कार्बेट रिजर्व पर उच्च न्यायालय का फैसला, पर्यटक नहीं कर पाएंगे रात्रि विश्राम

उच्च न्यायालय ने कार्बेट रिजर्व में वाहनों की आवाजाही पर नियंत्रण लगा दिया है। न्यायालय ने वन में पर्यटकों के रात्रि में विश्राम पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।

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कार्बेट रिजर्व पर उच्च न्यायालय का फैसला,  पर्यटक नहीं कर पाएंगे रात्रि विश्राम

देहरादून। उच्च न्यायालय ने कार्बेट रिजर्व (सीटीआर) में वन विश्राम गृहों में रात्रि विश्राम पर रोक लगा दी है। उच्च न्यायालय ने कार्बेट रिजर्व में वाहनों की आवाजाही पर भी नियंत्रण लगा दिया है। न्यायालय के इस फैसले से इस लोकप्रिय पर्यटन स्थल पर घूमने के लिए आने वाले बहुत से पर्यटकों की बुकिंग रद्द हो गई है। इन पर्यटकों ने रात्रि के विश्राम के लिए बुकिंग की थी। बुकिंग के रद्द होने से कार्बेट रिजर्व के व्यापार को काभी झटका लगा है। उच्च न्यायालय ने यह फैसला वन्य जीवों को बचाने के लिए लिया है।

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साभार: इंटरनेट

कार्बेट रिजर्व केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बाघों के लिए मशहूर है। यहां विदेशों से भारी संख्या में पर्य़टक घूमने आते हैं। राहुल (सीटीआर के निदेशक) ने बताया, "धारा, झिरना, ढेला, बिजरानी और ढिकाला सहित रिजर्व के विभिन्न भागों में स्थित वन विश्राम गृहों में रात्रि विश्राम पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा प्रतिबंध लगाने से बडी संख्या में बुकिंग रद्द हुई है जिससे रिजर्व के राजस्व को बहुत नुकसान पहुंचा है।"

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"ढिकाला जोन कल से खुलने वाला है लेकिन हमेशा इस वक्त होने वाला उत्साह इस बार गायब है क्योंकि यहां वन विश्राम गृहों में कोई रात्रि विश्राम नहीं होगा और एनीमल सफारी के लिये जाने वाली जिप्सीज़ की संख्या भी सीमित कर दी गयी है।" यह बात ढिकाला का उदाहरण देते हुए रिजर्व के निदेशक ने कही।

वन अधिकारी ने बताया कि "इस आदेश के चलते भारी संख्या में बुकिंग रद्द होने और पर्यटकों के देश के अन्य बाघ अभयारण्य में जाने को वरीयता देने से कार्बेट में पर्यटन व्यवसाय से जुडे लोग भी काफी निराश हो गये हैं। कार्बेट के बफर जोन में स्थित सीताबनी के एक रिजार्ट के महाप्रबंधक किरण सागर ने कहा कि "रिजर्व में पर्यटन से संबंधित बिजनेस में कम से कम 50—60 फीसदी तक की गिरावट आयी है।"

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उन्होंने कहा कि "उच्च न्यायालय द्वारा नियंत्रित किये जाने के बाद अब कार्बेट में एक दिन में 20 से ज्यादा जिप्सीज़ नहीं चल सकतीं। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने दस अगस्त को दिये अपने आदेश में कहा था, "हमारा विचार है कि वन्यजीवों को बचाने के लिये किसी भी पर्यटक को राष्ट्रीय पार्को, संरक्षित जंगलों और रिजर्व जंगलों में रात भर ठहरने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।"

इससे पहले उच्च न्यायालय की इसी पीठ ने अपने एक आदेश में रिजर्व के विभिन्न जोनों में एक दिन में प्रवेश करने वाले वाहनों की संख्या को 100 तक सीमित कर दिया था।

   

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