ड्यूटी खत्‍म होने से मायूस हैं होमगार्ड, बोले- 'योगी जी हमारी दिवाली काली हो गई'

उत्‍तर प्रदेश सरकार की ओर से पुलिस विभाग में तैनात 25 हजार होमगार्ड्स की ड्यूटी खत्‍म करने का निर्णय लिया गया है।

Ranvijay SinghRanvijay Singh   15 Oct 2019 1:45 PM GMT

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लखनऊ। ''योगी जी हमारी दिवाली काली हो गई है। मेरे छोटे-छोटे बच्‍चे हैं, उनका क्‍या होगा। मैंने पूरी मेहनत से काम किया और यह सिला दिया आपने।'' होमगार्ड विक्रम सिंह आंखों में आंसू लिए यह बात कहते हैं।

विक्रम सिंह उस शासनादेश के बाद से मायूस हैं जिसमें उत्‍तर प्रदेश सरकार की ओर से पुलिस विभाग में तैनात 25 हजार होमगार्ड्स की ड्यूटी खत्‍म करने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय 28 अगस्त 2019 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में लिया गया था। दिवाली से ठीक पहले आए इस शासनादेश से पुलिस विभाग में तैनात होमगार्ड काफी परेशान हैं।

उत्तर प्रदेश होमगार्ड अवैतनिक अधिकारी व कर्मचारी एसोसिएशन के अध्‍यक्ष रामेंद्र यादव बताते हैं, ''प्रदेश में होमगार्ड की स्‍व‍ीकृत संख्‍या 1 लाख 18 हजार 300 के आस पास है। हमने हाईकोर्ट से नई भर्तियां रोकने की अपील की थी। इस वजह से वर्तमान में 90 हजार के आस पास होमगार्ड की संख्‍या है। इसमें से 87 हजार होमगार्ड ड्यूटी पर थे। लेकिन पिछले दिनों आए दो फैसलों की वजह से करीब 41 हजार होमगार्ड बेरोजगार हो गए हैं।''

होमगार्ड्स की ड्यूटी हटाने के लिए जारी किए गया आदेश

रामेंद्र यादव बताते हैं, ''पहला फैसला एक अक्‍टूबर 2019 को लिया गया, जिसमें 16 हजार 519 होमगार्ड की ड्यूटी खत्‍म की गई। यह लोग होमगार्ड विभाग की ओर से ड्यूटी कर रहे थे। इसके बाद 11 अक्‍टूबर 2019 को आए दूसरे शासनादेश में पुलिस विभाग में तैनात 25 हजार होमगार्ड की ड्यूटी खत्‍म कर दी गई। इस तरह 41 हजार 519 होमगार्ड की ड्यूटी खत्‍म हुई है।''

रामेंद्र यादव ड्यूटी खत्‍म करने के इन फैसलों पर कहते हैं, ''हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद होमगार्ड्स का मानदेय बढ़ा था। पहले होमगार्ड 500 रुपए प्रति दिन के हिसाब से पा रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद होमगार्डों को 600 रुपये मानदेय और 72 रुपये डीए देने की बात हुई, यानि कुल 672 रुपए होमगार्ड को मिलेंगे। लेकिन इस नए फैसले के बाद होमगार्ड्स के सामने भूखमरी के हालात पैदा हो गए हैं।''


होमगार्ड अवधेश कुमार यादव कहते हैं, ''672 रुपए मिलने की खुशी अभी मना भी नहीं पाए थे कि बेरोजगारी के कगार पर आ गए हैं। मेरे पास तो जमीन भी नहीं है जो कहीं खेती करके गुजारा किया जा सके। सरकार को इस फैसले पर एक बार सोचान चाहिए। हमें काम नहीं मिलेगा तो हम घर कैसे चलाएंगे।''

वहीं, होमगार्ड विरेंद्र कुमार कहते हैं, ''हमने तो यह सोचा भी नहीं था। मुझे तो फिक्र हो रही है कि अब मैं क्‍या करूंगा। घर वालों से क्‍या कहूं कि इस बार हम लोग दिवाली नहीं मना सकते क्‍यों‍कि कल का कुछ पता ही नहीं है। कम से कम नौकरी कर रही थे तो कुछ तय था। अब तो रोज के खाने की चिंता लगी हुई है।''

विरेंद्र कुमार कहते हैं, ''मैंने काम के दौरान कभी कामचोरी नहीं की है। मैं 12-12 घंटे तक काम करता था, लेकिन इसका यह नतीजा मिला है। मेरी बस यही अपील है कि यह सोचा जाए इससे बहुत से परिवार बर्बाद हो जाएंगे।''

  

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