लॉकडाउन में बैंको में लम्बी लाइन से इन महिलाओं ने दिलाया छुटकारा, पैसों की निकासी के लिए झारखंड में गाँव-गाँव पहुंच रहीं बैंकिंग सेवाएं

कोरोना माहमारी से लड़ने के लिए सरकार ने कई मदों में लोगों के खातों में पैसे भेजे हैं। आर्थिक तंगी में जूझ रहे लोग इन पैसों को निकालने के लिए इस समय घंटों बैंको में लम्बी लाइन लगाकर खड़े हैं। ऐसे में झारखंड की ये महिलाएं एक सुखद तस्वीर पेश कर रही हैं। इन महिलाओं की बदौलत पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में गाँव-गाँव बैंकिंग सेवाएं पहुंचने से लाखों ग्रामीणों को बैंको में लम्बी लाइन लगाने से मुक्ति मिल गयी है।

Neetu SinghNeetu Singh   6 May 2020 9:29 AM GMT

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लॉकडाउन में बैंको में लम्बी लाइन से इन महिलाओं ने दिलाया छुटकारा, पैसों की निकासी के लिए झारखंड में गाँव-गाँव पहुंच रहीं बैंकिंग सेवाएं

झारखंड के पहाड़ी और दुर्गम इलाके के लाखों लोगों को लॉकडाउन में न तो कई किलोमीटर बैंक जाने की झंझट है, न ही बैंकों में लम्बी लाइन लगाने की जद्दोजहद करनी पड़ रही है।

कोरोना माहमारी से लड़ने के लिए सरकार ने कई मदों में लोगों के खातों में पैसे भेजे हैं। आर्थिक तंगी में जूझ रहे लोग इन पैसों को निकालने के लिए दिन-दिन भर बैंको में लम्बी कतारें लगाये खड़े हैं। इन लम्बी कातारों को काफी हद तक कम करने में झारखंड की बैंक सखी (बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट एजेंट) बैंको की मददगार साबित हुई हैं।

लॉकडाउन में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी ये महिलाएं देश में एक सुखद तस्वीर पेश कर रही हैं। जहां एक तरफ इससे इन्हें रोजगार मिल रहा है वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्र के लाखों लोगों को बैंकों में लम्बी लाइन लगाने से मुक्ति गयी है।

झारखंड जैसे भागौलिक परिस्थिती वाले इलाके में बैंक तक जाना ग्रामीणों के लिए हमेशा से टेढी खीर रही है। गाँव-गाँव बने इन सेंटरों पर ग्रामीणों को पैसे निकासी के लिए कोई फॉर्म नहीं भरना पड़ता। बस आधार नंबर बताया और अंगूठा लगाया इनका काम झट से हो जाता है।

"काम बंद होने से लोगों के पास पैसे नहीं हैं। सरकार ने जबसे इनके खाते में पैसे डाले हैं तबसे लोग सुबह से हमारे यहाँ निकालने के लिए आ जाते हैं। सुबह सात बजे से शाम छह सात बजे तक पैसे की निकासी चलती रहती है। अब तो रोज एक लाख से तीन चार लाख रुपए का ट्रांजेक्शन हो जाता है। पहले महीने में जितना ट्रांजेक्शन होता था उतना अब एक दो दिन में हो जाता है," गायत्री देवी (35 वर्ष) ने बताया।

गायत्री देवी को इनके क्षेत्र के लोग बैंक सखी (बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट एजेंट) के नाम से जानते हैं। गायत्री झारखंड के नक्सल प्रभावित खूंटी जिला के रानिया ब्लॉक के जयपुर गाँव में उन हजारों लोगों की मदद कर रही हैं जहां से बैंक की दूरी आठ किलोमीटर दूर है।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी से जुड़ी गायत्री देवी स्वयं सहायता समूह (सखी मंडल) से जुड़ी एक महिला हैं। जिन्हें तीन साल पहले अपने क्षेत्र में घर-घर बैंकिंग सेवाएं पहुंचाने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। लॉकडाउन में गायत्री देवी की तरह झारखंड में 1463 बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट एजेंट एक महत्वपूर्ण सिपाही के रूप में सामने उभर कर आगे आयी हैं।

राज्य के 600 से ज्यादा गाँव में ये सेंटर बने हुए हैं जहां पर इन महिलाओं के द्वारा 23 मार्च से दो मई तक 98,11, 27,387 करोड़ रुपए की निकासी की जा चुकी हैं। इस निकासी से 6,35, 922 लाख लोग लाभान्वित हुए हैं।

झारखंड के गांवों में बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट एजेंट होने से ग्रामीणों को बैंक में लम्बी लाइन लगाने से मुक्ति मिल गयी है.

"जो भी लोग पैसे निकालने आते हैं उनके लिए दूर-दूर गोल घेरे बना दिए हैं। हाथ धुलने के लिए साबुन भी रखा है। गाँव स्तर पर जितना सम्भव हो रहा है सावधानी बरती जा रही है। गाँव में हम लोगों का सेंटर होने से आसपास की बैंको में भीड़ कम हो रही है। जमा करने के लिए गिनती के एक दो लोग ही होते हैं। लोग 500 से हजार दो हजार तक एक बार में पैसे निकाल रहे हैं, " रेखा देवी (32 वर्ष) ने बताया। रेखा रामगढ़ जिले के बरलोंग गाँव की रहने वाली हैं।

सुदूर गाँव की महिलाएं जो बैंक जाने के नाम से खौफ खाती थी, इन लाखों महिलाओं की मुश्किलों को यहाँ की बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट सखी ने आसान कर दिया है। इनके पास एक ऐसा बैंक है जो इन्हीं के बीच रहता है और इनके लिए हर वक्त खुला रहता। इन बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट एजेंट के पास एक माइक्रो एटीएम पोर्टेबल मशीन या लैपटॉप होता है जिससे ग्रामीणों को अपनी पेंशन, छात्रवृत्ति, मजदूरी का पैसा, सरकारी सब्सिडी, आवास योजना में आयी राशि की जानकारी या पैसा तुरंत मिल जाता है।

कोरोना वायरस की महामारी के दौरान लोगों को पैसे की तंगी से उबारने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत महिलाओं के जनधन खातों में तीन महीने तक 500-500 रुपए, बुजुर्ग और विधवाओं को तीन महीने तक 1000-1000 रुपए, तीन महीने तक उज्जवला योजना के पैसे और गरीब रेहडी-पटरी वाले लोगों के खाते में 1000-1000 रुपए तीने महीने तक, इसके अलावा मनरेगा का भी पैसा लोगों के खातों में भेजा गया है। इन सबमें जनधन और पटरी दुकानदारों को पहली बार पैसे मिले हैं।

बुजुर्गों को अब कई किलोमीटर बैंक जाने के लिए पैदल नहीं चलना पड़ता.

कोविड-19 महामारी के दौरान गरीबों की मदद के लिए केंद्र सरकार ने 1 लाख 70 हजार करोड़ का जो आर्थिक पैकेज जारी किया है, उसके तहत 3 अप्रैल से लेकर 9 अप्रैल तक केंद्र सरकार ने दो किस्तों में देश में महिलाओं के प्रधानमंत्री जनधन योजना के करीब 20.60 करोड़ रूपये खातों में 500-500 रुपए भेजे हैं। जबकि उज्जवला योजना के तहत 800-800 रुपए दिए जा रहे हैं।

"बैंक से पहले ही हम अपना सेंटर खोल देते हैं। पहले तो घर-घर जाकर लोगों की मदद करते थे लेकिन लॉक डाउन की वजह से सेंटर पर रहकर पैसे निकालते हैं। अभी पैसे निकालने वालों की संख्या पहले के तुलना में कई गुना ज्यादा है। जो दिव्यांग या बुजुर्ग लोग चल फिर नहीं सकते उनके घर पर ही जाकर पैसा निकाल देते हैं," पुष्पा देवी (30 वर्ष) ने बताया। ये रांची से 35 किलोमीटर दूर रातू ब्लॉक के हिसरी गाँव की रहने वाली हैं।

झारखंड के 600 से ज्यादा गांव में अभी ये महिलाएं काम कर रही हैं। इन गांवों में अगर किसी 60 साल के बुजुर्ग को अपनी वृद्धा पेंशन चेक करनी हो या फिर अपने खाते से पैसे निकालने हों, विद्यार्थियों को अपनी छात्रवृत्ति चेक करनी हो, मजदूरों को मनरेगा का पैसा चेक करना हो, माँ –बाप को शहर पढ़ रहे बच्चों को पैसा भेजना हो सब काम गाँव से ही हो जाता है।


रामगढ़ की ममता रंजन बताती हैं, "लोग केवल लेनेदेन के लिए ही हमारे पास नहीं आते हैं। अगर उन्हें फोन रिचार्ज कराना है, डीटीएच रिचार्ज करना है, फिक्स डिपाजिट करना है, यहाँ सब काम हो जाते हैं। सेंटर पर एक जगह कागज में लिखकर लगा दिया है कि जो भी लोग पैसे निकालने आयें वो सब मास्क बांधकर आयें और लाइन में साबुन से अच्छी तरह से हाथ धुलकर लगे। सब इसका पालन भी कर रहे हैं।"

इन मदों में आया है पैसा

जनधन खाते से जुड़ी हर महिला खाता धारक को 500-500 रुपए तीन महीने तक दिए जाएंगे। पहली किस्त पहुंच चुकी है। उज्वला योजना के तहत 800-800 रुपए तीन महीने तक दिए जायेंगे। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 8.7 करोड़ किसान के खातों में 2000-2000 रुपए दिए गये हैं। तीन महीने तक 60 वर्ष से ज्यादा के बुजुर्ग और विधवाओं को पेंशन 1000-1000 रुपए, रेहड़ी और पटरी दुकानदारों को भी तीन महीने तक 1000-1000 रुपए दिए जा रहे हैं।

  

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