सरकारी स्‍कूल में पढ़ते हैं इन अधिकारियों के बच्‍चे, खास मकसद के लिए उठाया कदम

चमोली जिले की जिलाधिकारी स्वाति भदोरिया ने अपने दो साल के बेटे का दाखिला आंगनबाड़ी केंद्र में कराया है।

Ranvijay SinghRanvijay Singh   5 Nov 2018 8:07 AM GMT

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सरकारी स्‍कूल में पढ़ते हैं इन अधिकारियों के बच्‍चे, खास मकसद के लिए उठाया कदम

लखनऊ। उत्‍तराखंड के चमोली जिले की जिलाधिकारी स्वाति भदोरिया ने अपने दो साल के बेटे का दाखिला आंगनबाड़ी केंद्र में कराया है। इससे पहले भी कई अधिकारियों ने सरकारी स्‍कूलों की सेहत को सुधारने के लिए ऐसे कदम उठाए हैं। हम आपको ऐसे ही कुछ अधिकारियों के बारे में बता रहे हैं, जिन्‍होंने खुद से ही बदलाव की शुरुआता की।

चमोली की डीएम ने पेश की मिसाल

चमोली जिले की जिलाधिकारी स्‍वाति भदोरिया ने अपने 2 साल के बेटे अभ्‍युदय का दाखिला आंगनबाड़ी में कराया है। जिलाधिकारी ने गांव कनेक्‍शन से बताया, ''ये फैसला इसलिए लिया ताकि आंगनबाड़ी को लेकर आम लोगों की सोच में बदलाव आ सके। वहां (आंगनबाड़ी) अच्‍छा वातावरण रहता है। सभी बच्‍चे आते हैं तो सामाजिक वातावरण भी अच्‍छा होता है। ये फिजिकल-मेंटल ग्रोथ के लिए भी सही होता है। वहां टेक होम राशन, कुक फूड सुविधा मिलती है। मेडिकल की सुविधा भी वहां अच्‍छी है। इसलिए हमने अपने बेटे को वहां भेजा है।''

जिलाधिकारी स्‍वाति भदोरिया का बेटा अभ्‍युदय।

स्‍वाति बताती हैं, ''मेरे बेटे को काफी अच्‍छा लग रहा है। वो बच्‍चों के साथ काफी घुल मिल गया है। अभ्‍युदय अपने सहपाठियों के साथ खाना खाता है। उसे बहुत अच्‍छा लग रहा है। इतना कि छुट्टी के बाद भी वो आंगनबाड़ी को छोड़ना नहीं चाहता।''

डीएम बताती हैं कि वो आंगनबाड़ी की सेहत सुधारने में लगी हैं। इसके लिए कई मीटिंग भी हो चुकी है। स्‍वाति बताती हैं कि ''आंगनबाड़ी पहले से ही बेहतर हैं। वहां बच्‍चों को अच्‍छा पोषण मिल रहा है। हम आंगनबाड़ी को और सशक्‍त बनाने का प्‍लान कर रहे हैं। इसके लिए आंगनबाड़ी को स्‍मार्ट बनाने की योजना है। साथ ही मेंटल और फिजिकल एक्‍टिविटी को लेकर भी हम काम करेंगे।''

सरकारी स्‍कूल में बेटी को पढ़ा रहे आईएएस अवनीश शरण

डीएम स्‍वाति भदोरिया से पहले 2009 बैच के आईएएस ऑफिसर अवनीश शरण ने भी इसी सोच के साथ अपनी बेटी का एडमिशन आंगनबाड़ी में कराया था। अब उनकी बेटी छत्‍तीसगढ़ के केदारधाम के सरकारी स्‍कूल में पढ़ रही है। अवनीश शरण ने गांव कनेक्‍शन से बताया, ''2016 में मैंने अपनी बेटी वेदिका का दाखिला छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में मौजूद आंगनबाड़ी केंद्र में कराया था। इसके बाद 2017 में सरकारी स्‍कूल में एडमिशन कराया। 2018 में मेरा ट्रांसफर कबीरधाम में हुआ, यहां भी वेदिका का दाखिला प्रमुख प्राथमिक शाला में कराया है।'' अवनीश फिलहाल छत्तीसगढ़ के कबीरधाम के कलेक्टर हैं।

ये तो जाहिर है कि कोई भी अगर ऐसा फैसला ले रहा है तो उसके पीछे की वजह एक ही है कि स्‍कूलों की हालत में सुधार हो।- आईएएस अवनीश शरण।

अवनीश कहते हैं, ''मैंने बलरामपुर और कबीरधाम में रहते हुए सरकारी स्‍कूल को स्‍मार्ट करने के लिए काम किया है। यहां स्‍मार्ट क्‍लास भी चल रहे हैं, जिनमें एलईडी के माध्‍यम से ऑडियो वीडियो प्रेजेंटेशन दिया जाता है। कबीरधाम में 400 से ऊपर ऐसे स्‍मार्ट स्‍कूल हैं।''

अवनीश बताते हैं, ''हमने सरकारी स्‍कूलों में प्राइवेंट स्‍कूल की तरह ही पेरेंट्स-टीचर मीटिंग की भी शुरुआत की है। इनमें अविभावक और शिक्षक कम कम 15 दिन में एक बार मुलाकात करते हैं। जिससे ये तय हो सके कि सरकारी स्‍कूलों में क्‍या बदलाव की जरूरत है और क्‍या बेहतर किया जा सकता है।''

सरकारी स्‍कूल में अपनी बेटी के साथ भोजन करते आईएएस अवनीश शरण। (फोटो- @AwanishSharan)

अवनीश बताते हैं, हम आंगनबाड़ी को लेकर भी काम कर रहे हैं। उसे भी स्‍मार्ट करा रहे हैं, वहां भी ऑडियो-वीडियो की सहायता से पढ़ाया जा रहा है। हमारे यहां 1600 के करीब आंगनबाड़ी हैं। इनमें हमने गैस कनेक्‍शन कराया है, ताकि बच्‍चों को धुआं न लगे। साथ ही बैठने के लिए कुर्सी और टेबल की भी व्‍यवस्‍था की गई है।'' अवनीश बताते हैं, ''हम 100 आंगनबाड़ी को मॉडल बनाने में लगे हैं। इनमें लर्निंग एक्‍ट‍िविटी को बेहतर किया जा रहा है। एलईडी के माध्‍यम से बच्‍चों को पढ़ाया जा रहा है।''

अवनीश सरकारी स्‍कूलों को लेकर लोगों की सोच पर कहते हैं, ''सरकारी स्‍कूलों को लेकर लोगों में नकारात्मक भाव है। मैं तो ये कहता हूं कि हम लोग सरकारी स्‍कूल को लेकर नाक भौं सिकोड़ते हैं लेकिन ये भी चाहते हैं कि सरकारी नौकरी मिल जाए। इस लिए हमें अपने दृष्टिकोण को बदलने की जरूरत है। सरकारी स्‍कूलों में लगातार सुधार हो रहे हैं। जैसे-जैसे ये सुधार होगा लोगों का भरोसा और बढ़ेगा।''

आईपीएस डी. रविशंकर ने बेटी का कराया था एडमिशन

आईपीएस रविशंकर अपनी बेटी दिव्यांजलि के साथ। (फोटो- इंटरनेट)

आईएएस अवनीश शरण की तहर ही छत्‍तीसगढ़ में आईपीएस डी. रविशंकर ने 2017 में अपनी बेटी दिव्यांजलि का दाखिला एक सरकारी प्राइमरी स्कूल में कराया था. उन्होंने अपनी बेटी दिव्यांजलि का दाखिला दूसरी कक्षा में कराया था. डी रविशंकर ने तब कहा था, ''छत्तीसगढ़ की आंचलिक बोली और हिंदी भाषा के प्रति उन्‍हें लगाव है। सरकारी स्कूलों से बड़ी प्रतिभाएं सामने आती रही हैं। दिव्यांजलि का सरकारी स्‍कूल में अच्‍छा मानसिक विकास होगा।''

इलाहबाद हाईकोर्ट ने भी दिया था आदेश

गौरतलब है कि इलाहबाद हाईकोर्ट ने 18 अगस्त 2015 में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि सरकारी कर्मचारियों, स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों, न्यायिक अधिकारियों और सरकारी खजाने से वेतन-भत्ते लेने वालों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ने चाहिए. हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वह अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के साथ मीटिंग करके इस बात को सुनिश्चित करें। वहीं, इस शर्त का उल्लंघन करने वालों पर दंड के प्रावधान भी सुनिश्चित किये जाएं। हालांकि कोर्ट के इस आदेश का यूपी में खास असर नहीं हुआ।

   

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