आईसीएआर की सलाह : किसान खुद को कोरोना से सुरक्षित रखते हुए कर सकते हैं खेती के जरूरी काम

Divendra SinghDivendra Singh   6 April 2020 5:37 AM GMT

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आईसीएआर की सलाह : किसान खुद को कोरोना से सुरक्षित रखते हुए कर सकते हैं खेती के जरूरी काम

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए जब सभी अपने घरों में रह रहे हैं, लेकिन इस समय खेती में बहुत के बहुत से जरूरी काम हैं, जिन्हें करने के लिए किसानों को खेत में जाना ही होता है। ऐसे में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है, कि कैसे किसान खुद को सुरक्षित रखते हुए जरूरी काम निपटा सकते हैं।

फसलों की कटाई और मड़ाई से संबंधित सलाह

देश में कोविड-19 वायरस फैलने के साथ ही रबी फसलें भी पककर तैयार हैं। इन फसलों की कटाई और उन्हें बाजार तक पहुंचाने का काम भी जरूरी है। इसलिए किसानों को सावधानी और सुरक्षा का पालन करना बहुत जरूरी है ताकि इससे महामारी का फैलाव न हो सके।

ऐसी स्थिति में साधारण और सरल उपाय जैसे सामाजिक दूरी, साबुन से हाथों को साफ करते रहना, चेहरे पर मास्क लगाना, सुरक्षा के लिए कपड़े पहनना और कृषि यंत्रों और उपकरणों की सफाई करना जरूरी काम है। किसानों को खेती के हर काम को करते हुए एक दूसरे से सामाजिक दूरी बरकरार रखनी चाहिए।


भारत के उत्तरी राज्यों में गेहूं पकने की स्थिति में आ गई है। इसलिए इनकी कटाई के लिए कम्बाइन कटाई मशीन का उपयोग और प्रदेशों के अंदर और दो प्रदेशों के बीच इनका जाने-आने पर सरकार ने छूट दे रखी है।

इसी तरह उत्तर भारत की सरसों महत्वपूर्ण फसल है, जिसकी हाथ से कटाई और कटी फसलों की मड़ाई का काम भी जोरो से चल रहा है।

मसूर, मक्का और मिर्च जैसी फसलों की भी कटाई और तुड़ाई चल रही है और चने की फसल भी पकने वाली है।

गन्ने की कटाई भी चल रही है और इसकी हाथों से रोपाई का भी सही समय है।

ऐसी स्थिति में सभी किसान और कृषि श्रमिक जो फसलों की कटाई, फल और सब्जियों की तुड़ाई, अंडों और मछलियों के उत्पादन में लगे हैं, वो लोग एक दूसरे से सामाजिक दूरी बनाए रखें।

फसलों की हाथ से कटाई/तुड़ाई के दौरान बेहतर यही होगा कि 4-5 फ़ीट की पट्टियों में काम किया जाए और पट्टी की दूरी में एक ही श्रमिक को रखा जाए।

काम करने वाले सभी लोग अपना मुंह ढके रहें और बीच बीच में साबुन से हाथ धोते रहें।

जहां तक हो सके परिचित व्यक्ति को ही काम में लगाए, किसी अंजान मजदूर को खेती में न आने दें।

जहां तक संभव हो सके खेती के काम उपकरण और मशीन से ही किए जाएं न कि हाथों से और केवल एक ही आदमी को इन्हें चलाने दिया जाए।

कृषि कार्यों में लगे सयंत्रों को काम के पहले और काम के दौरान साफ किया जाना चाहिए। साथ ही साथ बोरी और दूसरे और दूसरे पैकेजिंग सामग्रियों को सेनिटाइज करें।

खलिहानों में तैयार उत्पादों को छोटे-छोटे ढेरों में इकट्ठा करें, जिनकी दूरी आपस में तीन-चार फीट हो। साथ ही प्रत्येक ढेर पर एक-दो व्यक्ति को ही काम पर लगाएं।

मक्के की फ़सल और मूंगफली की मड़ाई के लिए लगाई गईं मशीनों की साफ-सफाई पर खास ध्यान रखना चाहिए। इन मशीनों के पार्ट्स को छूने के बाद साबुन से हाथ धोना चाहिए।

फसलों की कटाई के बाद भंडारण और विपणन जैसे जरूरी काम

मड़ाई, सुखाई, छंटाई, ग्रेडिंग और पैकेजिंग के दौरान किसानों/ श्रमिकों चेहरे पर मास्क जरूर लगाएं। ताकि धूल से बचा जा सके, जिससे सांस संबंधित परेशानियों से दूर रहा जा सके।

तैयार अनाज, मोटे अनाज और दालों को भंडारण से पहले अच्छी तरह से सूखा लें और पुराने जूट के बोरों का प्रयोग भंडारण के लिए न करें। नई बोरियों को नीम के 5 प्रतिशत घोल में उपचारित कर और सुखाकर अनाज को भंडारण के लिए प्रयोग करें।

कोल्ड स्टोर, सरकारी गोदाम, से मिलीं जूट की बोरियों का उपयोग अनाज भंडारण के सावधानी पूर्वक करें।


अपने उत्पादों को बाजार या मंडी तक ले जाते समय किसान अपनी सुरक्षा का भरपूर ध्यान रखें।

बीज उत्पादक किसानों को अपने बीजों को लेकर बीज कंपनियों तक ले जाने की इजाजत है, बशर्ते उन किसानों के पास संबंधित दस्तावेज हो और भुगतान के वक़्त सावधानी बरतें।

बीज प्रसंस्करण और पैकेजिंग, सयंत्रों द्वारा बीजों का आवगमन बीज उत्पादक प्रदेशों तक जरूरी है ताकि अच्छे बीजों की उपलब्धता आगामी खरीफ ऋतु के लिए सुनिश्चित किया जा सके (दक्षिण भारत से उत्तर भारत तक)। उदाहरण के लिए अप्रैल के महीने में उत्तर भारत में हरे चारे के बीज दक्षिण भारत के प्रदेशों से हम ही आते हैं।

खेत में लगी फसलों से सम्बंधित सावधानियां

जैसा कि ऐसा देखा जा रहा कि इस बार अधिकांश गेहूं उत्पादक राज्यों में औसत तापमान पिछले कुछ वर्षों के औसत तामपान से कम है, इसलिए गेहूं की कटाई कम से कम 10-15 दिन आगे बढ़ने की संभावना है। ऐसी दशा में किसान यदि 20 अप्रैल तक भी गेहूं की कटाई करें तो उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा। इस तरह गेहूं की खरीददारी राज्य सरकारों और दूसरी एजेंसियों द्वारा करना आसान होगा।


दक्षिण भारत के राज्यों में शीतकालीन (रबी) धान की फसल के दाने तैयार होने की अवस्था में हैं और नेक ब्लास्ट रोग से प्रभावित हैं। इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि संबंधित रोगनाशी रसायन का छिड़काव सावधानी पूर्वक करें।

इन्हीं राज्यों में धान की कटाई की अवस्था में अगर असायमिक बारिश हो जाये तो किसानों को पांच प्रतिशत लवण का घोल का छिड़काव फसल पर करना चाहिए ताकि बीज के अंकुरण को रोका जा सके।

उद्यानिक फसलें, खासकर आम में इस समय फल बनने की अवस्था है। आम के बागों में पोषक तत्वों के छिड़काव और फसल सुरक्षा के उपाय के दौरान खास ध्यान रखना चाहिए।

चना, सरसों, आलू, गन्ना, गेहूं के बाद खाली खेतों में जहां ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती होनी है वहां मूंग की फसल में सफेद मक्खी के प्रबंधन के लिए रसायन को उपयोग के समय सावधानी बरतें। ताकि इन्हें पीके मोजैक के प्रकोप से बचाया जा सके।

       

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