उत्तराखंड धरोहर: अंग्रेजों ने इस किले को बनाया था अपना मुख्यालय, जानिए इसकी खासियत
Shrinkhala Pandey 18 Aug 2021 8:00 AM GMT
वर्षों से इतिहास को समेटे उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर पिथौरागढ़ के किले की दोबारा मरम्मत को काम लगभग पूरा हो गया है। इससे पहले इसे बाऊलकीगढ़ किले के नाम से जाना जाता था। दो महीने में ये सांस्कृतिक विरासत दोबारा पिथौरागढ़ की पहचान बनकर उभरेगी। क्योंकि जुलाई 2015 से यहां निर्माण कार्य चल रहा था जो अब लगभग पूरा हो चुका है।
पिथौरागढ़ के किले को वर्ष 1791 में गोरखाओं ने अपनी सुरक्षा के लिए बनाया था। ये किला पितरौटा गांव की चोटी पर स्थित है। इस किले में गोरखा सैनिक और सामंत ठहरते थे। इस किले में एक तहखाना भी बनाया गया था। इसमें कीमती सामना और असलहे रखे जाते थे। किले के अंदर कुछ गुप्त दरवाजे और रास्ते भी थे। इनका प्रयोग आपातकाल में किया जाता था। किले के भीतर ही सभी सुविधाएं मौजूद थीं।
किला चारों तरफ से अभेद्य परकोटे नुमा सुरक्षा दीवार से घिरा हुआ है। इसके अंदर बंदूकें चलाने के लिए 152 छिद्र मचान बनाए गए हैं। पूरे किले की दीवार की लंबाई 88.5 मीटर और चौड़ाई 40 मीटर है और ऊंचाई आठ फिट, नौ इंच है। किले की मोटी दीवारों की चौड़ाई पांच फिट चार इंच है। इसकी दीवारें मोटे कठुवा पत्थर की हैं और चिनाई चूने और गारे से की गई है।
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पर्यटन विभाग ने 2013 से संचालित पर्यटन अवसंरचना विकास निवेश कार्यक्रम के तहत किले के विकास की योजना तैयार की थी। राज्य का पर्यटन विभाग एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) की वित्तीय मदद से किले का जीर्णोद्धार 2015 से चल रहा है।
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मौके पर मिले सुपरवाइजर पन्नालाल ने बताया, "दो महीने में किला तैयार हो जाएगा। इसका रूप वही है जो पहले था। इसकी मरम्मत में लगभग साढे चार करोड़ का बजट आया था। किले में प्रवेश के लिए दो दरवाजे हैं। अंदर छोटे बड़े मिला कर 15 कमरे हैं। किले के बिल्कुल पीछे दो बंदी गृह व पुस्तकालय भी है।"
अंग्रेजों ने बनाया था इसे मुख्यालय
संगोली की संधि के बाद 1815 में अंग्रेजों ने इस किले का नाम लंदन फोर्ट कर दिया था और इसे अपना मुख्यालय बनाया था। पिथौरागढ़ में किले के अंदर एक शिलापट्ट लगा है। इसमें प्रथम विश्व यु्द्ध में प्राण न्योछावर करने वाले सैनिकों का उल्लेख किया गया है। शिलापट में लिखा गया है कि परगना सोर एंड जोहार से विश्व युद्ध में 1005 सैनिक शामिल हुए थे जिनमें से 32 सैनिक शहीद हुए थे। यहां के स्थानीय निवासियों के अनुसार किले के अंदर एक कुंआ भी था जिसमें युद्ध के समय कई लोगों की गिरकर मौत हुई थी, वहां अब एक बड़ा पीपल का पेड़ हैं।
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Pithoragarh cultural heritage
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