पुरस्कार और पदों की कोई चाह नहीं थी सब काम का परिणाम है : प्रो.एमएलबी भट्ट
केजीएमयू के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट को 2017 के भारतीय चिकित्सा क्षेत्र के सबसे बड़े सम्मान डॉ. बीसी रॉय राष्ट्रीय अवार्ड के लिए चुना गया है...
Deepanshu Mishra 1 Sep 2018 12:22 PM GMT
लखनऊ। केजीएमयू के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट को 2017 के डॉ. बीसी रॉय राष्ट्रीय अवार्ड के लिए चुना गया है। यह अवार्ड उन्हें 'प्रतिष्ठित चिकित्सा शिक्षक' के लिए दिया गया है। इसकी घोषणा मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की अध्यक्ष डॉ. जयश्री मेहता द्वारा डॉ. भट्ट को भेजे गये पत्र में की गई है। उन्हें मिलने वाले सबसे प्रतिष्ठित अवार्ड के बारे में गाँव कनेक्शन ने उनसे खास बातचीत...
अपने चिकित्सा क्षेत्र के सफर के बारे में प्रो. एमएलबी भट्ट ने बताते हैं, "वर्ष 1977 में मैंने इसी चिकित्सा विद्यालय में मेडिकल स्टूडेंट के रूप में प्रवेश लिया। उस वक्त हम लोगों का सिर्फ एक सपना था चिकित्सक बनने का जो कि पूरा भी हुआ। इन अवार्ड और पदों के प्रति न ही कभी सोच थी, न ही कोई लगाव था और न ही कोई सपने थे, जिस भी जिम्मेदारी का काम हमें दिया गया हम लगातार करते रहे और उपलब्धियां आती रहीं। यह अवार्ड मेरी कोई व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है यह हमारे शिक्षकों की उपलब्धि है हमारे छात्रों की उपलब्धि है।"
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"चिकित्सा क्षेत्र में बेहतर का करने के लिए भारत सरकार की तरफ से डॉ. बीसी रॉय राष्ट्रीय अवार्ड प्रति वर्ष चिकित्सा क्षेत्र में सर्वोच्चतम पुरस्कार के रूप में दिया जाता है। इस पुरस्कार में प्रतिष्ठित चिकित्सा शिक्षक, शोधकर्ता, सोशल वर्क के लिए की तरह कई कटेग्री होती हैं। हमें यह अवार्ड प्रतिष्ठित चिकित्सा शिक्षक के रूप में मिला है। भारत सरकार की तरफ से चिकित्सा के क्षेत्र में इससे बड़ा कोई पुरस्कार नहीं है। मूलतः हम सभी डॉक्टर हैं, डॉक्टर में मानवीय संवेदना हमारा सबसे मूल प्रेरक तत्व होना चाहिए। अच्छे चिकित्सक के रूप में ही विशेषज्ञ का निर्माण होता है। अनुभव के आधार पर डॉक्टर विशेषज्ञ बनता है, "प्रो. एमएलबी भट्ट ने बताया।
"मैं अपने लक्ष्य को डेटा के रूप में नहीं देखता हूं। हमने विश्विद्यालय में बहुत सारी नई चीजों की शुरुआत की है। बच्चों के लिए आॅर्थोपेडिक विभाग, स्पोर्ट विभाग, वृद्ध मानसिक रोग के लिए फिर से ओपीडी की शुरुआत कर दी गई क्योंकि यह महत्वपूर्ण था। हमारे वहां एनेस्थीसिया विभाग में जहां पर अभी तक एमडी की सीट 21 थी जो कि बढ़ाकर 41 कर दी गई हैं। यह किसी भी मेडिकल कॉलेज में नहीं है कि तीनों वर्षों को मिलाकर एमडी के 123 विद्यार्थी हों लेकिन हमारे विश्वविद्याल में यह हुआ है। मेरा हमेशा से एक उद्देश्य रहा है कि हमारे चिकित्सक को काम करने के लिए सही वातावरण मिले और उनकी जो भी समस्याएं हों उनका समाधान करूं, " प्रो. एमएलबी भट्ट ने आगे बताया।
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