पानी की खाली बोतलों से आप कर सकते हैं ऐसे कई काम
गाँव कनेक्शन 11 March 2019 6:31 AM GMT

यूं तो वर्षों से हैदराबाद अपनी ख़ास बिरयानी और ऐतिहासिक चारमीनार के लिए प्रसिद्ध है लेकिन अब इसको मशहूर करने वाली चीज़ों की फेहरिस्त में एक नाम और जुड़ गया है और वह है, देश का पहला रिसाइकल्ड यानि पुनर्नवीनीकरण करके बनाया गया प्लास्टिक की बोतलों का बस स्टॉप।
कई असफलताओं के बाद आखिर हैदराबाद को अपनी तरह का पहला प्लास्टिक की बोतलों से बना हुआ बस स्टॉप मिल गया है। हैदराबाद के उप्पल में स्वरूपनगर कॉलोनी के लोगों ने कई बार ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) से कई बार उनके इलाके में एक बस स्टॉप की प्रार्थना की। लेकिन उनकी किसी भी अनुरोध का कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद एक स्थानीय व्यवसायी ने प्लास्टिक की 1000 बेकार बोतलों का इस्तेमाल करके अपना आश्रय बनाने के बारे में सोचा।
अंग्रेज़ी वेबसाइट डेक्कन क्रोनिकल से बात करते हुए कंपनी के सबसे अच्छे कारीगरों में से एक एस जट्टियन ने बताया, शेल्टर को बनाने में प्लास्टिक की एक लीटर की 1000 बोतलों का इस्तेमाल हुआ। इन बोतलों को भोइगुदा के एक डीलर से 1 रुपये 40 पैसे प्रति बोतल के हिसाब से खरीदा गया। इसके बाद इन सभी बोतलों को ड्रिल किया गया और फिर रस्सी की मदद से सबको आपस में बांधा गया। शेल्टर केवल फ्रेम मेटल का है, उसके अलावा छत से लेकर दीवारें तक सब कुछ प्लास्टिक बोतलों से ही बनाया गया है।
इसके साथ ही वो कहते हैं कि हमको नहीं पता कि सरकारी अधिकारी इसे देखकर कैसी प्रतिक्रिया देते, इसलिए पहले इस शेल्टर को अस्थायी रूप से बनाया गया है, ताकि अगर इसको हटाना भी पड़े तो कोई परेशानी न हो। हालांकि, सरकारी अधिकारी इसे देखकर न केवल इसके डिज़ाइन से खुश हुए, बल्कि अब वो कई अन्य पायलट परियोजनाओं के लिए कंपनी के साथ बातचीत भी कर रहे हैं।
15 दिनों में बन गया बस शेल्टर
प्लास्टिक की एक हज़ार बोतलों से बनाए गए इस शेल्टर यानि आश्रय गृह को बनाने में 15 दिन लगे। बैम्बू हाउस संस्था ने एक स्वयंसेवी संस्था रिसाइकिल इंडिया के साथ मिलकर बनाने का जिम्मा लिया। शेल्टर को बनाने में बांस और मेटल का भी इस्तेमाल किया गया ताकि प्लास्टिक की बोतलें आसानी से टिकी रह सकें। बैंबू हाउस हैदराबाद की एक कंपनी है जो लकड़ी, स्टील, लोहे और प्लास्टिक की जगह बांस का उपयोग करके इको फ्रेंडली वस्तुएं बनाती है।
अंग्रेज़ी वेबसाइट बेटर इंडिया के मुताबिक़, बैंबू हाउस इंडिया के प्रशांत ने कहा कि अधिकारियों के साथ-साथ स्थानीय निवासियों ने भी इस शेल्टर को पसंद किया। लोगों ने इसकी काफी सरहाना की। अब हम सोच रहे हैं कि इस शेल्टर को और बेहतर बनाया जा सकता है।
की जा रही है तापमान सहने की जांच
इस बस शेल्टर को एक प्रतिकृति के रूप में बनाया गया था, ताकि ये देखा जा सके कि एक रिसाइकिल्ड प्लास्टिक की इस संरचना में गर्मी कैसी होगी। एहतियात के तौर पर वो हर दिन इस शेल्टर की जांच कर रहे हैं, ताकि ये सुनिश्चित हो जाए कि 40 डिग्री या उससे ज़्यादा तापमान पर ये बोतलें पिघल तो नहीं जाएंगी, लेकिन अभी तक इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।
आया सिर्फ 1500 रुपये का खर्च
इस शेल्टर को बनाने में 15,000 रुपये का खर्च आया है। इसमें ट्रांसपोर्टेशन से लेकर बोतलों तक का खर्चा शामिल है। इस शेल्टर को बनाने वाली बैंबू हाउस कंपनी पहले से ही स्थानीय इंजीनियरिंग कॉलेजों से जुड़ी हुई है, इसलिए प्रशांत को उम्मीद है कि ये प्रोजेक्ट भविष्य की परियोजनाओं के लिए प्लास्टिक की बोतलों पर उन्हें बचाने में मदद करेगा।
प्लास्टिक की बोतलों को ऐसे भी कर सकते हैं इस्तेमाल
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