तड़पाने वाली होगी गर्मी पर किसान पाएगा इस वर्ष अच्छी बारिश
गाँव कनेक्शन 29 March 2017 10:23 AM GMT

लखनऊ। इस बार भले ही सामान्य से अधिक गर्मी और तापमान में बढ़ने की भविष्यवाणी मौसम ने की है लेकिन साथ ही मौसम विभाग ने यह भी कहा है कि यह गर्मी इस बार अच्छे मानसून का संकेत भी है। इस बार अच्छी बारिश होने की संभावना है और प्रशांत महासागर में उत्पन्न होने वाले अलनीनो का प्रभाव भी कम होगा।
इस बार गर्मी में नहीं होगी पेयजल की समस्या
विश्व मौसम संगठन और मौसम की जानकारी देने वाली कई अंतराष्ट्रीय एजेंसियों ने जून और जुलाई में प्रशांत महासागर में अलनीनो उत्पन्न होने की संभावना जताई थी लेकिन भारतीय मौसम विभाग की तरफ से जारी किए गए ताजा अनुमान के मुताबिक अलनीनो अगस्त के अंत या सितंबर के शुरुआत में विकसित हो सकता है लेकिन अब इसकी संभावना बेहद कम हो गई है। भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक के जे रमेश ने बताया, ‘’गर्मी बढ़ने और प्रशांत महासागर में मानसून पर प्रभाव डालने वाली कई गतविधियों के बारे में जो संकेत मिले हैं, उसके अनुसार मानसून इस बार सामान्य रहेगा। बरसात अच्छी होने की संभावना है।’’
देश में इस बार पड़ेगी झुलसा देने वाली गर्मी
उन्होंने बताया कि इस बार का मानसून कैसे रहेगा इसकी अधिकारिक भविष्यवाणी अप्रैल के दूसरे सप्ताह में जारी किया जाएगा। लेकिन अभी तक जो संकेत मिले हैं उसके मुताबिक अलनीनो की विकसित होने की संभावना मात्र 30 फीसदी है और जिस समय यह विकसित होगा उस समय मानसून अपने अंतिम चरण में होगा। उस समय बुवाई से लेकर कृषि के अधिकतर काम हो चुके होंगे।
लखनऊ के अमौसी स्थित मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता ने बताया, ‘’इस बार सामान्य से एक डिग्री ज्यादा गर्मी पड़ने का पुर्वानुमान लगाया गया है। यह स्थिति मानसून के प्रवाह के लिए अच्छी होती है।’’ उन्होंने कहा कि अभी उत्तर भारत में गर्मी कम है लेकिन आने वाले एक हफ्ते में यह बढ़ेगी लेकिन गेहूं की फसल का इसका नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। गेहूं के पकने की प्रकिया लगभग अंतिम चरण में है।
2015 में पड़ा था सबसे बड़ा अकाल: वर्ष 2015 में सूखा पड़ने के कारण भारत के 614 में से 302 जिले सूखाग्रस्त घोषित हुए थे। अकेले 75 जिलों वाले उत्तर प्रदेश के 50 जिले सूखे की चपेट में थे। सूखे की वजह से भारत में वर्ष 2015 में कृषि क्षेत्र में 205 अरब रुपये का नुकसान हुआ।
अलनीनों से डरने की जरूरत नहीं
मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता ने बताया कि मानसून कैसा रहेगा इसका अनुमान लगाने के लिए पांच पैमानों का इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा कि अलनीनो से डरने की जरूरत नहीं है। कुछ साल ऐसे भी है जब अलनीनो के बाद भी मानसून की अच्छी बारिश हुई है। मौसम में रहे उतार चढ़ाव से अभी घबराने की जरूरत नहीं है। गुप्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश में इस साल गर्मी के बावजूद भी मौसम में बहुत ज्यादा अंतर नहीं आने वाला है। मौसम विभाग ने अप्रैल में गर्म हवा और अधिक गर्मी को लेकर जो अलर्ट जारी किया है उसमें उत्तर प्रदेश शामिल नहीं है।
क्या है अलनीनो
प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह गर्म होने को अल नीनो प्रभाव कहते हैं। मौसम के इस विसंगति का असर कई बार भारतीय मानसून पर भी पड़ता है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार वर्ष 2015 में अलनीनो के कारण भारत में बारिश की 22 प्रतिशत कम रही। वहीं उत्तर प्रदेश में सूखे के कारण 42 प्रतिशत कम बारिश हुई।
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