हाथरस गैंगरेप : CBI ने चार्जशीट की दाखिल, कहा- 'चारों आरोपियों पर गैंगरेप और हत्या का आरोप सही'

"जबतक इन चारों आरोपियों का कन्विक्शन नहीं हो जाता तबतक मैं इस लड़ाई को अधूरा मानती हूँ। जिलाधिकारी और हाथरस पुलिस को भी आरोपी माना जाए क्योंकि एफआईआर दर्ज से लेकर पीड़िता की आधी रात में लाश जलाने में वो गुनहगार हैं।" सीमा समृद्धि कुशवाहा, वकील

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हाथरस गैंगरेप : CBI ने चार्जशीट की दाखिल, कहा- चारों आरोपियों पर गैंगरेप और हत्या का आरोप सहीआज सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की, जिसमें हाथरस गैंगरेप केस के चारो आरोपियों पर लगा आरोप सही पाया गया. फोटो : हाथरस पुलिस के ट्विटर हैंडल से.

उत्तर प्रदेश के हाथरस गैंगरेप मामले की जांच कर रही सीबीआई (CBI) ने शुक्रवार, 18 दिसंबर को चार्जशीट दाखिल कर दी है। सीबीआई ने दाखिल चार्जशीट में गिरफ्तार चारो आरोपियों संदीप, लवकुश, रवि और रामू पर गांव की एक दलित लड़की की रेप और हत्या का आरोप सही माना है। आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप-हत्या की धाराओं के अलावा एससी/एसटी ऐक्ट की धाराएं भी लगाई गई हैं। योगी सरकार ने हाथरस केस की जांच सीबीआई को सौंपी थी।

हाथरस केस लड़ रहीं वकील सीमा समृद्धि कुशवाहा ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया, "देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी ने आज हाथरस केस के आरोपियों को सही ठहराया मुझे इस बात की खुशी है लेकिन जबतक हाथरस पुलिस और जिलाधिकारी को इस केस में एफआईआर दर्ज से लेकर दाह संस्कार तक आरोपी नहीं माना जायेगा तबतक मेरी ये लड़ाई अधूरी है।"

सीमा समृद्धि आगे कहती हैं, "पीड़िता ने पहले दिन ही जब चंदपा थाने में वो थीं तभी उन्होंने एक वीडियो में कहा है कि मेरे साथ जबरजस्ती हुई इसके बावजूद हाथरस पुलिस ने एफआईआर में धारा 376 दर्ज नहीं की जिस वजह मेडिकल ठीक तरीके से नहीं किया गया और एफएसएल रिपोर्ट में सीमन नहीं पाया गया। इस आधार पर यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर ने कह भी दिया कि पीड़िता के साथ रेप नहीं हुआ, अब तो सच्चाई सबके सामने है।"

यूपी के हाथरस में 14 सितंबर 2020 को चार लोगों ने कथित रूप से 19 साल की लड़की के साथ गैंगरेप किया था। यह भी आरोप था कि उसकी रीढ़ की हड्डी तोड़ दी और जीभ भी काट दी थी। दिल्ली में इलाज के दौरान 29 सितंबर को पीड़िता की मौत हो गई थी। कहा जा रहा था कि 30 सितंबर को भारी पुलिस बल की मौजूदगी में देर रात परिवार की इजाजत लिए बिना मृतका का अंतिम संस्कार कर दिया था। वहीं पुलिस ने दावा किया था कि पीड़िता के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ था।

राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर इस मामले ने तूल पकड़ा। परिवार वालों का कहना था कि उनकी मर्ज़ी के बिना पुलिस ने ज़बरन दाह संस्कार किया है। इसके बाद लोगों का गुस्सा भड़का, पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुए। मामला सही है या झूठा इसको लेकर तमाम तरह के आरोप प्रत्यारोप लगते रहे तब योगी सरकार ने यह केस जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया। दलित लड़की के कथित गैंगरेप और हत्या की घटना से 'हैरान' होकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ की बेंच ने 1 अक्टूबर को यूपी के उच्च अधिकारियों को समन भेजा। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। दो महीने से सीबीआई इस मामले की जांच में जुटी थी। सीबीआई पीड़िता के भाई को फोरेंसिक साइकोलॉजिकल टेस्ट के लिए गुजरात लेकर जाएगी। यहां उसका साइकोलॉजिकल असेसमेंट कराया जाएगा। हाथरस कांड में पीड़िता के भाई की ओर से ही एफआईआर दर्ज कराई गई थी।

    

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