महाराष्ट्र में पांच किसानों ने किया सामूहिक आत्महत्या का प्रयास, एक किसान की पीएम मोदी कर चुके हैं तारीफ

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महाराष्ट्र में पांच किसानों ने किया सामूहिक आत्महत्या का प्रयास, एक किसान की पीएम मोदी कर चुके हैं तारीफकलेक्ट्रेट कार्यालय में ही किसानों ने पिया कीटनाशक। (फोटो साभार दैनिक प्रभात)

महाराष्ट्र के अकोला में मंगलवार को अतिरिक्त जिला अधिकारी के कार्यालय में छह किसानों ने जहर पी लिया। इन किसानों की जमीन हाईवे के लिए अधिग्रहित की जा रही है। किसानों का आरोप है कि सरकार इन्हें अन्य किसानों की अपेक्षा कम मुआवजा दे रही है। इसमें से एक किसान मुरलीधर राऊत की चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात में भी कर चुके हैं।

किसानों ने 29 जुलाई को ही जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर आत्महत्या करने की चेतावनी दी थी। किसानों का आरोप है कि राष्ट्रीय राजमार्ग को फोर लेन बनाने के लिए इनकी जमीन अधिग्रहित की गई है। इसके बदले में जमीन का मुआवजा अन्य किसानों की तुलना में कम मिल रहा है। इसके लिए ये किसान लंबे समय से न्याय की गुहार लगा रहे हैं।

न्याय मिलने से नाराज पांच किसानों मुरलीधर राऊत, मदन हिवरकर (32), साजिद इकाबल (30), मो. अफजल गुलाम नबी (30) और अर्चना भारत टकले (30) ने जिलाधिकारी कार्यालय के सामने जहर पर लिया।

सोमवार को शिकायत सुनने के लिए अतिरिक्त जिलाधिकारी नरेंद्र लोणकर ने सभी को अपने कार्यालय बुलाया था लेकिन मुआवजे को लेकर सहमति नहीं बन पाई। इसके तुरंत बाद पांचों किसानों ने वहीं कीटनाशक पी लिया। वहां मौजूद कर्मचारियों ने इन किसानों को तुरंत अस्पताल ले गये जहां अभी भी इनकी हालत गंभीर बताई जा रही है।

घटना के बाद अकोला के उप जिलाधिकारी राम लद्धण ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह मामला अब हाईकोर्ट में ही हल हो पायेगा। आगे उन्होंने बताया कि कीटनाशक ज्यादा जहरीला नहीं था, सभी किसान सुरक्षित हैं।

मुरलीधर राऊत की प्रधानमंत्री मोदी भी कर चुके हैं तारीफ

वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पे मन की बात कार्यक्रम में नोटबंदी के 42 साल के मुरलीधर राउत के मानवीय कार्यों की खूब तारीफ की थी। मुरलीधर राउत अकोला के बालापुर तहसील के शेलाड गांव के रहने वाले हैं। वे नोटबंदी के बाद 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट के साथ आने वाले भूखे लोगों, खासकर मुसाफिरों को खाना खिलाते थे।

मन की बात में प्रधानमंत्री ने कहा था कि नोटबंदी के तुरंत बाद जिनके पास नकदी नहीं होती थी तो राऊत उन्हें होटल में पहले खाना खाने और बाद में कभी उसी रास्ते से गुजरने पर पैसा चुका जाने को कहते थे।

पिछले महीने टाइम्स इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में किसानों के मरने का सिलिसिला थम नहीं रहा है। रिपोर्ट के अनुसार इस अप्रैल तक प्रदेश में 800 से ज्यादा किसानों ने मौत को गले लगा लिया। हालांकि पिछले साल इस समय ये संख्या थोड़ी कम थी।

जनवरी से अप्रैल तक सबसे ज्यादा 344 किसानों ने विदर्भ में खुदकुशी की है। वहीं मराठवाड़ा में 269 किसानों ने आत्महत्या की। उत्तर महाराष्ट्र में 161 और चीनी बेल्ट वाले पश्चिम महाराष्ट्र में 34 किसानों ने खुदकुशी की है। अच्छी बात यह है कि कोंकण इलाके में कोई खुदकुशी का मामला सामने नहीं आया है।

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