गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी किया स्वीकार, फेक न्यूज से बढ़ रही हैं हिंसक घटनाएं

मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं का मामला संसद तक पहुंच गया है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी आज स्वीकार किया कि देश में फेक न्यूज की वजह से हिंसक घटनाओं में तेजी आई है। उन्होंने इन घटनाओं के पीछे सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों को सबसे बड़ा कारण बताया

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गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी किया स्वीकार, फेक न्यूज से बढ़ रही हैं हिंसक घटनाएं

दिल्ली। भीड़ द्वारा पीट-पीट कर लोगों की हत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। ऐसी घटनाओं से लोगों में आक्रोश है। मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं का मामला संसद तक पहुंच गया है। संसद के चल रहे मानसून सत्र में विपक्ष ने इस मुददे पर हंगामा भी किया। इस बात को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी आज स्वीकार किया कि देश में फेक न्यूज की वजह से हिंसक घटनाओं में तेजी आई है। उन्होंने इन घटनाओं के पीछे सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों को सबसे बड़ा कारण बताया है। उन्होंने कहा, केंद्र ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिये प्रभावी कार्रवाई कर रहा है। ऐसी घटनाएं अफवाह फैलने, फेक न्यूज और अपुष्ट खबरों के फैलने के कारण घटती हैं।

लोकसभा में आज शून्यकाल के दौरान कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल ने भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या करने के बढ़ते मामलों और असहमति के स्वर को दबाने का विषय उठाया और सरकार से जुड़े लोगों पर ऐसी घटनाओं का समर्थन करने का आरोप लगाया। इस पर राजनाथ सिंह ने कहा कि यह सचाई है कि कई प्रदेशों में मॉब लिंचिंग की घटनाएं घटी हैं। इसमें कई लोगों की जानें भी गई है। लेकिन ऐसी बात नहीं है कि इस तरह की घटनाएं विगत कुछ वर्षों में ही हुई हैं। पहले भी ऐसी घटनाएं हुई हैं। लेकिन ऐसी घटनाएं चिंता का विषय हैं। गृह मंत्री ने कहा कि ऐसी घटनाएं अफवाह फैलने, फेक न्यूज और अपुष्ट खबरों के फैलने के कारण घटती हैं।

ख़बर,फोटो, वीडियो साझा/ शेयर करने से पहले सोचे हज़ार बार: ऐसे करें रिपोर्ट



भारत में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या लगातार बढ‍़ती जा रही है। देश में इस समय करीब 50 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ता हैं। इसमें से 24 करोड़ से ज्यादा फेसबुक और करीब 20 करोड़ वाट्सअप प्रयोग करते हैं। लेकिन हाल ही में वाट्सअप वीडियो के कारण हुई मॉब लिचिंग की जो खबरें आईं, उससे डिजिटल इंडिया का एक दूसरा चेहरा देखने को मिला है। एक रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले एक साल में 10 राज्यों में 31 लोगों की जान सिर्फ वाट्सअप से जुड़े 'वायरल वीडियो' के कारण हुई है। सिर्फ इतना ही नहीं ऐसे वीडियोज का इस्तेमाल सांप्रदायिक विवाद पैदा करने, राजनीतिक फायदा हासिल करने जैसे दूसरे कारणों के लिए भी होता है।

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फेक न्यूज से देश में बढ़ती हिंसा

सोशल मीडिया पर फेक न्यूज बढ़ने की वजह से देश के कई राज्यों में घटनाएं हो चुकी हैं। पिछले दिनों झारखंड में पशु चोर होने के संदेह में भीड़ ने सात लोगों को बेरहमी से पीट-पीट कर मार दिया था। वहीं असम में भी इसी आरोप में दो लोगों की भीड़ की पिटाई से मौत हो गई थी। इससे पहले मेघालय में फेक न्यूज के चलते ही सिखों और स्थानीय खासी समुदाय में भड़की हिंसा की वजह से दो सप्ताह तक भारी तनाव बना रहा और राजधानी शिलांग में कर्फ्यू लगाना पड़ा था। एक जुलाई को महाराष्ट्र के धुले में भीड़ ने पांच लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी। लोगों को संदेह था कि ये लोग 'बच्चा चोर' हैं।

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फेक न्यूज के खिलाफ गांव कनेक्शन और फेसबुक की साझा पहल

देश के ग्रामीण क्षेत्रों की सबसे ज्यादा कवरेज करने वाले रूरल मीडिया प्लेटफॉर्म गांव कनेक्शन और फेसबुक ने फेक न्यूज के खिलाफ 'मोबाइल चौपाल' की शुरुआत उत्तर प्रदेश से शुरू की है। इसमें शहर से लेकर सुदूर अंचल के गांवों तक लोगों को जागरूक करने का अभियान चलाया जा रहा है। इसमें एक सचल प्रचार वाहन भी शामिल है जिसे 'गांव रथ' का नाम दिया गया है। गाँव रथ उत्तर प्रदेश के सुदूर इलाकों में गली-गली व गाँव-गाँव घूम रहा है। लोगों को संदेश दे रहा है कि कैसे अपने आपको सुरक्षित करें, कैसे सोशल मीडिया का फायदा उठाएं, उससे आपकी जिंदगी बेहतर हो, कैसे हम फेक न्यूज से बचे।

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फेक न्यूज से लड़ने को व्हट्सऐप ने लॉन्च किया 'फॉरवर्ड' लेबल

व्हट्सऐप ने अपने यूजर्स को फेक न्यूज से बचाने के लिए एक नया फीचर लॉन्च किया है जिसकी मदद से यह पता लग जाएगा कि किसी मैसेज को भेजने वाले ने खुद टाइप किया है या सिर्फ फॉरवर्ड किया है। ऐसे मैसेज के ऊपर फॉरवर्डेड का लेबल दिखाई देगा। व्हट्सऐप के अनुसार, हमारे परिचित, मित्र या रिश्तेदार हमें सोशल मीडिया पर जो मैसेज भेजते हैं हम उन्हें अधिकतर सच मान बैठते हैं। ऐसे में हमें जब यह पता चल जाएगा कि यह जानकारी महज आगे बढ़ाई गई है तो हम उसे ज्यादा सतर्कता से परखेंगे। आपके व्हट्सऐप में भी यह नया फीचर काम करे इसके लिए आपको उसे अपडेट करना होगा।

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फेक न्यूज पर रोक लगाने की तैयारी में गूगल

फेक न्यूज पर रोक लगाने के लिए गूगल की वीडियो शेयरिंग साइट यू-ट्यूब और मीडिया संस्थाओं की मदद के लिए कई कदम उठाने जा रही है। कंपनी इसके लिए 2.5 करोड़ डॉलर का निवेश भी करेगी। यूट्यूब का कहना है कि वह समाचार स्रोतों को और विश्वसनीय बनाना चाहती है। खासतौर से ब्रेकिंग न्यूज के मामले में एहतियात बरतेगी जहां गलत सूचनाएं आसानी से फैल सकती हैं। यूट्यूब की कोशिश है कि वीडियो सर्च करते वक्त वीडियो और उससे जुड़ी खबर का एक छोटा सा ब्योरा यूजर्स को दिखे। यह चेतावनी भी दी जाएगी कि ये खबरें बदल सकती हैं। इसका उद्देश्य फर्जी वीडियो पर रोक लगाना है।

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