्य का संज्ञान लेते हुये उप्र सरकार को भी इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। इस मामले में अब 10 दिन बाद आगे सुनवाई की जायेगी।

अधिवक्ता मनोहर प्रताप ने बिहार में इन्सेफेलाइटिस की बीमारी से बड़ी संख्या में बच्चों की मौत की घटनाओं को लेकर न्यायालय में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि पिछले सप्ताहों में इस बीमारी से 126 से अधिक बच्चों, जिनमें अधिकांश एक से दस साल की आयु के हैं, की मृत्यु होने से याचिकाकर्ता व्यथित है क्योंकि मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है।


याचिका में कहा गया है कि बच्चों की मौत इस महामारी की स्थिति से निपटने के प्रति बिहार और यूपी सरकार के साथ ही केन्द्र सरकार की प्रत्यक्ष लापरवाही का परिणाम है। याचिका में कहा गया है कि यह बीमारी हर साल होती है और इसे जापानी बुखार भी कहा जाता है।

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याचिका में दावा किया गया है कि इस बीमारी की वजह से हजारों बच्चे अपनी जान गंवा रहे हैं लेकिन सरकारें इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिये कुछ नहीं कर रही हैं। याचिका के अनुसार, इस साल इस बीमारी का केन्द्र बिहार में मुजफ्फरपुर जिला है जहां पिछले एक सप्ताह में 126 से अधिक बच्चों की मृत्यु हो चुकी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आसपास के अस्पतालों में चिकित्सकों, चिकित्सा सुविधाओं, सघन चिकित्सा केन्द्रों और दूसरे मेडिकल उपकरणों की बहुत अधिक कमी है और इन सुविधाओं की कमी की वजह से बच्चों की लगातार मौत हो रही है।


याचिका में इस बीमारी का पिछले साल केन्द्र रहे यूपी के गोरखपुर जिले में इसकी रोकथाम और प्राथमिक उपचार के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिये सभी संभव कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। मनोहर प्रताप ने सरकारी तंत्र की लापरवाही के कारण इस बीमारी से अपनी संतान खोने वाले प्रत्येक परिवार को दस दस लाख रुपए मुआवजा दिलाने का अनुरोध भी न्यायालय से किया है।

इसके अलावा, याचिका में तत्काल विशेषज्ञ चिकित्सकों का एक बोर्ड गठित करने और उसे मुजफ्फरपुर भेजने का केन्द्र को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है कि केन्द्र और बिहार सरकार को इस बीमारी से ग्रस्त जिले में बच्चों के इलाज के लिये आवश्यक संख्या में चिकित्सकों के साथ तत्काल 500 सघन चिकित्सा इकाइयों की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि इस रोग से प्रभावित बच्चों का प्रभावी तरीके से उपचार हो सके। इंडियन जर्नल आफ मेडिकल रिसर्च में 2017 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार 2008 से 2014 के दौरान इन्सेफेलाइटिस के 44,000 से अधिक मामले सामने आये और इस दौरान करीब 6,000 लोगों की मृत्यु हुयी।

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