देखें कैसे डाउन सिंड्रोम जैसी बीमारी भी अदिति को अपने सपने देखने से रोक नहीं सकी

Astha SinghAstha Singh   28 Nov 2017 5:11 PM GMT

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देखें कैसे डाउन सिंड्रोम जैसी बीमारी भी अदिति को अपने सपने देखने से रोक नहीं सकीअदिति वर्मा 

लखनऊ। आपने डाउन सिंड्रोम का नाम सुना है। इस बीमारी में ऊपर की ओर झुकी हुई आंखें, छोटी गर्दन और छोटे कान, अक्सर मुंह से बाहर निकलती रहने वाली जीभ, मांसपेशियों में कमज़ोरी, ढीले जोड़ और अत्यधिक लचीलापन, चौड़े, छोटे हाथ, हथेली में एक लकीर, कुछ छोटी अंगुलियां, छोटे हाथ और पांव छोटा कद, आंख की पुतली में छोटे सफेद धब्बे हो जाते हैं। वैसे तो किसी की शारीरिक बनावट पर बात करना सही नहीं है लेकिन जब ये कोई बीमारी हो और बीमारी भी ऐसी जो बहुत कम लोगों को होती हो, तो उस पर बात करना बनता है। इस बीमारी का नाम है डाउन सिंड्रोम। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित ज़्यादातर लोग जहां अपनी ज़िंदगी से हताश होते हैं वहीं अदिति उन सबसे अलग हैं। अदिति ने सिर्फ इस बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए ही नहीं बल्कि हम सब के लिए एक मिसाल हैं।

मुंबई की 23 साल की अदिति नवी मुंबई में कैफ़े चलाती हैं और एक फ़ाइव स्टार होटल शुरू करना चाहती हैं ताकि अपने जैसे बच्चों को ट्रेनिंग दे सकें।अदिति ने दिखा दिया कि चाहे कितनी भी परेशानी आए, लेकिन जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। डाउन सिंड्रोम से ग्रसित अदिति आम लड़कियों की तरह जीवन जीने की इच्छा रखती हैं। इस गंभीर बीमारी के बावजूद वह “अदिति कार्नर” नाम से एक कैफे चलाती हैं जो सीबीडी, बेलापुर के भूमि मॉल में है।

अदिति अपने कैफ़े में खाना बनाते हुए।

जहां लोग डाउन सिंड्रोम के पीड़ित लोगों के प्रति दया कि भावना रखते हैं और सोचते हैं कि अब ये जीवन में कुछ नहीं कर पाएंगे, वहां अदिति ने उन लोगों का मुंह बंद कर दिया है। अदिति के इस कैफे में हल्के स्नैक्स, होममेड भोजन और कप केक और चॉकलेट का जायका का मजा आपको मिलेगा।

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बचपन से था खाना बनाने का शौक

अदिति ने गाँव कनेक्शन से बातचीत में बताया कि, "मुझे हमेशा से खाना पकाने का शौक था। मेरे माता-पिता और भाई ने इस जुनून में जोश भर दिया।"

अदिति का कैफ़े

माता पिता ने दिया तोहफा

अदिति को यह कैफे उनके माता-पिता ने उपहार में दिया था। यह कैफे खोलने की सबसे बड़ी वजह यह थी कि अदिति खुद को और लोगों से अलग ना समझें और आत्मनिर्भर हो जाएं।

अदिति के माता -पिता ने कैफे तोहफे में देकर यह साबित कर दिया कि ये खास लोग होते हैं और आम लोगों की तरह काफी कुछ कर सकते हैं। बस जरूरत हैं उन्हें मोटिवेट और प्यार करने की।

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कैसे सबसे अलग हैं अदिति

यह अदिति की कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और लगन का नतीजा है। वह खुद ऑर्डर लेती है, मेज को पोंछती है, अकाउंट को मैनेज करती है। जब अदिति से पूछा गया कि वो ये सब क्यों कर रही हैं तो वह कहती हैं," मैं घर बैठे बोर हो जाती थी इसलिए मैंने ये काम शुरू किया।"

अदिति ने साबित कर दिया कि यह विशेष लोग होते हैं और ये कुछ भी कर सकते हैं जो एक 'सामान्य' व्यक्ति कर सकता है।देखिये अदिति के गाँव कनेक्शन से बातचीत के कुछ अंश-

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