रेलवे के रियायती फॉर्म में अब विकलांग की जगह होगा दिव्यांग

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रेलवे के रियायती फॉर्म में अब विकलांग की जगह होगा दिव्यांगरेल मंत्रालय की पहल।

नई दिल्ली। विकलांग की जगह दिव्यांग शब्द का इस्तेमाल करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील के लगभग दो साल बाद रेलवे ने ऐसे लोगों को जारी रियायती प्रमाणपत्रों में बदलाव करने का फैसला लिया है। रेल मंत्रालय की ओर से जारी एक आदेश के अनुसार नेत्रहीन को दृष्टिबाधित से, मूक बधिर को वाक एंव श्रवण विकार और विकलांग शब्द को दिव्यांग से बदला जाएगा। मंत्रालय ने संबंधित विभागों से रियायती प्रमाणपत्रों के लिए परफॉर्मा में आवश्यक बदलाव करने को कहा है। एक अधिकारी ने कहा "ये शब्द अपमानजनक हैं और इनमें बदलाव की आवश्यकता है।"

रेलवे में मिलेंगी और सुविधाएं

रेलवे इस वर्ष के अंत तक ऐसी तीन हजार बोगियों का निर्माण करेगा। इन बोगियों में दिव्यांगों की यात्रा आरामदायक और बिना परेशानी के होगी। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में दिव्यांगों के लिए मुख्य आयुक्त कमलेश पांडे ने बताया कि दिव्यांग यात्रियों के सफर को सुविधाजनक बनाने के लिए इन बोगियों में कई सुविधाएं होंगी।

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पिछले दिनों नागपुर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा था "ये बोगियां आपस में जुड़ी होंगी। इनमें ज्यादा सीटें, जगह होगी। कमलेश पांडे ने ये भी कहा कि मुंबई, पुणे, नासिक और नागपुर में करीब 180 सरकारी इमारतों को दिव्यांगों के लिए सुलभ बनाया जाएगा। इन इमारतों में रैंप, लिफ्ट लगाई जाएंगी। इस प्रोजेक्ट को मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा गया है।"

उन्होंने कहा इससे पहले, उन्होंने कहा, ‘‘पहले अशक्तता कानून, 1995 में शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए सात वर्ग थे। अब इस कानून में और 21 वर्गों को शामिल किया गया है जिनमें मानसिक बीमारी, थैलेसीमिया, बौनापन और तेजाब से जख्म शामिल है।’’ "उसी तरह, इन वर्गों में आरक्षण 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी किया गया है।"

दिव्यांगों के लिए 'एक्सेसिबल इंडिया

केंद्र सरकार द्वारा दिसंबर, 2015 में दिव्यांगों के लिए 'एक्सेसिबल इंडिया' अभियान शुरू करने से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकलांगों को 'दिव्यांग' कहने की अपील की थी, जिसके पीछे उनका तर्क था कि किसी अंग से लाचार व्यक्तियों में ईश्वर प्रदत्त कुछ खास विशेषताएं होती हैं।

देश में विकलांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण एवं पूर्ण भागीदारी) अधिनियम के पारित हुए 22 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन शिक्षा और रोजगार के अवसर की बात करें तो इन 22 वर्षो में देश में विकलांगों या दिव्यांगों की आज स्थिति क्या है?

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जनगणना-2011 के अनुसार, देश की 45 फीसदी दिव्यांग आबादी अशिक्षित है, जबकि पूरी आबादी की बात की जाए तो अशिक्षितों का प्रतिशत 26 है। दिव्यांगों में भी जो शिक्षित हैं, उनमें 59 फीसदी 10वीं पास हैं, जबकि देश की कुल आबादी का 67 फीसदी 10वीं तक शिक्षित है।

(भाषा से इनपुट के साथ)

  

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