किसान आंदोलन: क्रमिक भूख हड़ताल पर आंदोलनकारी किसान, आम लोगों से की ये अपील
shivangi saxena 23 Dec 2020 9:23 AM GMT
टीकरी बॉर्डर (दिल्ली)। कृषि कानूनों के खिलाफ मोर्चा खोले बैठे कई राज्यों के किसानों ने क्रमिक भूख हड़ताल शुरु की है। किसान आंदोलनकारी 12-12 की संख्या में 24-24 घंटे की भूख हड़ताल कर रहे हैं। अनशन पर बैठने वालों में नौजवानों के साथ बुजुर्ग किसान भी शामिल हैं।टीकरी बॉर्डर, शाहजहांपुर बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर समेत दिल्ली के जिन-जिन नाकों पर किसान बैठे हैं उन्होंने क्रमिक भूख हड़ताल शुरु की है।
पंजाब में मानसा जिले के गुरु प्रयाग सिंह (60वर्ष) अपने 11 साथियों के साथ बुधवार को भूख हड़ताल hunger strike पर बैठे थे। गांव कनेक्शन से गुरु पयाग ने कहा, "हम लोग आज आज सुबह (23 दिसबंर) को 11 बजे से दूसरे दिन सुबह 11 बजे तक भूख हड़ताल पर रहेंगे। हिंदुस्तान का जो किसान है वो काले कानून वापस होने तक आंदोलन करता रहेगा, चाहे 6 महीने या एक साल लग जाए, हम संघर्ष करेंगे।"
आंदोलनकारी किसानों और किसानों के संगठनों ने देश के आम लोगों से भी अन्नदाताओं से किसानों के समर्थन, उनके द्वारा उगाए जाने वाले अनाज ( खाने) के प्रति सम्मान दिखाने के लिए किसान दिवस पर दिन में एक बार का भोजन skip a meal छोड़ने की अपील की।
किसान स्वराज के संयोजक योगेंद्र यादव ने ट्वीटर पर लिखा- "जो अन्नदाता आपके लिए तीन वक्त का खाना उपजाता है, किसान दिवस पर उसके स्मृति में आज आप भी एक वक्त का खाना छोड़ें। इस आंदोलन में वह आपका योगदान होगा।"
किसान आंदोलन की विशेष अपील:
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) December 23, 2020
जो अन्नदाता आपके लिए तीन वक्त का खाना उपजाता है, किसान दिवस पर उसके स्मृति में आज आप भी एक वक्त का खाना छोड़ें। इस आंदोलन में वह आपका योगदान होगा।#NationalFarmersDay#KisanDiwas
टीकरी बॉर्डर पर बुधवार को किसान दिवस Farmers Day के मौके पर भारी संख्या में न सिर्फ महिलाएं पहुंची थीं बल्कि युवा भी थे, जिनमें कई दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में पढ़ाई या फिर नौकरियां कर रहे हैं।
लुधियाना से टीकरी बॉर्डर आई लुधियाना कि हरनाम माथरु जिन्होंने हाल ही विधि में परास्नातक (एलएलएम) की पढ़ाई की है, किसानों के समर्थन में आंदोलन में पहुंचने की वजह पूछने पर कहा- "हम और हमारे साथी पहले इंस्ट्राग्राम और यूट्यूब पर ये आंदोलन देख रहे थे, उसे देखकर लगा कि किसानों के समर्थन में मौके पर पहुंचना चाहिए, मैं कहूंगी हर युवा को यहां पहुंचना चाहिए ताकि वो किसानों के दर्द को समझ सके। सरकार ने जिस तरह से कानून पास किए वो गलत था मैंने YouTube देखा राज्यसभा में कैसे कानून पास हुए थे, अभी मौका है कि सरकार आंख खोलकर देखे और किसानों की बात माने।'
किसान दिवस पर टिकरी बॉर्डर पर 11-11 की संख्या में किसान भूख हड़ताल कर रहे हैं@shivangi441 बता रही हैं आंखों देखा हाल#Farmers #FarmersProtests #किसान #kisandiwas2020 #kisandivas #kisanandolan pic.twitter.com/YbWyWuKBqi
— GaonConnection (@GaonConnection) December 23, 2020
कड़ाके की सर्दी के बावजूद हरियाणा के साथ ही पंजाब से भारी संख्या में किसान और उनके परिवार के लोग पहुंचे थे, जिनमें कई बच्चे और कुछ दिव्यांग भी थे।
भूख हड़ताल पर बैठे पंजाब में फरीदकोट के परमजीत सिंह (60) कहते हैं, "हमने बहुत सारे संघर्ष किए हैं, जीते हैं ये भी जीत के जाएंगे। हमारे गुरु पहले भी कुर्बानी देते रहे हैं, हमें भी जरुरत पड़ी तो देंगे। आम किसान, बच्चे बुजुर्ग, मजदूर सब हमारे साथ हैं। पहले हमारी राह खट्टर (मनोहर लाल खट्टर) सरकार ने रोकी, लेकिन हम आ गए है, अब दिल्ली चढकर आए हैं, कोई कितनी कोशिश कर ले हम पीछे नहीं हटेंगे।"
Farmers have urged people of India to skip a meal today in their support. I will skip a meal, will you?#किसान_हमारा_अभिमान #KisanDiwas #किसान_दिवस #NationalFarmersDay pic.twitter.com/ogQKv4TfN0
— Raman Dhaka #Farmer (@RamanDhaka) December 23, 2020
पंजाब हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान हाल ही लागू किए गए तीनों कृषि कानून (1) कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून ( Farmers' Produce Trade & Commerce (Promotion & Facilitation) Law 2020, (2) कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 Farmers (Empowerment & Protection) Agreement on Price Assurance & Farm Services Law 2020 और (3) आवश्यक वस्तु अधिनियम 2020 (The Essential Commodities (Amendment) Law 2020 को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
संविधान दिवस (26 नवंबर) से तमाम किसान यूनियन और किसानों के जत्थे संयुक्त किसान मोर्चे के तले आंदोलन रत हैं। किसान और सरकार के बीच कई बार की वार्ता हो चुकी है, जिसमे सरकार ने संसोधन के लिए प्रस्ताव दिए, किसान संगठनों ने उन्हें मंजूर कर दिया है। किसान संगठन नए कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे खरीदी न किए जाने संबंधी कानून बनाने की मांग कर रहे हैं।
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