और कितनी आर्टिकल-15 फिल्म बनेंगी? पंद्रह साल की दलित लड़की को सबूत देना है कि उसका गैंगरेप हुआ है

यूपी के हरदोई जिले की इस लड़की की कहानी हाल ही में आई फिल्म आर्टिकल-15 से मिलती जुलती है, 15 साल की पीड़िता दलित परिवार की है और आरोपी दबंग हैं। यहां कोई आयुष्मान खुराना की तरह पुलिस का अधिकारी नहीं है जो इस पीड़िता की मदद कर सके।

Neetu Singh

Neetu Singh   16 July 2019 10:29 AM GMT

हरदोई (उत्तर प्रदेश)। दो महीने पहले एक दलित नाबालिग लड़की का सामूहिक बलात्कार होता है, पीड़िता का आरोप है कि दबंगों ने उसके परिवार का निकलना बंद करवा रखा है और पुलिस कह रही इतने सुबूत नहीं कि आरोपियों को गिरफ्तार कर सके।

इस घटना की कहानी फिल्म आर्टिकल-15 से मिलती जुलती है, 15 साल की पीड़िता दलित परिवार की है और आरोपी दबंग हैं। यहां कोई आयुष्मान खुराना की तरह पुलिस का अधिकारी नहीं है जो इस पीड़िता की मदद कर सके।

हरदोई के संडीला तहसील के थाना कछौना के एक गाँव में रहने वाली पीड़िता हर दिन की तरह 16 मई 2019 को भी सुबह 10:30 पर स्कूल से वापस लौट रही थी। उसे इस बात का अंदेशा भी नहीं था कि जिन तीन किलोमीटर सुनसान झाड़ियों से वो रोज गुजरती है आज वही रास्ता उसके जीवन का सबसे काला दिन होगा। उस दिन पास के गांव के दो दबंग लड़के उसे झाड़ी में खींच ले गये जहाँ उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया।

ये है वो पीड़िता जो दो महीने से न्याय के लिए भटक रही है. फोटो-नीतू सिंह

पीड़िता ने गाँव कनेक्शन को बताया, "घटना के दो महीने पूरे होने को हैं, पर अभी तक कोई पकड़ा नहीं गया। पुलिस वाले कह रहे हैं घटना झूठी है, तुम मनगढ़ंत कहानी बना रही हो। अगर घटना झूठी है तो वो लोग सुलह समझौता को क्यों कह रहे हैं।"

पीड़िता आगे कहती है, "हमारे साथ जब वो लोग गलत कर रहे थे, तो कह रहे थे कि ऐसा हम बहुत लड़कियों के साथ कर चुके हैं पर कोई कुछ नहीं कर पाया। तुम भी कुछ नहीं कर पाओगी।"

आरोपियों के यही शब्द पीड़िता के कानों में आज भी गूंज रहे हैं, पीड़िता न्याय की गुहार के लिए जिले से लेकर राजधानी लखनऊ के कई बड़े पुलिस अधिकारियों के यहाँ चक्कर लगा चुकी है पर अभी तक आरोपी सरेआम घूम रहे हैं।

जब इस घटना के बारे में कछौना थाना प्रभारी से फोन पर बात की गयी तो उन्होंने कहा, "इसकी तफदीश हमारे सीओ सहाब (क्षेत्राधिकारी बघौली) कर रहे हैं केस की पूरी जानकारी उन्ही से मिलेगी।"

यूपी के हरदोई जिले का वो ब्लॉक जहाँ की ये घटना है.

इस बारे में बात करने पर जांच अधिकारी (क्षेत्रधिकारी बघौली) अखिलेश राजन से फोन पर कहा, "साक्ष्य संकलित किए जा रहे हैं। विवेचना जारी है, अभी तक गिरफ्तारी इसलिए नहीं हुई, क्योंकि आरोपियों के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला रहा है। शुरू से घटना संदिग्ध है। अभी तक हमने जितने साक्ष्य जुटाए हैं उसके आधार पर घटना हुई ही नहीं है।"

जब जांच अधिकारी से पूछा गया कि एफआईआर दर्ज़ हो चुकी है, पीड़िता के 164 के बयान भी हो चुके हैं, उसके बावजूद आरोपी क्यों गिरफ्तार नहीं हुआ? तो उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि 164 के बयान की भी विवेचना कर ली जाए।"

एफआईआर हुए लगभग दो महीने हो चुके हैं। मेडिकल जांच और रेप से संबंधित धारा 164 के बयान भी हो चुके हैं। लेकिन पुलिस के अनुसार आरोपी इसलिए अभी तक गिरफ्तार नहीं हुए क्योंकि उनके पास इस घटना को लेकर कोई साक्ष्य नहीं हैं।

पीड़िता इस घटना में सिर्फ न्याय चाहती है.

गिरफ्तारी के लिए एफआईआर और पीड़िता का बयान की काफी है

इस केस के बारे में महिलाओं को कानूनी सलाह उपलब्ध कराने वाली संस्था 'आली' की वकील रेनू मिश्रा कहती हैं, "पाक्सो और गैंगरेप जैसी घटनाओं में एफआईआर और पीड़िता के 164 के बयान ही गिरफ्तारी के लिए काफी हैं। घटना सही है या गलत इसका फैसला तो कोर्ट करेगी। अगर पुलिस इस तरह के गम्भीर अपराधों में लापरवाही बरतती है तो पाक्सो के सेक्शन 21बी के तहत उनके खिलाफ भी कार्यवाही हो सकती है।"

जांच अधिकारी से फोन पर हुई बातचीत के बाद 'गाँव कनेक्शन' संवाददाता ने लखनऊ से लगभग 75 किलोमीटर दूर संडीला ब्लॉक के उस गाँव पहुंच कर पड़ताल भी की।

उस रास्ते से आसपास के गाँव के लोगों का ही आवागमन होता है। लगभग तीन किलोमीटर दूरी तक रोड के दोनों तरफ झाड़ियाँ थीं। जिस जगह घटना हुई वहां से एक आरोपी का डिग्री कॉलेज चंद कदमों की दूरी पर था जिसका वो मालिक है। दूसरा आरोपी पड़ोस के गाँव का रहने वाला है। पीड़िता की घर से स्कूल की दूरी तीन किलोमीटर है और ये घटना घर से दो किलोमीटर की दूरी पर हुई है।

रोड के दोनों तरफ का झाड़ियों वाला वो सुनसान रास्ता जहाँ से गुजरकर पीड़िता रोज स्कूल जाती थी.

ग्रामीणों ने कहा घटना आँखों तो नहीं देखी पर आरोपी की छवि क्षेत्र में ठीक नहीं

आरोपी के गाँव के ही एक 60 वर्षीय पड़ोसी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "वो आदमी ठीक नहीं है। घटना आँखों तो नहीं देखी है पर ऐसा उसने किया होगा। ये हम इसलिए कह सकते हैं क्योंकि उसकी छवि ठीक नहीं है। जबसे उसके घर में प्रधानी आई है, दबंगई बहुत बढ़ गयी है," आरोपी नईम की माँ ग्राम प्रधान हैं। जबकि प्रधानी का काम आरोपी नईम ही करता है।

उन्होंने आगे कहा, "हम लड़की की हिम्मत की तारीफ़ करते हैं कि उसने इस घटना को थाने तक पहुंचाया। उसके डिग्री कॉलेज में आये दिन पार्टियां होती रहती हैं। दो तीन साल पहले खुला है पर आसपास के गाँव का वहां कोई पढ़ने नहीं जाता। देर रात तक पार्टियाँ चलती हैं पर किसी की हिम्मत नहीं उनके खिलाफ बोलने की। पंचायत के बहुत लोग परेशान हैं पर खुलकर कोई नहीं बोलेगा।" पड़ोसी ने दबी आवाज़ में एक भाजपा नेता का भी जिक्र किया जिसपर इस केस में आरोपियों की मदद करने का आरोप है। दोनों आरोपियों की उम्र 25-30 के बीच की है।


sआरोपी ने इस घटना को साजिश बताया

जब गाँव कनेक्शन ने आरोपी नईम से फोन पर बात की तो उसने कहा, "ये घटना पूरी तरह से झूठी है। मेरे साथ राजनीति की जा रही है। मैं प्रधान पुत्र हूँ, प्रधानी की रंजिश के चलते मुझे फंसाया जा रहा है। लड़की को मैं कायदे से जानता भी नहीं हूँ। मैं शादी शुदा हूँ मेरा एक बेटा भी है। पुलिस भी जांच करके गयी है कहीं कुछ नहीं मिला उन्हें।"

आरोपी की बात को पुख्ता करने के लिए जब पीड़िता से पुनः बात की तो उसने कहा, "मैं इन लोगों को खुद भी नहीं जानती थी। लेकिन जब उस दिन ये लोग मुझे झाड़ियों में लेकर गये तो आपस में एक दूसरे का इन लोगों ने नाम लिया जो मुझे याद रहे।" उनसे आगे बताया, "जिस दिन मैं एफआईआर दर्ज करवाने गयी थी जब इसका नाम लिया तो पुलिस ने नईम को बुलवाया था। इसके साथ तीन लोग गये थे मैं देखकर इसे पहचान गयी थी जबकि एक दूसरे आदमी ने कहा मैं नईम हूँ तो मैंने कहा मेरे साथ सब हुआ है मुझे पता है कौन नईम है।"

आरोपी नईम का डिग्री कालेज जिसके पास घटना हुई थी.

हरदोई पुलिस अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी से गाँव कनेक्शन ने जब इस घटना के बारे में जानकारी चाही तो उन्होंने कहा, "मैं अभी बाहर हूँ, मुझे क्राइम नम्बर बताइये मैं पता करके बताता हूँ।" डीटेल भेजने के बाद पुलिस अधीक्षक को कई बार फोन किया गया पर काल रिसीव नहीं हुई। जिलाधिकारी को कई बार फोन और मैसेज किये गये उनका न तो फोन उठा न मैसेज का जवाब ही आया।

वहीं, पीड़िता की माँ ने कहा, "जब 19 मई को एफआईआर नहीं लिखी गयी तब हम पुलिस अधीक्षक के पास गये। उनके आदेश के बाद 20 मई को एफआईआर लिखी गयी। घटना के डेढ़ महीने तक जब आरोपी गिरफ्तार नहीं किये गये तब हमने पुलिस अधीक्षक से लेकर लखनऊ महानिदेशक तक जाकर न्याय की गुहार लगायी पर अभी तक कुछ हुआ नहीं है। हमें लगातार जान से मारने की धमकी मिल रही है और सुलह-समझौता का दबाव पड़ रहा है।"

गैंगरेप पीड़िता-कितनी बार बताऊं कि मेरे साथ रेप हुआ है?

दलित परिवार की 15 वर्षीय पीड़िता को आज हर किसी के सामने बार-बार ये कहना पड़ रहा है, "जब मैं स्कूल से लौट रही थी तो वो दोनों (आरोपी नईम और गुफरान) मुझे झाड़ियों में खींच ले गये। दोनों ने मेरे साथ रेप किया और कहा जबान मत खोलना कुछ कर नहीं पाओगी। आज तक जितनों के साथ किया किसी ने जबान नहीं खोली है।"

पीड़िता बार-बार एक ही बात कह रही है, "सच में मेरे साथ रेप हुआ है। वो लोग धमकियाँ दे रहे हैं। कह रहे हैं कह दो ये झूठ है। नहीं तो जान से मार डालेंगे। बात खत्म करो अब। जितना पैसा सरकार से मिलेगा हम दे देंगे।"


पीड़िता के नाना ने हाथ जोड़कर अपनी जाति और गरीबी को कोसा, "अगर हम ऊँची जाति के होते और हमारे पास पैसा होता तो आज वो सरेआम घूम नहीं रहे होते। हमारी नातिन के साथ गलत काम हुआ है इसकी तकलीफ तो वही समझ सकती है। जबसे घटना हुई है वो स्कूल पढ़ने नहीं गयी है।"

ये कहते हुए उनकी आवाज़ में गुस्सा था, "हम गरीब हैं, दलित हैं लेकिन लालची नहीं। कुछ ले देकर हम समझौता नहीं करेंगे हमें सिर्फ न्याय चाहिए।"

पीड़िता पर भले ही दबाव हो लेकिन उसमें हिम्मत और आत्मविश्वास कूट-कूटकर भरा है। वो चाहती है कि आरोपी जेल जाएं और उन्हें सजा मिले। जिससे मेरी तरह उन कई लड़कियों को न्याय मिल सकेगा जिन्होंने इस घटना का कभी किसी से जिक्र ही नहीं किया।

पीड़िता कहती है, "वो लोग घटना को गलत बताने पर तुले हैं। जिसमें पुलिस भी उनका साथ दे रही है। उनकी दबंगई की वजह से हमारे पक्ष से खुलकर कोई बोलने को तैयार नहीं है। क्योंकि लोगों को डर है वो डरायेंगे धमकाएंगे मार डालेंगे। पर फिर भी गाँव के कई लोग हैं जो हमारे साथ हैं।"

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