नई दिल्ली। कोरोना वायरस देश में तेजी से अपने पांव पसार रहा है। ऐसे में सरकार के पास जहां एक तरफ अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन उपलब्ध कराने की चुनौती है तो वहीं दूसरी तरफ देश में नए कोरोना संक्रमितों की पहचान कर उन्हें आइसोलेट करने की भी जिम्मेदारी है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर ने कोरोना जांच के लिए एक ‘कोविरैप’ नामक डिवाइस बनाया है जिसको व्यावसायिक उत्पादन के लिए सफलतापूर्वक हस्तांतरित भी कर दिया गया है।
इस जांच-यंत्र के माध्यम से कोरोना संक्रमण की जांच करना काफी आसान हो जाएगा। इस डिवाइस में इंसान का स्वैब सैंपल लिया जाता है। इसके लिए किसी तरह के आरएनए एक्सट्रैक्शन यानि विषाणु के आनुवांशिकी पदार्थ की जरूरत नहीं होती है। मरीज का नमूना लेने के महज 45 मिनट में इसके नतीजे आ जाते हैं। नतीजों के त्वरित और सटीक विश्लेषण के लिए इस किट के साथ एक मोबाइल एप को भी पूरक के तौर तैयार किया गया है।
इस डिवाइस को विकसित करने वाली शोधकर्ताओं की टीम की प्रमुख प्रोफेसर सुमन चक्रवर्ती ने बताया कि सार्स-कोव-2 की मौजूदगी का पता लगाने के लिए कोविरैप में अभिकर्मकों के मिश्रण का प्रयोग किया जाता है। नाक या मुंह से लिए गए स्वैब सैंपल्स इन मिश्रणों के साथ प्रतिक्रिया करते हैं। यह प्रक्रिया स्वचालित पद्धत्ति से संपन्न होती है। उपचारित पेपर स्ट्रिप्स को इस मिश्रण में डालने पर वायरस की उपस्थिति का पता उस पर उभर आने वाली रंगीन रेखाओं से पता चल जाता है।
आईआईटी खड़गपुर के निदेशक प्रोफेसर वीके तिवारी ने कहा है कि कोविरैप में सुदूर इलाकों और समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचने की क्षमता है। इसके बाजार में आने से भारत में सस्ते स्वास्थ्य उत्पादों की उपलब्धता बढ़ेगी और ऐसी किफायती तकनीक के लिए तरस रहे वैश्विक बाजार की मांग को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।
प्रोफेसर सुमन चक्रवर्ती ने बताया कि शोधकर्ताओं की टीम ने ‘आइसोथर्मल न्यूक्लिक एसिड’ जांच प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर कोविरैप को तैयार किया है जिसके माध्यम से सार्स-कोव-2 सहित अन्य कई विषाणुओं के संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। यह समुदाय स्तर पर संक्रमण को रोकने में अहम भूमिका निभा सकता है।
Global Launch of IIT Kharagpur’s COVIRAP-Nucleic acid-based Point-of-Care Testing Device for #COVID19 and beyond. Test result received in 45mins~ without requiring any separate RNA extraction facilityhttps://t.co/cz3eqlskAC#COVIDEmergency2021 #COVIDSecondWave (1/n) pic.twitter.com/6w0CvQkTSR
— IIT Kharagpur #StaySafe (@IITKgp) April 21, 2021
इसके साथ ही उन्होने यह भी कहा है कि किसी भी जांच में अकुशल कर्मियों के कारण जांच में गुणवत्ता से समझौता किए बिना किया। नमूनों को एकत्र कर उनकी जांच प्रक्रिया इस पोर्टेबल उपकरण से कहीं भी जा सकती है। इसको संचालित करने के लिए किसी व्यक्ति को अधिक प्रशिक्षण की आवश्यकता नही है। इसलिए यह प्रौद्योगिकी समुदाय स्तर पर जांच के लिए अत्यंत उपयोगी हो सकती है।
इस शोध में आईआईटी खड़गपुर की प्रोफसेर सुमन चक्रवर्ती, डॉ अरिंदम मंडल और उनकी टीम शामिल है। इस डिवाइस को रैपिड डायग्नोस्टिक ग्रुप ऑफ कंपनीज, इंडिया और ब्रामर्टन होल्डिंग्स एलएलसी, यूएसए ने व्यावसायीकरण के लिए लाइसेंस दिया है। अमेरिका की ब्रामर्टन होल्डिंग्स कंपनी ‘कोविरैप’ को भारत के बाहर भी उपयोग करेगी इसके लिए उसने ग्लोबल राइट्स भी खरीदे हैं।