महाराष्ट्र: किसानों के लिए मुसीबत बनी बारिश, तेज बारिश में बह गई सोयाबीन की फसल

लगातार हो रही बारिश ने महाराष्ट्र के कई जिलों में फसलों को बर्बाद कर दिया है, पिछले साल भी यहां पर बारिश से किसानों को नुकसान उठाना पड़ा था।

Divendra SinghDivendra Singh   15 Oct 2020 8:37 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
महाराष्ट्र: किसानों के लिए मुसीबत बनी बारिश, तेज बारिश में बह गई सोयाबीन की फसल

महाराष्ट्र के किसानों की मुसीबतें कम नहीं हो रहीं हैं, लगातार हो रही बारिश से खेत में तैयार सोयाबीन की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।

मराठवाड़ा के किसानों के अनुसार सबसे ज्यादा नुकसान सोयाबीन की फसल को हुआ है, क्योंकि वो फसल कटने के बाद थ्रेसिंग के लिए खेत में ढेर बनाकर रखी हुई थी, लेकिन तेज बारिश सोयाबीन के ढेर पानी के साथ बह गए। जब पानी खेत से निकलेगा तो तूर की फसल भी चौपट हो जाएगी।

उस्मानाबाद के उमरगा तालुका के चिंचौली भुयार गाँव के किसान अशोक पंवार, पिछले दिनों लगातार हो रही बारिश से नुकसान के बारे में बताते हैं, "पिछले साल भी यही हुआ था, लेकिन तब सोयाबीन की फसल खेत में थी, जिससे कुछ तो मिल गया था। इस बार तो सोयाबीन की फसल कटकर थ्रेसिंग के लिए तैयार थी, इतनी ज्यादा बारिश हुई की कटी फसल का ढेर ही पानी में बह गया। इस बार तो किसानों के हाथ कुछ भी नहीं आएगा।

मौसम विज्ञान विभाग की वेबसाइट के अनुसार पिछले हफ्ते (8 अक्टूबर से 14 अक्टूबर) को महाराष्ट्र के कई जिलों में औसत से अधिक बारिश हुई, जिसमें सबसे अधिक मराठावाड़ा क्षेत्र के लातूर, उस्मानाबाद, नांदेड़ जैसे जिलों में हुई है। लातूर जिले में औसत बारिश 19.5 मिमी होती है, जबकि 84.5 मिमी बारिश हुई। नांदेड़ में औसत बारिश 15.6 प्रतिशत बारिश होती है, जबकि 47.3 मिमी बारिश हुई। लेकिन 14 अक्टूबर को इन जिलों में समान्य से कई गुना बारिश हुई है, जिसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है।

मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार महाराष्ट्र के जिलों में सामान्य (हरा), सामान्य से अधिक (नीला और गहरा नीला) और सामान्य (लाल) से कम बारिश हुई।

लातूर, उस्मानाबाद, नांदेड़ महाराष्ट्र के वो जिले हैं, जहां पर किसानों की आत्महत्या की लगातार आती रहती हैं, यहां इस समय खरीफ की सोयाबीन, बाजरा, उड़द, कपास, ज्वार और मूंग की फसल तैयार हो रही है। सितम्बर से अक्टूबर में ये फसलें तैयार हो जाती हैं, लेकिन इस बार फिर बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है।

सितम्बर महीने से ही यहां पर बारिश ने तबाही मचानी शुरू कर दी थी, तब सोयाबीन की फसल खेत में ही थी। लगातार बारिश और जलभराव से बाजारा, ज्वार, सोयाबीन की तैयार फसलें खेत में ही अंकुरित होने लगीं थीं।

महाराष्ट्र के नाशिक, अहमदनगर, पुणे, धुले, शोलापुर जैसे जिलों में किसान प्याज की खेती करते हैं। इस बारिश से प्याज किसानों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा है। सितम्बर-अक्टूबर महीने में यहां पर प्याज की नर्सरी तैयारी होती है। लगातार हो रही बारिश से प्याज की नर्सरी खराब हो गई है।

पिछले साल भी यहां पर बारिश ने तबाही मचायी थी, गाँव कनेक्शन ने नवंबर 2019 को मराठवाड़ा, लातूर और उस्मानाबाद जिलों में रिपोर्टिंग के दौरान कई खबरें की थीं, जहां पर पिछले कई साल से सूखे की मार झेल रहे किसानों को बारिश ने बर्बाद कर दिया था।

updating..

ये भी पढ़ें: महाराष्ट्र: किसानों के लिए मुसीबत बनी बारिश, लगातार बारिश से खेत में बर्बाद हो रहीं फसलें
ये भी पढ़ें: महाराष्ट्र: किसानों को रुला रही बारिश, बर्बाद हो गई प्याज की फसल, अगले सीजन में बढ़ सकते हैं दाम


     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.