अगले दो साल में दिल्ली, बेंगलुरू और हैदराबाद समेत 21 शहरों में नहीं बचेगा एक भी बूंद पानी
नीति आयोग की रिपोर्ट ने दी संभल जाने की आखिरी चेतावनी, 60 करोड़ भारतीय झेल रहे हैं पानी की किल्लत। इसका असर देश के विकास पर भी पड़ेगा और जीडीपी में 6 फीसदी की कमी आएगी।
Alok Singh Bhadouria 18 Jun 2018 12:56 PM GMT
जिस भारत को अपनी विशाल नदियों पर गर्व था वह इस समय अपने इतिहास के सबसे गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है। देश में करीब 60 करोड़ लोग पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। इससे भी बढ़कर बात यह है कि अगले दो साल में नई दिल्ली, बेंगलूरू और हैदराबाद जैसे देश के 21 शहरों में जमीन के नीचे मौजूद पानी के भंडार सूख जाएंगे। इससे करीब और 10 करोड़ लोग प्रभावित होंगे। ये आंखे खोलने वाले आंकड़े नीति आयोग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में 14 जून को जारी किए हैं।
कंपोजिट वॉटर मैनेजमेंट इंडेक्स नामकी इस रिपोर्ट को जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने जारी किया। इस रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि 2030 तक देश में पानी की मांग मौजूदा सप्लाई से दो गुनी हो जाएगी। इससे करोड़ों लोगों के सामने प्यास से जूझने की नौबत आ जाएगी। इसका असर देश के विकास पर भी पड़ेगा और जीडीपी में 6 फीसदी की कमी आएगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 70 फीसदी पानी प्रदूषित हो चुका है। पानी की गुणवत्ता की सूची में मौजूद 122 देशों में भारत 120वें नंबर पर है। इस समय पीने का साफ पानी मुहैया न होने की वजह से हर साल लगभग 2 लाख लोगों की मौत हो जाती है। इसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि देश में जल संसाधनों और उनके इस्तेमाल के बारे में सही सोच विकसित करने की जरूरत है।
इस रिपोर्ट को डेलबर्ग एनालिसिस, फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (एफएओ) और यूनिसेफ जैसी स्वतंत्र एजेंसियों से मिले आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया है। आंकड़ों के हिसाब से देश की 40 फीसदी जनसंख्या के पास वर्ष 2030 तक पीने का पानी खत्म हो जाएगा।
अपनी इस रिपोर्ट में नीति आयोग ने समग्र जल प्रबंधन के आधार पर सभी राज्यों की एक सूची बनाई है। यह अपनी तरह की पहली सूची है। इसमें 9 व्यापक क्षेत्र और 28 अलग-अलग सूचक हैं, उदाहरण के लिए, भूजल, जलाशयों की मरम्मत, सिंचाई, खेती के तरीके, पीने का पानी, जल नीति और प्रशासन शामिल है।
इस सूची में गुजरात सबसे ऊपर है, जबकि झारखंड सबसे निचले पायदान पर है। हरियाणा, यूपी और बिहार सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शामिल हैं। उत्तर पूर्वी और पहाड़ी राज्यों में त्रिपुरा सबसे ऊपर है उसके बाद हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और असम हैं। अगर रिपोर्ट की मानें तो भारत की कृषि योग्य भूमि का 52 फीसदी वर्षा पर निर्भर है।
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