कैसे बढ़ी इन राज्यों में एमएसपी पर धान और गेहूं की खरीद?

तेलंगाना और मध्य प्रदेश में MSP पर सबसे ज्यादा धान और गेहूं की खरीद हो रही है, जबकि महाराष्ट्र में भी एमएसपी पर धान की खरीदी बहुत तेजी से बढ़ी है। लेकिन यह सब हुआ कैसे? इन राज्यों ने ऐसा क्या किया? सीरीज 'MSP का मायाजाल' की दूसरी खबर में हम यही जानने की कोशिश कर रहे हैं।

Mithilesh DharMithilesh Dhar   23 Jun 2021 9:00 AM GMT

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MSP,  procurement, biharवर्ष 2019-20 में MSP पर धान की सबसे ज्यादा खरीद तेलंगाना में हुई। (फोटो साभार- तेलंगाना टुडे)

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर उत्पादन की तुलना में धान खरीदने के मामले में तेलंगाना वर्ष 2019-20 में सबसे आगे रहा। राज्य में उत्पादन की तुलना में 97% धान की खरीद एमएसपी पर हुई। यह 2017 की अपेक्षा 68% ज्यादा है। इसी तरह महाराष्ट्र में भी एमएसपी पर धान की खरीद में 467.9% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। वहीं मध्य प्रदेश में भी गेहूं की खरीद 2017 की अपेक्षा 51% से ज्यादा हुई है, लेकिन कैसे? आखिर ऐसा क्या हुआ कि इन राज्यों में सरकारी दर पर धान और गेहूं की खरीद इतनी बढ़ गई?

तेलंगाना में खरीफ सीजऩ 2019-20 में धान का कुल उत्पादन 76.78 लाख टन में से 74.54 लाख टन (97.08%) की खरीद एमएसपी पर हुई जो देश के दूसरे राज्यों की अपेक्षा सबसे ज्यादा है। जबकि इससे पहले 2017-18 में कुल उत्पादन 62.62 लाख टन में से 36.18 लाख टन (57.78%) की ही खरीद एमएसपी पर हुई थी। इस तरह देखें तो पिछले तीन वर्षों में खरीद में 68% की बढ़ोतरी हुई है।


यह समझने के लिए हमने तेलंगाना के करीमपुर जिले के ऑनलाइन खरीद प्रबंधन प्रणाली (OPMS) के मंडल अधिकारी टी संतोष कुमार से बात की।

"हमारे यहां सरकार का आदेश है कि किसानों का एक-एक दाना खरीदा जाए और हम उसका पालन करते हैं," टी संतोष कुमार ने बताया। खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग तेलंगाना प्रदेश में ऑनलाइन खरीद प्रबंधन प्रणाली के तहत धान की खरीद करता है।

"हमारे यहां 30 जिलों के लगभग हर गांव में खरीद सेंटर बनाए गए हैं। राज्य में कुल खरीद सेंटरों की बात करें तो संख्या 7,000-8,000 के बीच है। कोविड की वजह से सेंटर बढ़ाये भी गये हैं। किसानों को तीन से चार दिन में उनके खाते में पैसे भेज दिये जाते हैं। यही कारण है कि हमारे यहां किसान बिचौलियों को उपज बेचते ही नहीं। हम उन्हें ज्यादा पैसे देते हैं और समय पर भी। मिशन काकतीय योजना के तहत कलेश्वरम सिंचाई योजना से सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था कुछ वर्षों में बढ़ी है जिससे धान की रकबा भी बढ़ा है," संतोष आगे बताते हैं।

सीरीज की पहली खबर यहां पढ़ें- पंजाब-हरियाणा नहीं, MSP का लाभ लेने के मामले में इन प्रदेशों के किसान सबसे आगे

तेलंगाना में खरीफ सीजन को वनाकलम (पानी की फसल) और रबी सीजन को यासांगी कहते हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की सालाना रिपोर्ट के अनुसार तेलंगाना में वर्ष 2017-18 में 19.62 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई हुई थी जबकि वर्ष 2018-19 में रकबा थोड़ा घटा (19.32 लाख टन) लेकिन सरकारी खरीद में बढ़ोतरी हुई।

कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार के अनुसार वर्ष 2017-18 से 2019-20 के बीच तेलंगाना में धान की पैदावार भी काफी बढ़ी है। 2017-18 में धान का उत्पादन जहां 62.62 लाख टन था वहीं 2019-20 में यह बढ़कर 76.78 लाख टन पर पहुंच गया।


जिला रंगारेड्डी के युवा किसान वरुण जक्कीनापल्ली (32), धान की खेती के साथ-साथ डेयरी का भी काम करते हैं, संतोष की बातों को वे भी दोहराते हुए कहते हैं, "पहले हमारे जिले के कई क्षेत्रों में पानी की दिक्कत होती थी, लेकिन कलेश्वरम योजना के आने के बाद से स्थिति में काफी सुधार आया है। पानी की व्यवस्था ठीक होने से किसान अब धान ज्यादा लगा रहे हैं। और सरकार धान गांव में खरीद भी लेती है।"

तेलंगाना में जून 2014 से मिशन काकतीय योजना चल रही है। इस योजना के तहत सरकार टैंक में पानी स्टोर कर किसानों को सिंचाई के लिए देती है।

तेलंगाना के अलावा महाराष्ट्र में भी 2017-18 की अपेक्षा 2019-20 में धान की खरीद 467.9% बढ़ी है। राज्य से खरीफ सीजन 2017-18 में महज 6.55% धान की खरीद एमएसपी पर हुई थी जबकि 2019-20 में ये आंकड़ा 37.20% पहुंच गया। इस दौरान उत्पादन में भी (27.31 लाख टन से 37.20 लाख टन) बढ़ोतरी हुई है।

महाराष्ट्र का एक हिस्सा सूखे की चपेट में रहता है और पानी की कमी से जूझता है, फिर भी धान के रकबे में बढ़ोतरी हैरान करती है। महाराष्ट्र में धान का रकबा 2017-18 में 14.51 लाख हेक्टेयर था तो वहीं 2018-19 में यह बढ़कर 14.64 लाख हेक्टेयर हो गया। अगर उत्पादन की बात करें तो यह 2017-18 में 27.31 लाख टन से 2019-20 में बढ़कर 31.10 लाख टन पर पहुंच गया।

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महाराष्ट्र के नागपुर में रहने वाले अर्थशास्त्री विजय जावंधिया महाराष्ट्र में एमएसपी पर धान की खरीद बढ़ने के पीछे की वजह बोनस को मानते हैं। वे गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "महाराष्ट्र सरकार पिछले दो साल से धान पर 700 रुपए बोनस दे रही है। इस कारण किसानों को फायदा पहुंच रहा है। यही कारण है कि उत्पादन में दूसरे राज्यों से पीछे होने के बावजूद यहां धान की सरकारी खरीद लगातार बढ़ रही है।"

महाराष्ट्र में वर्ष 2019 में भाजपा सरकार ने प्रति कुंतल धान पर 500 रुपए बोनस देने का ऐलान किया था। इसके बाद जब शिवसेना गठबंधन की सरकार आई तब उन्होंने इस बोनस को बढ़ाकर 700 रुपए प्रति कुंतल कर दिया। महाराष्ट्र में विदर्भ के कुछ जिलों और कोंकण के आसपास रायगढ़, रत्नागिरी में धान की अच्छी खेती होती है।

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जैसे सरकारी दर पर धान बेचने के मामले में तेलंगाना देश का पहला राज्य बन गया है वैसे ही गेहूं बेचने के मामले में मध्य प्रदेश है। उत्पादन के मामले में भी मध्य प्रदेश वर्ष रबी सीजन 2019-20 में सबसे आगे रहा। इस मामले में मध्य प्रदेश को पंजाब से कड़ी टक्कर मिलती है।


पिछले पांच वर्षों की बात करें तो वर्ष 2017-18 और 2018-19 में पंजाब गेहूं उत्पादन के मामले में देश का नंबर वन राज्य था। इससे पहले 2015-16 और 2016-17 में मध्य प्रदेश सबसे आगे था और 2019-20 में भी आगे है।

मात्रा की बात करें तो 2019-20 पंजाब के कुल उत्पादित गेहूं 182 लाख टन में से लगभग 127.14 लाख टन (69.83%) की खरीद एमएसपी पर हुई। इस मामले में मध्य प्रदेश थोड़ा पीछे रहा और कुल उत्पादन 185.83 लाख टन में से 129.35 लाख टन (69.61%) की ही खरीद एमएसपी पर हुई।

वर्ष 2017-18 में मध्य प्रदेश में जितना गेहूं पैदा हुआ था उसमें से 45.96% की ही खरीद MSP पर हुई थी जबकि वर्ष 2019-20 में उत्पादन का 69.61% हिस्सा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिका जो 2017-18 की अपेक्षा 51% से ज्यादा है।

मध्य प्रदेश के जिला श्योपुर के करहाल के रहने वाले चंद्रभाना राणा (60) लंबे समय से गेहूं की खेती कर रहे हैं। वे बताते हैं, " पिछले कुछ वर्षों में हमारे यहां गेहूं का उत्पादन काफी बढ़ा है और सरकार इसकी खरीद पर ध्यान भी दे रही है। गेहूं की खरीद आसानी से हो जाती है। सरकार हर साल अपना लक्ष्य भी बढ़ा देती है जिसे पूरा करने के लिए सरकारी दर पर ज्यादा खरीद हो रही है।"

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