गोरेपन की क्रीम और यौन शक्ति बढ़ाने वाले भ्रामक विज्ञापनों पर लगेगा लगाम, हो सकती है जेल

फर्जी और भ्रामक विज्ञापनों को दिखाकर लोगों को गुमराह करने वाली कंपनियों पर सरकार शिकंजा कसने की तैयारी में

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गोरा बनाने, हाइट बढ़ाने या फिर मोटापे से छुटकारा दिलाने वाले फर्जी विज्ञापनों पर रोक के लिए सरकार नया कानून ला रही है। फर्जी और भ्रामक विज्ञापन दिखाने वाली कंपनियों पर 50 लाख रुपए तक का जुर्माना लग सकता है और 5 साल तक की सजा भी हो सकती है।

केंद्र सरकार ने उत्पादों को बेचने के लिए इस्तेमाल होने वाले भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए मौजूदा ड्रग्स एंड मैजिक रेमिडीस (ऑब्जेक्शनेबल एडवर्टाइजमेंट) एक्ट 1954 में संशोधन करने का फैसला किया है।

- इन विज्ञापनों पर लग सकता है जुर्माना

त्वचा को गोरी करने का दावा करने वाले विज्ञापन

एंटी एजिंग रेमेडीज विज्ञापनों पर

बालों को बढ़ाने का दावा करने वाले विज्ञापन

बच्चों की लंबाई बढ़ाने का दावा करने वाले विज्ञापन

स्मरण शक्ति बढ़ाने का दावा करने वाले विज्ञापन

आंखों की रोशनी तेज करने का दावा करने वाले विज्ञापन

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लखनऊ के इंदिरानगर की रहने वाली ज्योति शुक्ला (22वर्ष) बताती हैं, "लगातार काजल लगाने के कारण आंखों में अजीब से खुजली होने लगी, आंख से पानी भी आने लगा। मैनें जब डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने मुझे कुछ समय तक काजल बिल्कुल भी न लगाने की सलाह दी।"

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय मौजूदा ड्रग्स एंड मैजिक रेमिडीस (ऑब्जेक्शनेबल एडवर्टाइजमेंट) एक्ट 1954 में संशोधन करने का प्रस्ताव लेकर आई है। प्रस्तावित बिल के अनुसार झूठे वादे वाले विज्ञापन दिखाने पर कंपनियों को 10 लाख रुपए तक जुर्माना और दो साल कारावास का प्रावधान किया जा रहा है। इसके बाद भी कंपनियां फर्जी विज्ञापन दिखाना बंद नहीं करती तो दूसरी बाद उस पर 50 लाख रुपए तक जुर्माना और 5 साल तक की जेल भी हो सकती है।

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के प्रसिद्ध चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अबीर सारस्वत कहते हैं, " सरकार का यह प्रपोजल काफी सराहनीय है। चेहरे को गोरा करने वाले, सफेद बाल को काला करने वाले, लंबाई बढ़ाने वाले और मोटापे कम करने वाले विज्ञापनों पर सख्त कार्रवाई होनी ही चाहिए। कई ऐसे उत्पादों का विज्ञापन दिखाया जाता है जिसे बिना डॉक्टर की सलाह से नहीं बेचा जा सकता है। लोग विज्ञापन देखकर उस प्रोडक्ट को खरीद लेते हैं और स्वस्थ्य होने की जगह और बीमार पड़ जाते हैं।"

संशोधित अधिनियम में उन विज्ञापनों को भी प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव है जो एड्स, ब्रोन्कियल अस्थमा, भ्रूण के लिंग परिवर्तन, नपुंसकता, शीघ्रपतन के साथ-साथ 78 बीमारियों के निदान और उपचार की बात करते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन संशोधनों के लिए 45 दिन के अंदर सुझाव या अपत्तियां मांगी हैं।

   

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