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यूपी: भारी बारिश में बहे किसानों के अरमान, फल-सब्जी के साथ धान और गन्ना किसानों को भारी नुकसान

भारी बारिश यूपी के किसानों को लाखों का नुकसान देकर गई है। कई जिलों में धान, केला, गोभी, पपीता, लौकी, तोरई, टमाटर, गन्ना की फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। सबसे ज्यादा नुकसान सब्जियों की फसल को हुआ है। प्रभावित किसान सरकार से मुआवजे और बीमा की आस में हैं। गांव कनेक्शन की ग्राउंड रिपोर्ट
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लखनऊ/बाराबंकी/कन्नौज/सीतापुर/उन्नाव। लखनऊ जिले के किसान विपिन यादव की पौने 2 एकड़ केले की फसल में 90 फीसदी पेड़ गिर गए हैं तो शाहजहांपुर जिले के अमरपाल गंगवार का 6 एकड़ गन्ना बर्बाद हो गया है। इसी गन्ने के सहारे में मई-जून में वो अपने बेटे और भाई की बेटी शादी करने वाले थे। वहीं बाराबंकी के किसान बैजनाथ का लगभग तैयार धान पानी में डूब गया है। उनकी मेंथा की फसल भी भारी बारिश के चलते कुछ महीने पहले बर्बाद हो चुकी है। उन्नाव जिले के विजय कुमार और कन्नौज के प्रेम वर्मा के लिए भी तेज हवा और भारी बारिश आफत लेकर आईं, उनके खेतों में लगी तरोई, लौकी और करेले की फसल बर्बाद हो गई।

उत्तर प्रदेश में 16 और 17 सितंबर को हुई अतिवृष्टि ने ग्रामीण इलाकों में भारी नुकसान किया है। मौसम विभाग के मुताबिक 16 सितंबर को सुबह 8.30 बजे से 17 सितंबर सुबह 8.30 बजे के बीच 24 घंटे में सामान्य से 635 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की है। इससे पहले 16 तारीख की सुबह तक यूपी में 108 मिलीमीटर बारिश हुई थी।

लखनऊ जिले में इटौंजा के पास अजरैल गांव में किसान विपिन का खेत, करीब 2 एकड़ केले की फसल बर्बाद हो गई। फोटो- अरविंद शुक्ला

अतिवृष्टि के साथ तेज हवा के चलते सब्जी, फल, अनाज और गन्ना जैसी फसलों को भारी नुकसान हुआ है। सबसे ज्यादा नुकसान केला, पपीता, गोभी, खीरा, लौकी तोरई, मिर्च आदि फसलों को हुआ है। इसके अलावा कई जिलों में धान की अगेती और पछेती दोनों फसलों को नुकसान हुआ है तो कई जिलों में तेज हवा के चलते गन्ने की फसल गिर गई है। दलहनी फसलों में अरहर और उड़द को नुकसान की आशंका है।

“मेरे पास करीब पौने 2 एकड़ केला था, जिसमें अब तक डेढ़ लाख रुपए की लागत आ चुकी थी। घार (फल) भी अच्छे आए थे, लेकिन 16 तारीख की भारी बारिश और हवा से 90 फीसदी पेड़ गिर गए। खेत में कुछ नहीं बचा है।” विपिन यादव मायूसी भरे शब्दों में कहते हैं।

विपिन का घर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इटौंजा थाना क्षेत्र के अजरैल गांव में पड़ता है। बख्शी का तालाब विधानसभा क्षेत्र के इस इलाके में सैकड़ों किसान केले की खेती करते हैं, जिनमें ज्यादातर का नुकसान हुआ है। विपिन के मुताबिक उन्होंने फसल बीमा नहीं कराया था।

विपिन की तरह सीतापुर जिले में मिश्रिख विकास खंड के बेलहरी गांव के किसान रमेश कुमार की भी करीब ढाई एकड़ केले की फसल बर्बाद हुई। उन्होंने तीन लाख रुपए लगाए थे। लेकिन बीमा नहीं था। सीतापुर के जिला उद्यान अधिकारी सौरभ श्रीवास्तव के मुताबिक जिले में 750 हेक्टेयर में केले की खेती की जाती है। लेकिन ज्यादातर किसान बीमा नहीं कराते हैं क्योंकि प्रीमियम बहुत महंगा है।” फसल नुकसान पर वो कहते हैं, “जनपद में अभी बेहटा और लहरपुर ब्लॉक से नुकसान की खबर है, जहां 5-10 फीसदी नुकसान हुआ है। पूरी रिपोर्ट आकलन के बाद मिलेगी।

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यूपी के बाराबंकी जिले में अपनी फसल में भरा पानी दिखाता किसान। फोटो- वीरेंद्र सिंह

बाराबंकी में मेंथा के बाद धान और सब्जियों की फसल भी बारिश की भेंट चढ़ी

लखनऊ के पड़ोसी जिले बाराबंकी में करीब 24 घंटे हुई मूसलाधार बारिश से धान, केला, गोभी, तुलसी की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। बाराबंकी की फतेहपुर तहसील के गोडियनपुरवा गांव के बुजुर्ग किसान पंचतीर्थ कहते हैं, “ये लगातार तीसरा साल है जब बारिश से फसलों को नुकसान हो रहा है। अबकी धान की तैयार फसल खराब हुई है, इससे पहले मेंथा की बर्बाद हुई जबकि तरबूज में उन्हें भारी नुकसान हुआ था।” पंचशील को चिंता है उनका घर तो जैसे-तैसे करके चल जाएगा लेकिन किसान क्रेडिट कार्ड पर लिया लोन कैसे चुकाएंगे। (एनएसओ की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रत्येक किसान परिवार पर औसतन 74000 रुपए से ज्यादा का कर्ज है।)

बाराबंकी में कई खेत ऐसे थे जहां घुटने के ऊपर तक दूसरे तीसरे दिन भी पानी भरा हुआ था। किसानों के मुताबिक पानी निकालने का कहीं कोई रास्ता नहीं है।

ज्यादा नमी के चलते गन्ने की जड़ें कमजोर हुईं और तेज हवा के चलते पौधे जड़ से उखड़ गए। शाहजहांपुर में इस तरह हुआ गन्ने को नुकसान। फोटो- रामजी मिश्र

किसान ने गन्ने के सहारे तय की थी बेटा-भतीजी की शादी, फसल चौपट

बाराबंकी से करीब 200 किलोमीटर दूर शाहजहांपुर जिले के नगरिया गांव में रहने वाले अमरपाल गंगवार ने इस साल 6 एकड़ में गन्ना लगाया था, जो बारिश और हवा में गिर गया। मई-जून में उनके बेटे और भाई की बेटी की शादी है। 17 सितंबर को अपने खेत में मिले अमरपाल (43 वर्ष) फसल की हालत देखकर रोने लगे।

अंगौछे से आंसू पोछते हुए उन्होंने कहा, “सब कुछ गन्ने के सहारे ही होना था बहुत नुकसान हो गया। देखो अब क्या निकलता है इसमें।”

अतिवृष्टि से तबाही का सिलसिला दूसरे जिलों में भी चला है। कन्नौज के लिए मौसम विभाग ने 18 सितंबर तक के लिए तीन दिनों का रेड अलर्ट जारी किया था। यहां बुधवार की देर रात शुरू होकर गुरुवार की रात तक तेज बारिश हुई। शुक्रवार को हल्की धूप निकली, लेकिन बादल के बाद रिमझिम बरसात जारी रही। करीब 38 घंटे की बारिश के बाद यहां किसानों की धड़कनें बढ़ गईं।

सीतापुर में पपीता और केले की फसल।

कन्नौज में था रेड अलर्ट-सब्जियों और अगेती आलू को नुकसान

कन्नौज में ब्लॉक उमर्दा क्षेत्र के बरुआहार गांव निवासी किसान प्रेम वर्मा बताते हैं कि एक एकड़ खेत में तोरई और लौकी लगाई थी। लेकिन जलभराव अधिक समय तक रहने से पौधे सड़ने लगे हैं। भारी नुकसान है। कन्नौज में सब्जियों के साथ मक्का और आलू की अगेती फसल को नुकसान हुआ है।

कन्नौज के जिला उद्यान अधिकारी मनोज चतुर्वेदी ने गांव कनेक्शन को बताया, “जनपद में अगैती आलू का करीब तीन-चार प्रतिशत बीज लगा दिया गया था। बरसात की वजह से उसका जमाव मुश्किल है। आगे धूप निकलेगी, जिससे वह सड़ जाएगा। जिले में करीब 50 हजार हेक्टेयर में आलू की फसल होती है।” कन्नौज में मक्के का रकबा करीब 44 हजार हेक्टेयर और धान का रकबा 22 हजार हेक्टेयर है।

सब्जियों की खेती और नर्सरी को सबसे ज्यादा नुकसान, योगी ने मांगी रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश में खरीफ के सीजन में धान, गन्ना, केला, पपीता के अलावा बड़े पैमाने पर सब्जियों की खेती होती है। प्रदेश में करीब 60 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई थी, जबकि करीब 12 लाख हेक्टेयर में फल-सब्जियों की खेती होती है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट मांगी है। 17 सितंबर को लखनऊ में अतिवृष्टि की समीक्षा करते हुए सीएम ने कहा कि आपदा प्रभावित लोगों को तत्काल नियमानुसार आर्थिक सहायता दी जाए।

प्रदेश के उद्यान विभाग के निदेशक डॉ. आर के तोमर कहते हैं, “बारिश से प्रदेश में कितना नुकसान हुआ है, इसका आकलन किया जा रहा है। जिन इलाकों में जलभराव हुआ, 2-3 दिन पानी रुका है वहां फसलें खराब होंगी। यूपी में करीब 12 लाख हेक्टेयर में सब्जियों की खेती होती है। सब्जियों की मुख्य बुवाई अक्टूबर महीने में होती है। अभी ज्यादा बुवाई नहीं थी।”

यूपी में सब्जियों की खेती मुख्यतः: अक्टूबर महीने में होती है। लेकिन सितंबर में बड़ी संख्या में किसान अगेती गोभी, टमाटर, बैंगन, शिमला मिर्च लगाते हैं जबकि ज्यादातर किसान इन दिनों नर्सरी (बेढ़न) तैयार करते हैं। जिसका बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है।

16 से 17 सितंबर के बीच 24 घंटे में 653 फीसदी अधिक बारिश

उत्तर प्रदेश में बारिश का सिलसिला 15 सितंबर की दोपहर के बाद शुरू हुआ था जो रुक कई जिलों में 17 सितंबर तक जारी रहा लेकिन सबसे ज्यादा बारिश 16 सितंबर को हुई। 15 की रात से लेकर 16 सितंबर तक हुई बारिश प्रदेश के ज्यादातर जिले पानी-पानी हो गए।

भारत मौसम विभाग के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 16 की सुबह 8.30 बजे से 17 सितंबर की सुबह 8.30 बजे के बीच 24 घंटे में 41.4 फीसदी बारिश हुई है जो अपेक्षित 5.5 मिलीमीटर बारिश से 653 फीसदी अधिक है। मौसम विभाग, यूपी के निदेशक जेपी गुप्ता के मुताबिक निम्न दबाव क्षेत्रों के कारण 16 सितंबर की सुबह 8 बजे तक ही 108 मिलीमीटर बारिश हो गई थी।

अगर पूरे मानसून सत्र की बात करें तो भारत मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 1 जून से लेकर 18 सितंबर तक उत्तर प्रदेश के 75 में से 12 जिलों में ज्यादा, 2 जिलों में अतिवृष्टि, 35 जिलों में सामान्य और 26 जिलों में औसत से कम बारिश हुई है।

यूपी में 16 सितंबर सुबह 8.30 बजेसे 17 सितंबर 8.30बजे तक हुई बारिश। via IMD

उत्तर प्रदेश में कन्नौज, आजमगढ़, बाराबंकी, अंबेडकरनगर, अयोध्या, गोंडा और सीतापुर में सबसे ज्यादा बारिश हुई है।

गन्ने का नहीं होता फसल बीमा

गन्ने की खेती की बात करें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर सीतापुर, गोंडा तक बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती होती है। गन्ने इस महीने तक 5-8 फीट तक लंबा हो जाता है। ऐसे में तेज हवा चलने से कई जिलों में गन्ने की फसल गिर गई है। लेकिन गन्ने की फसल का भी बीमा नहीं होता है।

शाहजहांपुर स्थित भारतीय गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. संजीव पाठक बताते हैं, “गन्ना लंबाई में बढ़ने वाली फसल है। हवा चलने से और मिट्टी नम होने पर इसकी फसल गिर जाती है। गन्ना गिरने के बाद उसमें जानवरों द्वारा भी नुकसान होने लगता है। प्रकाश संश्लेषण ना हो पाने पर उसकी वृद्धि रुक जाती है। लेकिन अगर गिरे हुए गन्ने को 24 घंटे के अंदर उठाकर फिर से बांधा जाए और मिट्टी से उसकी जड़ों को दबाया जाए तो उसके होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। हालांकि जिस तरीके से 2 दिन मौसम खराब रहा है इससे किसानों को नुकसान हुआ है।”

कन्नौज में 15 सितंबर तक सैकड़ों किसानों ने आलू की अगैती फसल बोई थी। कृषि जानकारों के मुताबिक अब ये आलू खेत में ही सड़ जाएगा। फोटो- via अजय मिश्रा

अब क्या करें किसान- यूरिया नहीं, फफूंद नाशक कीटनाशक का करें इस्तेमाल

बारिश का सिलसिला थमा जरुर है लेकिन किसानों की फसलों पर खतरा बरकरार है। खेतों से पानी से जो नुकसान हुआ इसके बाद अब उनमें रोग लगेंगे। इसलिए जरूरी है किसान अपनी फसलों को लेकर सतर्क करें।

आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय अयोध्या से संबंधित कृषि विज्ञान केंद्र बलरामपुर के मौसम वैज्ञानिक डॉ. अंकित तिवारी गोंडा, बहराइच, महराजगंज, श्रावस्ती समेत कई जिलों में अगले हफ्ते भी गरज-चमक और तेज हवाओं के साथ कई जिलों में बारिश की संभावना जताते हैं। वो कहते हैं, “लगातार बारिश का सिलसिला तो रुक गया है लेकिन छिटपुट बारिश इधर जारी रहेगी। इन ज़िलों में अधिकतम तापमान लगभग 30-36℃ के मध्य व न्यूनतम तापमान 23-26℃ के मध्य रहने का अनुमान है।”

सीतापुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र कटिया के कार्यकारी अध्यक्ष और पादप रक्षा वैज्ञानिक डॉ. डीएस श्रीवास्तव कहते हैं, “जून के महीने में 15 दिन पहले मानसून आ जाने से दलहनी फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था। इस समय लगातार बारिश से केला, गन्ना, सब्जियों की फसलों को नुकसान हुआ है।”

वो किसानों को सलाह देते हैं, “आगे फसल बचाने के लिए किसान भाई नत्रजन (यूरिया) का प्रयोग 4-5 दिन के लिए रोक दें। बारिश के बाद तापमान बढ़ने पर फफूंद का प्रकोप होगा। ऐसे में कॉपर आक्सीक्लोराइड 45 ग्राम, 2 ग्राम स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट को 15 लीटर पानी में छिड़काव करें।

कृषि रक्षा अधिकारी बाराबंकी प्रीति किरण बाजपेई बताती हैं, “आवश्यकता से अधिक बरसात हो गई है, जिससे खेतों में जलभराव की स्थित हो गई है और ऐसी परिस्थितियों में कीट-पतंगों का और गंधी के साथ फफूंदनाशक रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है। मौसम खुलने पर किसान फफूंद नाशक और कीटनाशक का प्रयोग करें। लेकिन सबसे पहले किसान कोशिश करें कि जितना संभव हो पानी निकाल दें।”

बाराबंकी में जिला कृषि सहायक अधिकारी प्रशांत कुमार ने गांव कनेक्शन को बताया कि जिले में करीब 184000 हेक्टेयर धान की खेती की जाती है। कुछ क्षेत्रों में अगेती धान की खेती किसान कर रहे हैं, उन्हें नुकसान हो सकता है। जोरदार बरसात और तेज हवाओं से हुए नुकसान के आकलन के लिए जिलाधिकारी आदर्श सिंह ने टीमें गठित की हैं। हम लोग किसानों से अपील कर रहे हैं कि वो अपने खेतों से पानी जरूर निकालने की कोशिश करें।”

कन्नौज के कृषि विज्ञान केंद्र अनौगी जलालाबाद कन्नौज के अध्यक्ष और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वीके कनौजिया किसानों को सलाह देते हैं, “अगर सब्जियों और फलों वाली फसल में दाग-धब्बे हो रहे हैं तो मैंकोजैब ढाई ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। अगर पौधा या जड़ सड़ रही है तो कॉपर ऑक्सीक्लोराइट तीन से चार ग्राम प्रति लीटर पानी में छिड़काव करना चाहिए। फसल में कीड़ा लगने पर इमिडा क्लोप्रिड तीन ग्राम प्रति 10 लीटर पानी के हिसाब से डालना चाहिए।’

रिपोर्टिंग टीम- लखनऊ से अरविंद शुक्ला, बाराबंकी से वीरेंद्र सिंह, कन्नौज से अजय मिश्रा, शाहजहांपुर से रामजी मिश्रा, सीतापुर से मोहित शुक्ला और उन्नाव से सुमित यादव

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