आइए इन्हें शुक्रिया कहते हैं, जिनकी वजह से हम घरों में सुरक्षित हैं

जब हम और आप अपने बचाव के लिए घरों में कैद हैं, तब ये लोग अपनी ड्यूटी पर होते हैं ताकि हम अपने घरों में सुरक्षित रह सकें। आईए मिलकर इन्हें शुक्रिया कहते हैं और इनका हौसला बढ़ाते हैं।

Divendra SinghDivendra Singh   25 March 2020 5:39 AM GMT

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आइए इन्हें शुक्रिया कहते हैं, जिनकी वजह से हम घरों में सुरक्षित हैं

लखनऊ। इस समय जब कोरोना वायरस के कारण देश और दुनिया में लोग अपने घरों में सुरक्षित बैठें हैं, तब भी ऐसे बहुत से लोग हैं, जो हर दिन काम पर जा रहे हैं, ताकि हम हर दिन अपने घरों में खुद को सुरक्षित महसूस करें।

गांव कनेक्शन ने कई डॉक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट, पुलिस और सफाई कर्मियों से बात की जो अभी भी हर दिन काम और जा रहे हैं। कोरोना ऐसा वायरस है, जिससे संक्रमित होने के बाद अपने घर वालों को भी पास नहीं आने दिया जाता, उस समय डॉक्टर और नर्स दिन-रात कोरोना से संक्रमित मरीज के इलाज में लगे रहते हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी ने 21 दिन के लिए पूरे देश को लॉकडाउन की घोषणा की है। यह लॉकडाउन 24 मार्च रात 12 बजे से 14 अप्रैल तक लागू हो गया है। इस दौरान बहुत लोग हैं जो इस लॉक डाउन सफल बनाने में लगे हैं।

प्रोग्रेसिव मेडिकोज एंड साइंटिस्ट्स फोरम (पीएमएसएफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और एम्स के पूर्व डॉक्टर डॉ हरजीत सिंह भट्टी भी यही चाहते हैं कि लोग घरों में रहकर कोरोना से लड़ाई में डॉक्टरों का साथ दें। वो कहते हैं, "हम डॉक्टर्स 24 घंटे लोगों को बचाने में लगे हुए हैं, तो लोगों को भी चाहिए कि वो हमारा साथ दें, तभी कोरोना को फैलने से रोका जा सकता है।"

"जैसे सभी पेरेंट्स को अपने बच्चों की फिक्र रहती है, वैसे भी हम डॉक्टर्स के पेरेंट्स परेशान रहते हैं, अभी मेरी मम्मी ने यूट्यूब पर एक वीडियो देखा कि कोरोना हवा में उड़कर भी संक्रमित कर सकता है। तुरंत उन्होंने फ़ोन किया कि अपना खयाल रखो। उन्हें हमारी फिक्र लगी रहती है। इसलिए जब तक लोग हमारा सहयोग करते रहेंगे सभी सुरक्षित रहेंगे। "डॉ. हरजीत सिंह भट्टी ने आगे कहा।

डॉ हरजीत सिंह भट्टी और उनके साथी डॉक्टर दिन-रात लगे हुए हैं

सुरक्षित रखने के बारे में वो आगे बताते हैं, "सबसे पहले यहां पर अलग-अलग एरिया बांटा है, COVID सस्पेक्टेड मरीज को अलग रखा जाएगा, और जो दूसरे मरीज को अलग रखा जाएगा। जो डॉक्टर्स और नर्सेस covid मरीज के पास जाएंगे उनके लिए अलग ड्रेस रखी गई है, इस तरह से सुरक्षित रखने की कोशिश चल रही है।"

डॉक्टर्स के साथ ही एक बहुत महत्वपूर्ण तबका है, जो अपना पूरा जीवन ही लोगों की सेवा में लगा देता। इस समय कोरोना के संक्रमित मरीजों के साथ यही लोग सबसे ज्यादा वक्त बिता रहे हैं।

ये वो नर्सेस हैं जो बिना थके कई घण्टे मरीजों की सेवा में लगी रहटी हैं। लखनऊ के राजाजीपुरम में रानी लक्ष्मीबाई सयुंक्त चिकित्सालय में स्टाफ नर्स मालती देवी, हर दिन कई घंटे अस्पताल में ड्यूटी करती हैं। मालती देवी बताती हैं, "इस समय सबसे ज्यादा हमारी ही जरूरत है, अगर हम ही घर बैठ जाएंगे तो कैसे काम चलेगा। मरीजों की सुरक्षा के साथ ही खुद की भी सुरक्षा देखनी होती है। इसलिए पूरी सावधानी से घर से अस्पताल तक जाते हैं और वहां भी पूरी सावधानी बरतते हैं।"

इस समय पूरे देश में लॉकडाउन है। किसी को घर से निकलने के लिए मनाही है। ऐसे में पुलिस की जिम्मेदारी है कि वो लोगों को समझाए और घरों से बाहर आने से रोके। कानपुर के चकिया थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर रवींद्र सिंह सुबह से हाईवे और बाजार में गश्त लगाते हैं, ताकि कोई अपने घरों से न निकले। रवींद्र बताते हैं, "जब से लॉक डाउन हुआ है, हम दिन रात ड्यूटी कर रहे हैं, हमारी जिम्मेदारी बनती हैं कि लोग सुरक्षित रहें, लेकिन फिर भी लोग मानने को तैयार नहीं लोग बाइक, कार में घरों से बाहर निकलते रहते हैं। अगर किसी को इमरजेंसी है तो हम उन्हें जाने देते हैं।"

पुलिस काम पर लगी हुई है बस लोगों के सहयोग की जरुरत है

"जब तक हम बाहर रहते हैं, मास्क लगाए रहते हैं, ज्यादा देर तक लगाए रहने से परेशानी भी होती है। इसलिए लोगों को समझना चाहिए कि हम उन्हीं के लिए ड्यूटी पर लगे हैं, बहुत ज्यादा जरूरी न हो तो घरों से बाहर न निकलें। " रवींद्र सिंह ने आगे बताया।

लखनऊ के गोमती नगर में बहराइच के रहने वाले कॉन्स्टेबल योगेश कुमार यादव की ड्यूटी लगी है। योगेश बताते हैं, "लॉकडाउन के पहले दिन लोग घरों से निकल कर सड़क पर आ रहे थें, लेकिन अब लोग समझ गए हैं कि अंदर रहने में ही उनकी भलाई है।"


लॉक डाउन के समय चौराहे पर खड़े योगेश की कुछ परेशानियां भी हैं, वो कहते हैं, "विभाग की तरफ से न हमें मास्क मिलें हैं और न ही सैनिटाइजर, सभी को एक-एक साबुन दिए गए हैं। अब हम यहां सड़क पर खड़े हैं तो हाथ कहाँ धोते रहेंगे। हमने खुद से मास्क और सैनिटाइजर लेकर रखा है।"

इस समय सबसे ज्यादा मुश्किलें भीख मांगने वालों, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों और मजदूरों के सामने आ रही है। लॉकडाउन से उनकी दिनचर्या सबसे अधिक प्रभावित हुई है, ऐसे में सबसे बड़ी मुश्किल है उन्हें कैसे सुरक्षित रखा जाए।

ऐसे में कई गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ऐसे लोगों की मदद को आगे आएं हैं। ऐसा ही एक एनजीओ है, उदय फाउंडेशन जो दिल्ली में ऐसे बहुत से लोगों को खाना, मास्क, साबुन जैसी जरूरी चीजें मुहैया करा रहे हैं।


फाउंडेशन अलग-अलग इलाकों में जाकर इन लोगों को साबुन, सैनेटाइजर, फेस मास्क भी बांट रहा है। साथ ही, उन्हें सही तरीके से हाथ धोने की ट्रेनिंग भी दे रहा है।

सोशल एक्टिविस्ट और उदय फाउंडेशन के फाउंडर राहुल वर्मा बताते हैं, "बहुत से ऐसे लोग हैं, इनमें बेघर लोग हैं, दिहाड़ी मजदूर हैं, इनमें शहरों में इलाज करवाने आए लोग भी हैं। हम उन लोगों को जरूरी सामान देने के साथ ही जागरूक भी कर रहे हैं। इसी का ध्यान रखते हुए हमने इन्हें साबुन, सैनेटाइजर, मास्क, हेल्थकिट देना शुरू किया है।"


राहुल और उनकी टीम दिल्ली के अलग अलग हिस्सों में लोगों की मदद के लिए पहुंच रहे हैं। राहुल बताते हैं, "हमारे वालेंटियर भी पूरी तरह से तैयार होकर जाते हैं। झुग्गी-झोपड़ियों और सड़क पर रहने वाले बहुत से ऐसे परिवार हैं। जो हर दिन कमाते-खाते हैं अब तो उनके लिए काम ही नहीं बचा। इसलिए हम उन तक खाना भी पहुंचा रहे हैं। इस में और लोगों को आगे आना होगा। क्योंकि अभी आगे और भी ज्यादा स्थिति खराब हो सकती है।

लोग भले ही घरों में रह रहे हों, लेकिन घरों से कूड़ा हर दिन निकलता है, सोचिए अगर एक दिन सफाई कर्मी न आए तो क्या हो सकता है। ऐसी ही एक फौज है सफाई कर्मियों की, अब भी हर दिन आप के शहर और मोहल्ले को साफ करने में लगे हुए हैं।


लखनऊ के गोमतीनगर कूड़ा निस्तारण केंद्र पर पूरे शहर से कूड़ा आता है। केंद्र इंचार्ज, शैलेन्द्र सिंह बताते हैं, "अगर हम भी घरों में बैठ जाएं तो सोचिए क्या हो सकता है। हमारे यहां 30 से अधिक गाड़ियां तो सिर्फ गोमती नगर से कूड़ा उठाती हैं। हमारे भी घर वालें हैं हमें भी डर लगता है। इसलिए पूरी सुरक्षा के साथ कूड़ा उठाते हैं। हमने अपने सारे सफाई कर्मियों और ड्राइवर को मास्क, सैनिटाइजर, जूते दिए हैं। जिससे वो सुरक्षित रहें। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो डरे हुए हैं, लेकिन हम डर के नहीं बैठ सकते हैं।"

   

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