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किसानों के लिए आफत की बारिश, यूपी समेत कई राज्यों में बारिश का दौर, 18 अक्टूबर को इन इलाकों के लिए रेड अलर्ट

दिल्ली, यूपी समेत कई राज्यों में रविवार से तेज बारिश का दौर शुरु हो गया है। मौसम विभाग ने तीन दिन का अलर्ट जारी किया है, जिसमें 18 तारीख को यूपी और उत्तराखंड के लिए रेड अलर्ट है। बारिश से खेती-किसानी को भारी नुकसान हो सकता है।
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धान समेत खरीफ की दूसरी फसलों की कटाई कर रहे किसानों के लिए मौसम का बदला रुख आफत बन गया है। यूपी, बिहार में ज्यादातर किसानों का धान अभी खेत में लगा है। जबकि हरियाणा-पंजाब में कटाई आखिरी चरण में है। मौसम के जानकारों के मुताबिक 16 अक्टूबर से शुरु हुई बारिश से खेत में लगी फसल को भारी नुकसान हो सकता है।

उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर समेत कई राज्यों में रविवार की दोपहर से तेज हवा के साथ बारिश का दौर शुरु हो गया है। जो 19 अक्टूबर तक रुक-रुक कर जारी रह सकता है। मौसम विभाग ने कई दिन पहले ही 16 से 19 अक्टूबर के बीच कई राज्यों में भारी बारिश, तेज हवा, गरज और बिजली कड़कने की आशंका जताते हुए अलर्ट जारी किया था। कानपुर स्थित चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञान विभाग ने किसानों के लिए जारी मौसम अलर्ट में  “पश्चिमी विक्षोभ भी सक्रिय होने से और ईस्टरली विंड (पुरवइया हवाएं) के आपसी टकराव से जो उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश के ऊपर होगा क्लाउड बनेंगे और लाइटनिंग के साथ बिजली कड़के और बारिश होने की भी पूरी संभावना है।”

यूपी में इस वक्त ज्यादातर किसानों का धान (Paddy) खेत में लगा है। इस बारिश (Heavy Rain) से उसे भारी नुकसान हो सकता है। धान खरीफ की मुख्य फसल है। किसानों के मुताबिक अक्टूबर के पहले हफ्ते में हुई बारिश के चलते पहले ही फसल में देरी और नुकसान हुआ है।

यूपी के सीतापुर जिले में 16 अक्टूबर की बारिश के चलते किसानों की खेत में कटी पड़ी धान की फसल भीग गई। फोटो मोहित शुक्ला

बाराबंकी जिले के फतेहपुर तहसील के अंतर्गत ग्राम बसारी के रहने वाले रूप लाल यादव (40) कहते हैं, “पिछली बरसात में धान की फसल तहस-नहस हो गई थी, किसी तरह कटाई करके खेतों में अभी पड़ी है और एक बार फिर से पानी गिर गया है और अभी देर रात तक पानी गिरने का दिख रहा है, क्योंकि आसमान में बादल छाए हुए हैं और अगर अब बरसात हुई तो हमें लगता है एक दाना भी घर को नहीं ले जा पाएंगे।”

किसानों के मुताबिक इस बारिश से सिर्फ ही नहीं धान (paddy) और उड़द की फसल को तो नुकसान होगा। जिन किसानों ने अगैती आलू (potato) और सरसों (Mustard) की बुवाई की थी उन्हें भी भारी नुकसान हो सकता है। बीज खेत में ही सड़ सकते हैं।  इतना ही नहीं आलू और सरसों की बुवाई भी पिछड़ेंगी। इसके साथ ही मौजूदा सब्जियों की फसल को तो नुकसान होगा ही सर्दियों की फसल की नर्सरी भी बर्बाद हो होगी। 

टमाटर, गोभी, समेत सब्जिय़ों की फसलों को नुकसान

सीतापुर जिले में गोंदलामऊ ब्लॉक में जरिगवां गांव के किसान अशोक मौर्या बारिश को देखकर काफी परेशान हैं। वो करीब 4 एकड़ टमाटर की रोपाई करने वाले थे, जिसकी नर्सरी और खेत दोनों तैयार थे।

अशोक गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, ” बारिश से सब्जियों की फसलों को भारी नुकसान है। 1500 रुपए का 10 ग्राम बीज लाकर (12-13 पैकेट-10 ग्राम) 4 एकड़ टमाटर की नर्सरी तैयार की थी। खेत भी तैयार था लेकिन बारिश हो गई है। अगर ज्यादा बारिश हुई तो नर्सरी गल जाएगी। इससे पहले हमने एक एकड़ खेत में गोभी लगाई थी, जिसमें 30 हजार रुपए खर्च हुए थे लेकिन घर में खाने के लिए एक फूल नहीं निकला।” अशोक के मुताबिक बारिश से उन्हें करीब 15-20 हजार रुपए के केवल टमाटर की नर्सरी के बीज का नुकसान होगा।

वहीं बाराबंकी में सूरतगंज ब्लॉक में टाडिपुर के रहने वाले संबारी राजपूत (38वर्ष) बताते हैं, “हमने अपने खेत को तैयार करके एडवांस (अगैती) में लगभग 1 एकड़ आलू की बुवाई कर दी थी, जिस हिसाब से पानी गिर रहा है हमें लगता है कि आलू का बीज खेतों में ही सड़ जाएगा और हमें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

बाराबंकी के सूरतगंज जिले में सहायक विकास अधिकारी पद पर तैनात सिद्धार्थ मिश्रा गांव कनेक्शन को बताते हैं, “हमारे ब्लॉक में अभी करीब 30 फीसदी ही धान कटा होगा, बाकी खेत में लगा है। बारिश और हवा से नुकसान हो सकता है। कृषि विभाग ने किसानों को वह्ट्सग्रुप आदि के जरिए सचेत किया था कि मौसम को देखते हुए कृषि कार्य करें। इससे पहले अक्टूबर के पहले जो बारिश हुई थी किसानों को उसमें भी काफी नुकसान हुआ था।”

उत्तर प्रदेश में करीब 60 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई थी। इस बार फसल अच्छी है। जो नुकसान हुआ है वो कई दौर की भारी बारिश के चलते ही हुआ है। यूपी सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2021-22 के लिए 70 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद का लक्ष्य रखा है। एमएसपी पर कुछ जिलों में खरीद 1 अक्टूबर से जबकि बाकी में 1 नवंबर से शुरु हो रही है।

यूपी, उत्तराखंड के लिए 18 अक्टूबर का दिन भारी, जारी किया गया है रेड अलर्ट

भारत मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में 17 अक्टूबर के लिए यूपी, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा,चंडीगढ़, दिल्ली, पश्चिम बंगाल के लिए ऑरैज अलर्ट जारी किया था। यहां भारी बारिश के साथ गरज और बिजली कड़नने की आशंका है।

जबकि जम्मू-कश्मीर, पंजाब,पश्चिमी राजस्थान,पश्चमी और पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा, तेलंगाना, कर्नाटक के तटीय इलाकों में, तमिलनाडु (मौसम विभाग के सब डिविजन) के लिए यलो अलर्ट जारी किया था, जहां गरज के सात बारिश की आशंका जताई गई थी।

18 अक्टूबर के लिए मौसम विभाग ने यूपी और उत्तराखंड के एक बड़े हिस्से के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। उत्तराखंड के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में भीषण बारिश की आशंका जताई है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश, पूर्वी यूपी और पश्चिम बंगाल के लिए ऑरेंज अलर्ट है।

जबकि हरियाणा, चंड़ीगढ़, दिल्ली, पश्चिमी राजस्थान, पूर्वी और पश्चिमी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ ओडिशा, केरल, आसाम, मेघायल, अरुणाचंल प्रदेश के लिए यलो अलर्ट है।

19 अक्टूबर से मौसम अपना रुख बदेलगा और उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और सिक्किम रीजन में औरेंज अलर्ट है, जबकि पश्चिम यूपी, बिहार, झारखंड, ओडिशा, आसाम, मेघालय, अरुणांचल प्रदेश में गरज के साथ बारिश की आशंका है।

कानपुर स्थित चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञान विभान ने किसानों के लिए जारी अलर्ट में कहा, “16 तारीख की रात से कानपुर सहित पूरे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश की गतिविधियां शुरु होंगी जो 19 तारीख तक उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जारी रहेंगी। कहीं-कहीं हल्की बारिश और कहीं-कहीं मध्यम से भारी बारिश के साथ मूसलाधार बारिश होने की पूरी संभावना है।”

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में छाए काले-काले बादल। यहां बारिश का दौर शाम को शुरु हुआ। फोटो-रामजी मिश्र

बारिश से परेशान क्या बोले

उन्नाव जिल में रविवार की दोपहर बारिश का दौर शुरु हुआ। यहां पर हाथों से धान की कटाई ज्याद होती है। और ज्यादातर खेतों में अभी फसल लगी है।

उन्नाव में सदर तहसील क्षेत्र के दुर्जन खेड़ा गाँव शिवराम यादव (71 वर्ष) ने मारुति गोल्ड धान लगाया था जो एक बीघा कट कर खेत में बांधने के लिए पड़ा है,बारिश होने से पूरी फसल भीग गयी है। शिवराम कहते हैं, “अगर और बारिश हुई तो धान सड़ सकता है क्योंकि हमारे खेत मे पानी के निकास की कोई व्यवस्था नहीं है,जब जरूरत थी तो बारिश नही हुई,जब फसल तैयार हुई तो बारिश आ गयी है। पता नहीं किसान से क्यों रूठे चल रहे है भगवान?”

इसी गांव के किसान विनोद कुमार (42 वर्ष) ने अगेती आलू की फसल लेने के लिए दो दिन पहले ही आलू गड़वाई थी। बारिश ने विनोद कुमार की मुश्किलें बढ़ा दी है। गाँव कनेक्शन से विनोद कुमार कहते हैं, “अगर और बारिश हुई तो जमाव मुश्किल है, डेढ़ एकड़ आलू की लागत लगभग 20 हजार रुपये से अधिक आयी है ऐसे में अधिक बारिश से आलू को नुकसान हो सकता है।”

उन्नाव के जिला कृषि अधिकारी के. के. मिश्रा ने बताया, “जनपद में धान का 99 हजार हेक्टेयर धान का रकबा है, हवा तेज चलने धान की फसल गिरने की संभावना है,फसल तैयार हो चुकी है इसलिए उत्पादन पर असर नहीं पड़ेगा लेकिन गिरने की वजह से धान की क़्वालिटी पर असर हो सकता है।अगर और अधिक बारिश होती है तो किसानों के लिए मुश्किल हो सकती है।”

वही कस्बा बेलहरा के रहने वाले राम कुमार( 45)बताते हैं कि धान की फसल की कटाई करके हमने उन खेतों में सरसों की बुवाई कर दी थी लेकिन लगातार पानी गिर रहा है और ऐसा नहीं लगता है कि यह अब रुकेगा हमें लगता है कि रात में और तेज बरसात होगी जिस हिसाब से आसमान में बादल छाए हैं ऐसे में सरसों की फसल को नुकसान होना निश्चित है

बेलहरा के रहने वाले प्रगतिशील किसान रमेश चंद्र( 50) कहते हैं कि पिछले लगभग 15 दिनों से बरसात नहीं हुई थी पानी नहीं गिरा था ऐसे में कई फसलें बोने की तैयारी किसान करने लगे थे आलू हरी मटर सरसों लहसुन जैसी फसलों को बोने के लिए खेत लगभग तैयार हो चुके थे और बहुत से किसानों ने इन की बुवाई शुरू भी कर दी थी लेकिन इस तरह हो रही बरसात से आने वाली फसलें भी अब लेट हो जाएंगी और जो फसलें वह गई हैं उनके बीज भी बर्बाद हो जाएंगे।

सरसों की अगैती बुवाई करने वाले परेशान

वहीं सीतापुर जिले के पिसावां ब्लॉक में पिपरी शादीपुर गाँव के किसान टीकाराम कर्ज पर पैसा लेकर के खेती में लगाया था। अब उन्हें मुनाफा नहीं जमा लौटने की चिंता है। टीकाराम कहते हैं, “एक एकड़ जमीन पर धान लगे हैं। तकरीबन 8000 हजार रुपये लागत आई थी। मौसम देखकर लग रहा है मुनाफा दूर बस जमा निकल आए।”

इसी गांव के रमाकांत मिश्र ने 2 एकड़ में सरसों की बुवाई शनिवार को किया था। सरसों उगेगी इसका संभावना बहुत कम है। रमाकांत कहते हैं, “बाज़ार से बीज लेकर के बुवाई की थी। डीज़ल के दाम बढ़ने के कारण जुताई का रेट आसमान पर है। 900 रुपये घंटे जुताई देकर व 700 रुपये किलो का बीज ख़रीद करके बुवाई कराई थीं।लेकिन बेमौसम बारिश ने सब चौपट कर दिया है। अब दोबारा बुवाई करने के लिये कर्ज लेना पड़ेगा।”

इनपुट- लखनऊ से अरविंद शुक्ला, बाराबंकी से वीरेंद्र सिंह, उन्नाव से सुमित यादव, सीतापुर से मोहित शुक्ला और शाहजहांपुर से रामजी मिश्र

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