'मेरी हालत बहुत खराब है, घर पहुंचा दीजिए', अहमदाबाद में फंसे प्रवासी मजदूर की ये आखिरी इच्छा पूरी नहीं हो पाई

Mithilesh DharMithilesh Dhar   25 April 2020 9:15 AM GMT

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मेरी हालत बहुत खराब है, घर पहुंचा दीजिए, अहमदाबाद में फंसे प्रवासी मजदूर की ये आखिरी इच्छा पूरी नहीं हो पाई

खबर में जो मुख्य तस्वीर लगी है वह 19 साल के परवेज अंसारी की है। बाएं से पहली तस्वीर यही कोई छह महीने पहले की है और दूसरी एक सप्ताह पहले की। दोनों में कितना अंतर है।

परवेज मूलत: रांची के ईटकी थानाक्षेत्र के ठाकुरगंज के रहने वाले थे और गुजरात के अहमदाबाद में मजदूरी करते थे। उनकी इच्छा थी कि वे किसी तरह अपने घर पहुंच जाएं, लेकिन अफसोस की लॉकडाउन की वजह से उनकी यह अंतिम ख्वाहिश अधूरी ही रह गई।

परवेज ने 16 अप्रैल को एक वीडियो जारी किया था। 28 सेकेंड के उस वीडियो में वे अपने घर जाने के लिए मदद मांग रहे थे। जिस किसी ने उस वीडियो को देखा, वह दंग रह गया था। परवेज के शरीर में मात्र हड्डियां ही बची थीं। इतनी ताकत भी नहीं थी कि वे एक साथ पूरा वाक्य बोल पाएं।

सोशल मीडिया पर इस वीडियो के वायरल होने के बाद झारखंड सरकार की ओर से अहमदाबाद पुलिस से मदद मांगी गई। जिसके बाद अहमदाबाद पुलिस परवेज को 19 अप्रैल की शाम को अहमदाबाद के सिविल अस्पताल ले गई जहां जांच में पता चला कि उनकी दोनों किडनियां खराब हैं और उन्हें टीबी भी है। डेथ सर्टीफिकेट में भी इसका जिक्र है।

इस बीच परवेज के बड़े भाई तौहिद अंसारी (25) ने रांची के ईटकी थाने में तहरीर देकर मांग की है कि मामले की उचित जांच हो ताकि दूसरे राज्यों में फंसे दूसरे मजदूरों के साथ ऐसा ना हो।

तौहिद की अपील

तौहिद गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "22 मार्च को परवेज ने फोन किया था। तब उसने बताया कि वह बीमार है और उसके पास खाने को कुछ नहीं है। उसके पास पैसे भी नहीं थे। मैंने उसके खाते में यहां से 1,200 रुपए भिजवाये लेकिन वह उसे निकाल नहीं पाया। इसके तुरंत बाद लॉकडाउन लग गया। उसके बाद से ठीक से वह वहां खा-पी नहीं पा रहा था। लॉकडाउन की वजह से उसका इलाज भी नहीं हो पाया। हम तो यहां इतनी दूर थे, जाते भी तो कैसे। छह महीने पहले जब वह घर आया था तो एक दम ठीक था। इधर कई महीने से उसके पास कोई काम भी नहीं था, इसलिए भी बहुत परेशान था।"

यह भी पढ़ें- लॉकडाउन: दिल्ली से बिहार जा रहे मजदूर की वाराणसी में मौत, पिता ने कहा- हम खाने को मोहताज हैं लाश कैसे जलाते

"वीडियो आने के बाद 19 अप्रैल को उसे अस्पताल में भर्ती करया गया, लेकिन इस दौरान उससे जब भी मेरी बात होती वह यही कहता कि उसे ठीक से खाना नहीं मिल रहा, ठीक से इलाज नहीं हो रहा है। वह मजदूर था, लॉकडाउन की वजह से किसी दूसरे प्रदेश में फंस गया। लॉकडाउन न होता तो कम से कम हम उसे देख तो पाते, लेकिन सरकार अब ध्यान दे कि किसी और मजदूर के साथ ऐसा ना हो।" तौहिद आगे बताते हैं।

तौहिद के अलावा रांची में रहने वाले उनके जीजा लुकमान अंसारी भी परवेज के संपर्क में थे। वे कहते हैं, "यही कोई 20-21 मार्च को परवेज ने जब फोन किया था तब उसने कहा कि वह बीमार है। तब उसने पास के किसी डॉक्टर से दवा लिया और बोला कि डॉक्टर ने 15 दिन की दवा दी है और बोला है कि टीबी की शिकायत है। फिर हमने कहा कि तुम्हे लेने आते हैं। हम इधर टिकट का इंतजाम कर ही रहे थे कि लॉकडाउन लग गया। उससे तबियत बिगड़ती जा रही थी, हम लोग लॉकडाउन खुलने का इंतजार कर रहे थे कि फिर 14 को पता चला कि लॉकडाउन बढ़ गया है।"

परवेज का डेथ सर्टीफिकेट

"16 अप्रैल को हमने उससे जब वीडियो कॉलिंग पर बात की थी तब हम उसे देखकर दंग रह गये। फिर जब हमने वीडियो शेयर किया तब उसे अस्पताल ले जाया गया। उसकी जब रिपोर्ट आई तब बताया गया कि उसके कोरोना नहीं है। अस्पताल में जब उससे मेरी आखिरी बार बात हुई तब उसने बताया कि तीन दिन हो गयाञ एक बार उसे ऑक्सीजन लगाया गया था, और कोई दवा नहीं दी गई है। डॉक्टर कह रहे हैं कि ब्लड जांच के लिए गया है, रिपोर्ट आने के बाद इलाज शुरू करेंगे।"

तौहिद ने हमें एक ऑडियो भी भेजा है जिसमें परवेज पे आखिरी बार अपनी बहन से बात कि जिसमें वे कह रहे हैं उनका ठीक से इलाज नहीं हो रहा है, खाना नहीं मिल रहा है। ऑडियो यहां सुनें

ठाकुरगंज रांची के विधानसभा क्षेत्र मांडर में आता है। क्षेत्र के विधायक बंधू तिर्की भी परवेज की मौत पर सवाल उठाते हैं। वे गांव कनेक्शन से फोन पर कहते हैं, "हम तो बहुत दूर हैं, डॉक्टर ने जो कहा उसे मान लिया, लेकिन टीबी से कोई इतनी जल्दी तो मरता नहीं। पता नहीं वहां कैसा इलाज चल रहा था, यह तो किसी को नहीं पता है। वह घर आना चाहता था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से आ नहीं पाया। था तो वह प्रवासी मजदूर ही, उसका बेहतर ख्याल रखा जाना चाहिए। हमें क्या पता कि उसे वहां ठीक से खाना भी मिलता भी था की नहीं। बहुत दुखद है यह सब।"

परवेज की स्थिति कैसी थी, इस बारे में अहमदाबाद अमराईवाड़ी पुलिस स्टेशन के प्रभारी आरटी उदावत बताते हैं, "अंसारी की तबियत बहुत खराब थी। हमने उसे अहमदाबाद सिविल अस्पताल में भर्ती कराया था। अंसारी के परिवार ने कहा कि वह डेढ़ साल पहले अहमदाबाद गया था। वह यहां एक पैकेजिंग कंपनी में काम करता था।"

परवेज गुजरात के अहमदाबाद में बनी प्रवासी कॉलोनी अमराईवाड़ी में रह रहे थे। अमराईवाड़ी पुलिस स्टेशन के हेड कांस्टेबल रघुवीर उस दिन परवेज के साथ जब उन्हें अस्पातल ले जाया जा रहा है। वे गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "वह बहुत बीमार था। उसके पैर में सूजन था और उसको बहुत खांसी आ रही थी। पड़ासियों ने बताया कि उसे टीबी है। उसे खाना दिया जा रहा था लेकिन खा नहीं पा रहा था। लोगों में डर भी था क्योंकि उसके लक्षण कोरोना वायरस जैसे थे। हमने उसे एंबुलेंस से सिविल अस्पताल पहुंचाया था। 23 अप्रैल को रात में उसकी मौत हो गई।"

रविवार 19 अप्रैल को जब परवेज को सिविल अस्पताल अहमदाबाद पहुंचाया गया था तब इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जेपी मोदी ने बताया था कि टीबी के कारण परवेज की स्थिति गड़बड़ हुई है। इस कारण उसका तेजी से वजन भी घट रहा है। हम प्रयास कर रहे हैं।

  

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