खराब मौसम का असर, खरीफ फसलों के उत्पादन में भारी गिरावट का अनुमान

Mithilesh DharMithilesh Dhar   15 Jan 2020 9:15 AM GMT

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खराब मौसम का असर, खरीफ फसलों के उत्पादन में भारी गिरावट का अनुमान

असमय और सामान्य से ज्यादा हुई बारिश के कारण वर्ष 2019-20 की खरीफ फसलों के उत्पादन में भारी कमी आ सकती है। नेशनल बल्क हैंडलिंग कॉर्पोरेशन (एनबीएचसी) की रिपोर्ट में बताया गया है कि ज्वार और कपास को छोड़ दाल, तिलहन और गन्ने के उत्पादन में गिरावट आ सकती है।

कृषि जिसों के रखरखाव, जांच और भंडारण की देश की बड़ी कंपनियों में से एक एनबीएचसी प्रमुख (अनुसंधान और विकास) हनीश कुमार सिन्हा ने गांव कनेक्शन को फोन पर बताया, " पिछले मानसून में बारिश सामान्य से 110 फीसदी ज्यादा हुई है। जब फसलों को बारिश की जरूरत थी तब मानसून देर से पहुंचा। इसका असर खरीफ फसलों के उत्पादन में दिखेगा। सबसे ज्यादा बारिश मध्य भारत, उत्तर-पश्चिम और उत्तर-पूर्व क्षेत्र में हुई है।"


एनबीएचसी की रिपोर्ट के अनुसार मोटे अनाज और तिलहन की पैदावार में सबसे ज्यादा कमी आ सकती है। मोटे अनाज, दाल, तिलहन और गन्ने की पैदावार पिछले खरीफ सीजन की अपेक्षा क्रमश: 14.14 फीसदी, 14.09 फीसदी, 53.31 और 11.07 फीसदी तक कम हो सकती है। हनीश कुमार बताते हैं, " जब फसल पक कई और किसान काटने की तैयारी करने लगे तभी बारिश हुई, इससे किसानों को भारी नुकसान ही हुआ।"

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"जुलाई 2019 के अंत और अगस्त के शुरुआती महीनों में भारी के कारण देश के 13 राज्यों में बाढ़ जैसे हालात बन गये, इससे खरीफ फसलों को भारी नुकसान हुआ। हमने रिपोर्ट के आधार पर आंकलन में पाया कि पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, असम, छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में धान और दलहन की फसलो को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है।" वे आगे बताते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019-20 में चावल का उत्पादन पिछले साल की अपेक्षा 8.21 फीसदी कम हो सकती है तो वहीं मक्के का उत्पादन पिछले साल की अपेक्षा 11.86 फीसदी तक घट सकता है। ज्वार की पैदावार 1.07 फीसदी तक बढ़ सकती है। हनीश कुमार कहते हैं, " मक्के की फसल फॉल आर्मीवर्म कीट के कारण प्रभावित हुई है। सबसे बड़े उत्पादक जिले छिंदवाड़ा में भी फसलें बहुत खराब हुई।"

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बाजारा की पैदावार भी 1.98 फीसदी तक कम हो सकती है। मूंग का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 27.38 फीसदी जबकि उड़द का उत्पादन 18.38 फीसदी तक घट सकता है।

दालों में तुर (अरहर) दाल की पैदावार 10.47 फीसदी कम हो सकती है। ऐसे में संभव है कि अरहर की आपूर्ति के लिए लिए आयात बढ़ाना पड़ेगा। अक्टूबर, नवंबर के बीच हुई भारी बारिश के कारण दलहनी फसलों को नुकसान पहुंचा है।

तिलहनी फसलों में सबसे ज्यादा नुकसान सोयाबीन का हुआ है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में हुई लगातार बारिश से सोयाबीन के उत्पादन में 32.27 फीसदी की कमी आ सकती है। सोयाबीन, मूंगफली, अरंडी के बीज और नाइजर बीज का कुल उत्पादन पिछले साल के 212.78 लाख टन की अपेक्षा 23 फीसदी घटकर 162.16 लाख टन तक होने का अनुमान है।

मूंगफली का उत्पादन 9.57 फीसदी घटने का अनुमान है तो वहीं सूरजमुखी के उत्पादन में 30.61 और तिल में 21.48 फीसदी की गिरावट आ सकती है। इसी तरह गन्ने का उत्पादन 21.98 फीसदी घट सकता है। कपास की पैदावार 3.28 बढ़ सकती है।

  

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